HomeAdivasi Dailyविपक्ष पर सीएम सोरेन का पलटवार, निराधार हैं जमीन हड़पने के आरोप

विपक्ष पर सीएम सोरेन का पलटवार, निराधार हैं जमीन हड़पने के आरोप

सीएम सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार ने राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता से नियोजन नीति, सरना धर्म कोड का प्रस्ताव, ओबीसी आरक्षण से संबंधित विधेयक विधानसभा से पारित कराया. इसे कानूनी प्रक्रिया के तहत राज्यपाल और केंद्र सरकार को भेजना होता है. कभी कानूनी अड़चनों से राज्यपाल लौटाते हैं. कभी उनके पास रखा रह जाता है. तो कभी केंद्र सरकार अपनी अलमीरा में रख लेती है.

विपक्ष पर सीधे तौर पर हमला न करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jarkhand CM Hemant Soren) ने सोमवार को कहा कि यह विडंबना है कि उनके परिवार, जिसने “आदिवासियों और मूलवासियों के हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है”, आज उन्हीं पर आदिवासी भूमि हड़पने का आरोप लगाया जा रहा है.

आदिवासियों को जमीन लौटाने की उनकी सरकार की पहल के बारे में एक निजी समाचार चैनल के एक समारोह में एक विशेष सवाल का जवाब देते हुए, सोरेन ने कहा कि राज्य में आदिवासियों को कई एकड़ जमीन पहले ही वापस कर दी गई है.

सीएम सोरेन ने एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया के सवाल पर कहा कि राज्य में आदिवासियों को कई एकड़ जमीन पहले ही वापस कर दी गई है.

उन्होंने कहा, उन्होंने कहा, ”फिलहाल मेरे खिलाफ जमीन हड़पने के कई आरोप लगाए जा रहे हैं. लेकिन विडंबना यह है कि जिस व्यक्ति ने आदिवासियों को महाजनी व्यवस्था से मुक्ति दिलाने में मदद की उस पर आदिवासियों की जमीन हड़पने का आरोप लगाया जा रहा है. तथ्य यह है कि हमारे प्रयासों के कारण ही असंख्य आदिवासी और मूलवासी अपनी भूमि की रक्षा करने में सक्षम हुए हैं. अगर लोग अपनी ज़मीन मेरे नाम पर रखकर उसकी रक्षा कर रहे हैं तो पूरा राज्य अपनी ज़मीन की रक्षा के लिए मेरे नाम का उपयोग कर सकता है.”

सोरेन ने कहा, “जहां तक आदिवासियों को जमीन लौटाने का सवाल है, हमने हज़ारीबाग में 1,000 एकड़ से अधिक जमीन लौटा दी है. वह जमीन भी वापस कर दी गई है जिसका इस्तेमाल नेतरहाट में फायरिंग रेंज के लिए किया गया था. ऐसी शिकायतों के समाधान के लिए एक न्यायाधिकरण बनाया गया है. हमने आदिवासियों की जमीनें लौटा दी हैं और कई अन्य जमीनें पाइपलाइन में हैं.”

हेमंत सोरेन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व सरकार में लैंडबैंक बनाकर यहां की जमीन का बंदरबाट किया गया. यह सब जानते हैं और सरकारी दस्तावेजों में भी दर्ज  है.

मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को अलग झारखंड के लिए आंदोलन के साथ-साथ आदिवासी गांवों में महाजनों (साहूकारों) के खिलाफ अभियान चलाने का श्रेय दिया जाता है.

भ्रष्टाचार और घोटाला को लेकर विपक्ष के आरोपों पर कहा कि राजनीतिक रूप से हतोत्साहित होने पर उनका ऐसा व्यवहार देखने को मिल रहा है.

सीएम सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार ने राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता से नियोजन नीति, सरना धर्म कोड का प्रस्ताव, ओबीसी आरक्षण से संबंधित विधेयक विधानसभा से पारित कराया. इसे कानूनी प्रक्रिया के तहत राज्यपाल और केंद्र सरकार को भेजना होता है. कभी कानूनी अड़चनों से राज्यपाल लौटाते हैं. कभी उनके पास रखा रह जाता है. तो कभी केंद्र सरकार अपनी अलमीरा में रख लेती है.

उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि राज्यवासियों की मूल भावना को ताकत मिले और हम इसी अनुरूप कार्य करने पर अड़े हैं. उन्होंने कहा कि यह सब करना डबल इंजन की सरकार के लिए आसान था.

लेकिन पिछले 20 वर्षों के दौरान 1932 खतियान, सरना धर्म कोड, ओबीसी, एसटी, एससी के आरक्षण में वृद्धि पर पहल नहीं की गई. वह इस पर विधायी ताकत से आगे बढ़ेंगे और जरूरत पड़ने पर राजनीतिक ताकत से भी मांग तेज करेंगे.

सीएम हेमंत का यह बयान झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के आरोप लगाने के कुछ दिन बाद आया है कि सोरेन परिवार ने आदिवासियों की जमीन खरीदकर और नाम बदलकर उसे हड़प लिया.

13 अगस्त को राज्यव्यापी संकल्प यात्रा शुरू करने से एक दिन पहले मरांडी ने आरोप लगाया कि सोरेन और उनके भाइयों ने उनके और उनके पिता के नाम बदलकर आदिवासी जमीनें खरीदीं.

सोरेन की टिप्पणी इसलिए भी अहम है क्योंकि यह ऐसे समय में आई है जब उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुलाया है. जो राज्य की राजधानी रांची में कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.

ईडी ने सोरेन को 14 अगस्त को उसके सामने पेश होने के लिए बुलाया था लेकिन मुख्यमंत्री ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया और समन की वैधता पर सवाल उठाए. सोरेन ने इसे “राजनीति से प्रेरित” बताते हुए समन वापस लेने की मांग की नहीं तो कहा कि वह कानूनी सहारा लेंगे.

हालांकि, ईडी ने सोरेन के जवाब को खारिज कर दिया और उन्हें दूसरी बार तलब किया है और उनसे 24 अगस्त को अपने रांची जोनल कार्यालय में उपस्थित होने का अनुरोध किया.

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