HomeAdivasi Dailyमणिपुर की राज्यपाल ने 29 अगस्त को राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया

मणिपुर की राज्यपाल ने 29 अगस्त को राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया

इससे पहले मणिपुर मंत्रिमंडल द्वारा 21 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश किए जाने के बावजूद सोमवार को राज्य विधायिका की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि राजभवन ने कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी.

मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने 29 अगस्त को राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया है. मंगलवार को जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई.

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में 29 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश की गई थी.

अधिसूचना में कहा गया कि राज्यपाल ने ‘‘12वीं मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र 29 अगस्त मंगलवार को 11 बजे बुलाया है.’’

मुख्‍यमंत्री कार्यालय ने बताया कि प्रदेश के मुख्‍यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने 29 अगस्त को 12वीं मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र (मानसून सत्र) बुलाने का निर्णय लिया गया है और इसके लिए प्रदेश राज्‍यपाल से गुजारिश की है.

सचिवालय के उप सचिव, रॉबर्ट लैटोनजाम ने एक विज्ञप्ति में कहा, “मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि मणिपुर की माननीय राज्यपाल द्वारा 29 अगस्त, 2023 सुबह 11 बजे, मंगलवार को बैठक के लिए 12वीं मणिपुर विधान सभा के चौथे सत्र को बुलाया गया है.”

संविधान के अनुच्छेद 174 के अनुसार, दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं हो सकता है.

क्योंकि पिछला सत्र 21 फरवरी से 3 मार्च तक आयोजित किया गया था इसलिए अगला सत्र 2 सितंबर से पहले बुलाया जाना था नहीं तो संवैधानिक संकट पैदा हो जाता.

29 अगस्त को विधानसभा सत्र आयोजित करने की सिफारिश करने के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले कैबिनेट के फैसले के बाद राज्यपाल की सहमति मिली है.

इससे पहले मणिपुर मंत्रिमंडल द्वारा 21 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश किए जाने के बावजूद सोमवार को राज्य विधायिका की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि राजभवन ने कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी.

राजभवन ने 21 अगस्त को सत्र आयोजित करने की मंजूरी नहीं देने का कोई कारण नहीं बताया था लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह सुरक्षा चिंताओं के कारण था.

तीन महीने से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती के बावजूद छिटपुट अप्रिय घटनाएं हो रही हैं.

3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में व्याप्त स्थिति पर चर्चा के लिए घाटी स्थित संगठनों और राजनीतिक दलों की ओर से एक विशेष सत्र आयोजित करने की लगातार मांग की जा रही है.

राज्य में जारी हिंसा में कम से कम 168 लोग मारे गए हैं. मैतेई और कुकी-ज़ो दोनों समुदायों के 60 हज़ार से ज्याद लोग विस्थापित हो गए और 10 कुकी-ज़ो विधायकों ने मणिपुर से एक अलग प्रशासन की मांग की है.

मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं और बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रही है. हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा के सात विधायकों सहित 10 कुकी-ज़ो विधायकों ने मैतेई बहुल इंफाल शहर, जहां विधानसभा स्थित है में अपनी सुरक्षा के बारे में चिंताओं को लेकर सत्र से दूर रहने का फैसला किया है.

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