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त्रिपुरा की सरकार में शामिल IPFT ने ग्रेटर टिपरालैंड के लिए दिल्ली में धरना दिया

त्रिपुरा में बीजेपी और IPFT दूसरी बार सत्ता में आए हैं. IPFT के सहारे ही बीजेपी साल 2018 में पहली बार राज्य की सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रही थी. लेकिन अब IPFT काफी कमज़ोर हो चुकी है. उसकी जगह अब टिपरा मोथा ने ले ली है.

आज यानि 23 अगस्त 2023 को त्रिपुरा के आदिवासी दिल्ली पहुंचे. यहां पहुंचे आदिवासियों ने जंतर-मंतर पर धरना दिया. ये आदिवासी IPFT यानि इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के नेतृत्व में यहां पहुंचे हैं. 

दरअसल IPFT ने यह धरना अलग ग्रेटर टिपरालैंड की मांग के समर्थन में आयोजित किया था. इस धरने में करीब 200 लोग शामिल थे.

यहां पर धऱना शुरू करने से पहले इन आदिवासियों ने एक रैली निकाली और नारेबाज़ी भी की थी.

इस धरने में मौजूद लोगों को IPFT नेता और राज्य में आदिवासी कल्याण मंत्री शुक्ला चरण नोटिया ने संबोधित किया. MBB से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बेशक त्रिपुरा सरकार में शामिल है. लेकिन उनकी पार्टी अलग टिपरालैंड की मांग पर भी कायम है.

आज ही के दिन यानि 23 अगस्त 1984 को भारतीय संसद ने संविधान की छठी अनुसूची को संशोधित किया था. इसके बाद राज्य में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त परिषद के चुनाव संविधान की छठी अनुसूचि के तहत हुए थे.

यह त्रिपुरा के आदिवासियों की बड़ी जीत थी. इसके लिए आदिवासियों ने लंबा आंदोलन चलाया था.  बेशक आज की तारीख में आईपीएफ़टी बीजेपी के साथ दूसरी बार त्रिपुरा की सरकार में शामिल है. लेकिन उसका जनाधार राज्य में लगभग ख़त्म हो गया है.

क्योंकि अब त्रिपुरा में एक नई पार्टी टिपरामोथा पर आदिवासी ज़्यादा भरोसा जता रहे हैं. इस पार्टी ने राज्य की विधानसभा में आदिवासियों के लिए आरक्षित 20 सीटों में से 13 सीटें भी जीत ली थीं.

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