HomeAdivasi Dailyमध्यप्रदेश चुनाव: कांग्रेस घोषणा पत्र में आदिवासियों से क्या वादे किये गए?

मध्यप्रदेश चुनाव: कांग्रेस घोषणा पत्र में आदिवासियों से क्या वादे किये गए?

मध्यप्रदेश में अगले महीने यानि 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव है. इस सिलसिले में कांग्रेस ने मंगलवार को घोषणा पत्र जारी कर दिया है. पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में आदिवासियों के हित में कई सारे वादे किये हैं.

मध्यप्रदेश में अगले महीने यानि 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव है. इस सिलसिले में कांग्रेस ने मंगलवार को घोषणा पत्र जारी कर दिया है. पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में आदिवासियों के हित में कई सारे वादे किये हैं.

जिसमें प्रमुख तौर पर  सामाजिक समानता और संवैधानिक अधिकारों की बात की गई है. इसके साथ ही आदिवासियों के विकास और शिक्षा पर भी कई वादे किये हैं.

कांग्रेस सरकार ने विषेश रुप से पिछड़े जनजाति (PVTGs)  जो आदिवासियों में भी आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े हुए हैं, उनके विकास के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू करने का वादा किया है.

वहीं जंगल में रहने वाले आदिवासियों के लिए कई अधिकारों की बात भी नज़र आती है

आदिवासियों से कांग्रेस के वादे

सामाजिक समानता – अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति

1.संवैधानिक अधिकारों का पालन एवं संरक्षण

कांगेस ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए बने कानूनों को लागू करने के लिए कई वादे किये हैं.

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उपयोजना को अधिनियम का स्वरूप देने का वादा किया गया है. इसके साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जनसंख्या के हिसाब से बजट में प्रावधान किया जाएगा.

संवैधानिक संस्थाओं के पदों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को आरक्षण के साथ नियुक्तियां निकाली जाएगी.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम और नियमों के क्रियान्वयन की सतत् समीक्षा करेंगे.  अधिनियम के अंतर्गत पीड़ित पक्षकार एफआईआर क्षेत्र के थाने में दर्ज करा सकेंगे.

इसी के साथ राहत राशि भी दी जाएगी और अत्याचार से बचाव के लिए सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जाएगी.  

बीजेपी के सासन में दर्ज मामलों की समीक्षा करने के बाद ज़मीन आदिवासियों को लौटा दी जाएगी.

संविधान और आरक्षण बचाओं आंदोलन करने वाले आदिवासियों पर चल रहें प्रकरण को वापस ले लिया जाएगा.

जिसके तहत आंदोलनकारियों  को संविधान रक्षक सैनानी का दर्जा दिया जाएगा.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को सरकारी क्षेत्र में नियुक्तियां एवं शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश दिया जाएगा.

जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 1950 की बाध्यता समाप्त करेंगे, इन वर्गों में व्याप्त गरीबी, भूमिहीनता एवं अशिक्षा के कारण इनको उनकी जाति के अधिकार से कांग्रेस वचित नहीं होने देगी. इसके लिए विधानसभा में संकल्प पारित कर केन्द्र को भेजेंगे. जाति प्रमाण पत्र के लिए पिता के गोत्र को ही मान्य किया जाएगा.

शिक्षा के क्षेत्र में छात्रवृत्ति, छात्रावास

अनुसूचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत गुणवत्तायुक्त निःशुल्क स्कूली शिक्षा प्रदान करने के लिए कांग्रेस ने वादे किये हैं.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ज्यादतर संभाग में एक-एक एकलव्य- अंबेडकर पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलेंगे और सभी आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक आईटीआई खोला जाएगा.

विधि और कृषि महाविद्यालय प्रारंभ करेंगे एवं महाविद्यालय के नाम आदिवासी महामानवों के नाम से रखे जाएंगे. अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महाविद्यालय में विशेष व्यावसायिक पढ़ाई की शुरुआत की जाएगी.  

अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल क्षेत्रों बंद कर दिये स्कूलों को पुनः प्रारंभ करेंगे तथा आदिवासी अधिसूचित क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा की 2002 के पूर्व की व्यवस्था को मजबूती से लागू करेंगे.

इसलिए अधिसूचित क्षेत्र के स्कूली पाठ्यक्रमों में भील एवं गोंडी भाषा को सम्मिलित करेंगे. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आदिवासी शिक्षा, भाषा, संस्कृति आदि विषय पर शोध एवं अनुसंधान को बढ़ाने हेतु मालवा क्षेत्र में नवीन आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी.

वहीं विदेश में उच्च शिक्षा एवं शोध के लिए चिन्हित संस्थानों में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के सभी उपजातियों से छात्र/छात्राओं को भेजने के लिए सीटों में वृद्धि करेंगे आय सीमा बढ़ाया जाएगा.

इसके साथ ही चयन प्रक्रिया सरल किया जाएगा. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के स्कूली विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक पठन-पाठन सामग्री, स्कूली यूनिफार्म एवं कन्याओं को साइकिल भी दिया जाएगा.

शिक्षा ऋण उच्च शिक्षा के लिए रियायती ब्याज दर पर ऋण अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त विकास निगम अथवा राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम उपलब्ध कराएंगे. जिसकी गारंटी सरकार लेगी.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्र-छात्राओं की जनसंख्या के मान से आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नये छात्रावास ब्लॉक, जिला व संभाग स्तर पर खोले जाएंगे.

राजा रघुनाथ शाह शंकर शाह एवं डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम से निजी छात्रावास योजना प्रारंभ किया जाएगा.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के ज्यादातर क्षेत्रों में डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं रानी दुर्गावती के नाम से खेल परिसर स्थापित कर इन परिसरों में अनुसूचित जाति-जनजाति के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करेंगे एवं प्रतिवर्ष इन वर्गों की खेल प्रतियोगिता आयोजित कराएंगे.

रोजगार और उद्योग

अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के श्रमिकों को रोजगार की गारंटी के अंतर्गत 150 दिवस का सुनिश्चित रोजगार प्रतिवर्ष उपलब्ध करायेंगे श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी की दर बढ़ाएंगे एवं भुगतान सुनिश्चित करेंगे.

अकुशल श्रमिकों को कौशल उन्नयन के प्रशिक्षण देकर कुशल श्रमिक बनाएंगे. नौकरी के लिए पलायन करने वाले आदिवासियों का पलायन भी रोकेंगे.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों को सेवा एवं उद्योग क्षेत्र में बढ़ावा देने हेतु रानी दुर्गावती स्वरोजगार योजना में सुधार कर सक्रिय करेंगे.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त विकास निगम को सक्रिय करेंगे। मेपकास्ट का निगम में संविलियन करेंगे. 200 करोड़ रूपये का कॉरपस फंड निर्मित करेंगे.

राष्ट्रीयकृत बैंकों से अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को धनराशि लेने हेतु भूमि एवं भवन बंधक रखने में धारा 165 (6) के प्रावधान के कारण कठिनाई होती है.

इस संबंध में नये दिशा निर्देश जारी करेंगे. राष्ट्रीयकृत बैंक सुविधाओं का विस्तार करेंगे. भण्डार क्रम नियमों में संशोधन करेंगे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उद्यमियों द्वारा उत्पादित माल को सरकारी खरीदी में 25 प्रतिशत का आरक्षण देंगे.

पोषण, खाद्य एवं स्वास्थ्य का अधिकार

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के वर्ग बच्चों और माताओं में पोषण की गंभीर समस्या को दृष्टिगत रखते हुए इनके बाहुल्य विकासखंडों में सुपोषण अभियान चलायेंगे तथा पोषण आहार बैंक स्थापित करें.

असहाय लोगों को देवभोग राशन किट प्रदान करेंगे. आरक्षित वर्ग को खाद्य का अधिकार सुनिश्चित करेंगे. राशन वितरण को घर पहुँच सेवा को अधिक सुचारू और सशक्त करेंगे.

आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार कर उत्तम स्वास्थ्य व्यवस्था स्थापित करेंगे और यूज़ुअल अस्पताल संचालित करेंगे.

38.7 अनुसूचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में विकास कार्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति बस्ती विकास योजना प्रारंभ करेंगे.  जिसके अंतर्गत बस्तियों में पेयजल आपूर्ति विद्युतीकरण, सड़क एवं नाली के विकास कराएंगे.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के नये मजरे यलो और बस्तियों में विद्युतीकरण की पुरानी योजना लागू करेंगे एवं गांव में सौर ऊर्जा से स्ट्रीट लाइट की सुविधा देंगे.

अधिसूचित क्षेत्रों के संवैधानिक व्यवस्था

पेसा एक्ट संविधान के आर्टिकल 244 (1) पंचायत एक्सटेंशन टू शुडुल एरिया की मूल भावना के अनुरूप आदिवासी क्षेत्रों में पंचायतराज की व्यवस्था के सभी अधिसूचित 89 विकासखंडों में अक्षरशः लागू करायेंगे.

संविधान की छठवीं अनुसूची मध्यप्रदेश के 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले जिलों को छटवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर भारत सरकार को भेजा जाएगा.

नये आदिवासी विकासखण्ड प्रदेश के ऐसे विकास खण्ड जिनमें अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है, को आदिवासी विकास खण्ड के रूप में अधिसूचित करने एवं एकीकृत

आदिवासी परियोजनाओं, लघु परियोजना एवं माद्या पाकेट को पुर्नगठित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजेंगे.

कांग्रेस शासन काल में परियोजनाओं को जो अधिकार दिये गये थे बहाल करेंगे. वन अधिकार अधिनियम 2006 का उचित क्रियान्वयन कर 16 साल से प्रदेश के वंचित आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन पर अधिकार का वास्तविक लाभ देंगे.

वन अधिकार के समस्त दावों जिनमें अधिकार पत्र नहीं दिये गये, उनको फिर से जांच करायेंगे एवं पात्र वंचित कब्जाधारियों को प्रदान करेंगे एवं पट्टे की जमीन को उन्नत बनाने की योजना बनायेंगे, फसल ऋण सिंचाई, खाद बीज का प्रबंध करेंगे.

संविधान की आठवीं अनुसूची में प्रदेश की गोंडी एवं भीली आदिवासी भाषा को सम्मिलित करने का प्रस्ताव भी भेजेंगे.

आदिवासियों की जल, जंगल, भूमि की लड़ाई से प्राप्त भारत का पहला कानून भू-अर्जन अधिनियम 1894 (बाद में संशोधन Land Acquisition Rehabilitation and Resettlement Act 2013) पूर्व अधिनियम में आदिवासियों की भूमि अन्य कोई नहीं ले सकता है. इसलिए इस प्रावधान को नये अधिनियम में जोड़ने के लिए विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजेंगे.

इसी संर्दभ में आदिवासी वर्ग के कल्याण का चार्टर लागू करेंगे.

वन में रहने वाले आदिवासियों के लिए

मध्यप्रदेश आदिम जातियों का वृक्षों के हित में संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अनुमति की प्रक्रिया को सरल कर समय-सीमा में अनुमति देना सुनिश्चित करेंगे.

आदिवासी ईको टूरिज्म को बढ़ावा देंगे. आदिवासी एवं वन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म केन्द्र स्थानीय आदिवासी शिक्षित बेरोजगार को रोजगार हेतु उनके माध्यम से प्रारंभ कराएंगे.

इस प्रयोजन हेतु एक-एक एकड़ तक भूमि रियायती दर पर आवंटित कराने की योजना लाएंगे. वन क्षेत्र में ग्राम विस्थापन के कारण विस्थापित परिवारों के एक सदस्य को वन विभाग व पर्यटन विभाग द्वारा संचालित गतिविधियों में रोजगार के लिये प्राथमिकता देंगे.

बोर्ड बांस शिल्पी बोर्ड का गठन करेंगे. बांस एवं अन्य काष्ठ तथा वनोपज से वस्तु व उत्पाद निर्मित करने वाले वंशानुगत परम्परागत परिवारों को प्रशिक्षण देंगे.

बांस के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ आदिवासी एवं वंशकार कारीगरों को निःशुल्क बांस उपलब्ध करायेंगे। बांस शिल्पी का दर्जा देंगे.

आदिवासी आस्था, कला एवं संस्कृति

विश्व आदिवासी दिवस पर पुनः शासकीय स्तर पर उत्सव एवं अवकाश प्रारंभ करेंगे। रानी दुर्गावती बलिदान दिवस, टंट्या भील जयंती राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह बलिदान दिवस आदि अवसरों पर अवकाश को सुविधा देंगे.

कांग्रेस वचनबद्ध है कि आदिवासी संस्कृति क्षोण न हो तथा भारत के आदिवासियों की पहचान मूल निवासी के रूप में बनी रहे, इसलिए बनवासी शब्द के उपयोग के पक्ष में कांग्रेस नहीं रहेगी.

जबकि भाजपा समान नागरिक संहिता के नाम पर आदिवासियों की संस्कृति को क्षीण करने का प्रयास कर रही है.

मध्यप्रदेश आदिवासी भवन भोपाल में निर्मित करेंगे

आष्ठान योजना को सशक्त बनायेंगे. आदिवासियों के देवस्थलों को संरक्षित करेंगे जल एवं वन परियोजनाओं के कारण हटाए गये पूजा स्थलों को नया बनाएगें.

पूजा स्थलों की देखभाल करने वाले सेवकों पुजारियों को संरक्षण देंगे. योजना में आदिवासी सांस्कृतिक केन्द्र व सामुदायिक भवन सभी 89 विकासखंडों में बनाएंगे.

आदिवासी महामानवां टंट्या मामा एवं विरसा मुण्डा आदि की विशाल प्रतिमा स्थापित करेंगे। आदिवासी समाज को क्रियाकर्म करने के लिए भूमि आवंटन करेंगे.

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में निर्मित संरचनाओं का आदिवासी महापुरूषों के नाम से नामकरण किया जाएगा.

आदिवासी महामानवों के नाम पर सम्मान योजना टंट्या भील, रानी दुर्गावती, राजा शंकरशाह – रघुनाथ शाह, बादल भोई और जनगण श्याम, ठक्कर बापा आदि महामानवों के नाम से आदिवासी पुरस्कार एवं सम्मान कांग्रेस सरकार ने प्रारंभ किये थे.

जिनका वितरण भाजपा ने बंद कर दिया है उसे कांग्रेस पुनः प्रारंभ करेगी। आदिवासी समाज की कला, संस्कृति, ज्ञान, इतिहास और विरासतों पर अनुसंधान व दस्तावेजीकरण करने के साथ-साथ स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल करेंगे.

 आदिवासी कल्याण विभाग का पुनर्गठन

कांग्रेस सरकार आदिवासी कल्याण विभाग का पुनर्गठन करते हुये इसमें मुख्य सचिव स्तर के प्रशासनिक अधिकारी को पदस्थ करेगी अधिसूचित क्षेत्रों के प्रशासन एवं विकास हेतु सेवाओं में सुधार करेंग.

 विशेष पिछड़ी जनजातियां (PVTGs)

विशेष पिछड़ी जनजातियां विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, सहरिया एवं भारिया के प्राधिकरणों का पुनर्गठन करेंगे एवं मनोनयन की व्यवस्था को समाप्त करेंगे.

इनके कार्यक्षेत्र के बाहर रहने वाले विशेष पिछड़ी जातियों के परिवारों को लाभ से जोड़ने के लिए प्राधिकरण की सीमा का पुनः निर्धारण हेतु केन्द्र को प्रस्ताव भेजेंगे.

बैगा, भारिया एवं सहरिया हेतु विशेष पी. टी.जी. आवासीय स्कूल खोलेंगे। स्कूलों में शैक्षणिक सुविधाओं के साथ लाईब्रेरी व खेल कूद की सुविधा भी रहेगी। उच्च शिक्षा की प्रवेश प्रक्रिया में छूट देंगे.

विशेष पिछड़ी जाति के परिवार जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है. उनको कुपोषण से रोकने के लिये प्रतिमाह 1500/-रुपये देंगे.

यह राशि महिलाओं को मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होगी. इन परिवारों को देवभोग राशन किट प्रदान करेंगे.

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