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गढ़चिरौली में नहीं थम रही डायन प्रथा, साल का तीसरा मामला हुआ दर्ज

केंद्र सरकार द्वारा डायन प्रथा के रोक-थाम के लिए बेहतर प्रयास नहीं किए गए है. केंद्र में आज भी विंच हंटिंग से लड़ने के लिए एक भी प्रावधान नहीं बनाया गया है.

महाराष्ट्र (Tribes of Maharashtra) के गढ़चिरौली ज़िले से 60 वर्षीय आदिवासी डायन प्रथा (Witch hunting) का शिकार हुआ है. यह घटना गढ़चिरौली ज़िले के एटापल्ली तहसील की है.

पीड़ित का नाम पुंगती है और वे एटापल्ली तहसील के जंबिया गाँव का रहने वाला है. पीड़ित पुंगती अभी गंभीर हालत में एटापल्ली के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती है.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक पीड़ित को कुछ लोग मारते हुए उसके गाँव से करीब 2.5 किलोमीटर दूर गट्टा गाँव ले गए.

ये सभी पुंगती को पूरे रास्ते मारते रहे और उसके हाथ तक बांध दिए गए.

यह एटापल्ली ज़िले से डायन प्रथा का तीसरा मामला है. 1 मई को दो अन्य आदिवासी डायन प्रथा का शिकार हुए थे. जिसमें एक वृद्ध महिला भी शामिल थी.

पिछले साल भी गढ़चिरौली ज़िले से डायन प्रथा के तीन मामले सामने आए थे.

विच हंटिंग आदिवासी समाज का कड़वा सच है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National crime record bureau) के अनुसार भारत में 2015 से 2021 डायन प्रथा के कारण 663 हत्या हुई हैं.

इनमें से 65 प्रतिशत मामले झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य से आए थे. इसके अलावा एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार डायन प्रथा के सबसे ज्यादा मामले झारखंड से आते हैं.

यह भी देखा गया है कि डायन प्रथा का सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं होती हैं. 2020 के आंकड़ों की बात करें तो देश में विच हंटिंग के 88 मामले दर्ज हुए है.

इनमें मध्यप्रदेश में (17), छत्तीसगढ़ में (16), झारखंड में (15), ओडिशा में (14) और बिहार में (4) मामले दर्ज हुए हैं.

डायन प्रथा के ऐसे कई मामले भी रहे होंगे, जो कभी दर्ज ही नहीं किए गए. डायन प्रथा आज भी आदिवासी और ग्रामीण इलाकों के लिए अभिशाप है.

वहीं केंद्र सरकार द्वारा डायन प्रथा के मामलों के रोक-थाम के लिए बेहतर प्रयास नहीं किए गए है. केंद्र में आज भी विच हंटिंग से लड़ने के लिए एक भी प्रावधान नहीं बनाया गया है.

2016 में संसद के सदस्यीय राघव लखनपाल शर्मा द्वारा विच हंटिंग से लड़ने के लिए विधेयक लाया गया था. हालांकि यह कानून नहीं बन पाया.

इसके अलावा बिहार पहला ऐसा राज्य था, जो डायन प्रथा के खिलाफ अक्टूबर 1999 में कानून लेकर आया.

बिहार के अलावा झारखंड और ओडिशा सहित कई राज्यों में विच हंटिंग को लेकर कानून मौजूद है. लेकिन यह कानून भी राज्यों में डायन प्रथा से होने वाली हत्या और प्रताड़ना को रोकने में नाकामयाब रहे हैं.

आदिवासी इलाकों में डायन प्रथा से हत्या करने के कई अलग-अलग वजह है. इनमें परिवार में अचानक होने वाली बीमारियां या मौत, कभी पशुधन की हानि, तो कभी वित्तीय संपत्ति में गिरावट. वजह जो भी हो, लेकिन जो बात इन मामलों में कॉमन है, वो ये कि आमतौर पर किसी वंचित समुदाय के लोगों पर ही काला जादू करने का आरोप लगाया जाता है.

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