HomeGround Reportआदिवासी आंदोलन: 'हो' भाषा संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल हो

आदिवासी आंदोलन: ‘हो’ भाषा संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल हो

हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग के समर्थन में दिल्ली में आदिवासियों का यह तीसरा धरना था. लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इस मुद्दे में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

21 अगस्त यानि सोमवार को झारखंड के अलावा ओड़िशा, असम और पश्चिम बंगाल से आदिवासी दिल्ली पहुँचे. उन्होंने यहां जन्तर-मंतर पर धरना दिया.

ये आदिवासी हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. इस धरने में सिंहभूम की लोक सभा सांसद गीता कोड़ा भी शामिल थीं.

उन्होंने MBB से बातचीत में कहा कि यह धरना पहली बार नहीं हो रहा है. पहले भी दो बार हो आदिवासी अपनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग के समर्थन में दिल्ली में धरना कर चुके हैं.

जंतर-मंतर पर धरने में शामिल हुए लोगों में शामिल आदिवासी नेताओं ने यहां जमा आदिवासियों को संबोधित किया. इन नेताओं ने यह दावा किया उनकी हो भाषा उन सभी मापदंडों पर खरी उतरती है जिसके आधार पर किसी भाषा को संविधान की अनुसूचि 8 में शामिल किया जाता है.

इस सिलसिले में गीता कोड़ा ने भी MBB से बातचीत में कहा कि कई ऐसी भाषाएं हैं जिनके बोलने वालों की जनसंख्या हो भाषा बोलने वालों से कम है, लेकिन उन भाषाओं को आठवीं अनुसूची में स्थान दिया गया है.

इस धरने में कई साहित्याकार, लेखक और पत्रकार भी शामिल थे. इन्हीं में से एक साहित्यकार जवाहरलाल बांकिरा ने भी MBB से बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि देर-सबेर उनकी बात सरकार सुनेगी.

उन्होंने कहा कि अगर हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाता है तो उस भाषा में लिखने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा.

आप उपर दिए लिंक पर क्लिक करके इस धरने पर पूरी ग्राउंड रिपोर्ट देख सकते हैं.

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