राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव में मेवाड़ के आदिवासी वोट बैंक को सेंध लगाने वाली भारतीय आदिवासी पार्टी (BTP) राज्य में 25 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले बीखरती नजर आ रही है. इसलिए हर पार्टी की नजर आदिवासी वोट बैंक पर लगी हुई है.
बीटीपी के कई नेताओं ने पार्टी से अलग होकर भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) बनाई है और विधानसभा चुनाव में मेवाड़ की कई सीटों के लिए उम्मीदवारों को उतारा है.
इस बार के विधानसभा चुनाव में यह माना जा रहा है कि आदिवासी क्षेत्रों में किसी भी पार्टी का गणित बिगड़ सकता है.
2018 के चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देने वाली बीटीपी में इस बार बिखराव के कारण चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को फायदा हो सकता है.
इसलिए बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी क्षेत्रों के वोटों को अपनी तरफ खिंचने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगा रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर भारत आदिवासी पार्टी भी आदिवासी वोटों को साधने के लिए जोर लगा रही है. ताकि पहले चुनाव में ही राजनीतिक ताकत नजर आ सके.
हालांकि इस बिखराव से कौन-सी पार्टी को कितना फायदा होने वाला है, ये तो 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पता चल पाएगा.
बीटीपी को कितना नुकसान
बीटीपी से अलग होकर जिन लोगों ने भारत आदिवासी पार्टी बनाई है वे आदिवासी क्षेत्रों में वोट पाने के लिए सक्रियता दिखा रहे हैं.
ऐसे में माना जा रहा है की इस बार के विधानसभा चुनाव में 2018 के चुनाव के मुकाबले बीटीपी के वोटों का गणित बिगड़ सकता है.
2018 चुनाव में बीटीपी से दो विधायक बने थे
2018 विधानसभा में बीटीपी के कई सारे प्रत्याशियों को मेवाड़ सीटों के लिए उतारा गया था. लेकिन सफलता केवल डूंगरपुर ज़िले की चौरासी और सागवाड़ा सीट पर ही मिल पाई थी.
वहीं सागवाड़ा और चौरासी में कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे हैं. चौरासी में बीटीपी के चुने गए विधायक राजकुमार रोत को 38.22 फिसदी वोट मिले थें.
जबकि भाजपा उम्मीदवार को 30.51 फिसदी और कांग्रेस उम्मीदवार को 21.41 फिसदी वोट मिल पाए थें. सागवाड़ा में बीटीपी के विधायक को राम प्रसाद को 33.59 फिसदी वोट मिले और भाजपा प्रत्याशी को 30.95 फिसदी और कांग्रेस को 24.07 फिसदी वोट मिले थे.
आसपुर में कांग्रेस का समीकरण बदल सकता है. बीटीपी ने आसपुर में कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगाड़ के रख दी थी. आसपुर के सीट में भाजपा प्रत्याशी की जीत रही लेकिन मुकाबले में बीटीपी प्रत्याशी रहा. यहां कांग्रेस की उम्मीदवार राईना मीणा तीसरे नंबर पर रही हैं.
2018 के उप चुनावों में बीटीपी का कमजोर प्रदर्शन रहा
2018 के विधानसभा चुनाव में बीटीपी ने मेवाड़ के दो सीटों को जीत लिया था. लेकिन तीन साल बाद हुए उप चुनाव में बीटीपी कमजोर साबित हुई थी.
सई 2021 में राजसमंद विधानसभा सीट पर उप चुनाव में बीटीपी ने प्रत्यासी को उतारा था. लेकिन उसे मात्र 736 वोट ही मिल पाए थे.
उसके बाद नवंबर 2021 में वल्लभनगर में हुए उप चुनाव में बीटीपी प्रत्यासी को 938 वोट मिले. इसलिए बीटीपी उप चुनाव में कमजोर साबित हुई है.