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मणिपुर सरकार ने सोशल मीडिया पर हिंसा से जुड़े वीडियो, फोटो शेयर करने पर लगाई रोक

आदेश में कहा गया है कि ऐसी तस्वीरें रखने वाले किसी भी व्यक्ति को निकटतम पुलिस अधीक्षक से संपर्क करना चाहिए और कानूनी कार्रवाई के लिए फोटो जमा करना चाहिए. लेकिन अगर वे सोशल मीडिया पर तस्वीरें अपलोड करते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ प्रासंगिक कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और मुकदमा चलाया जाएगा.

पांच महीने से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में एक शख्स को जलाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद राज्य सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि वह हिंसा की तस्वीरें और वीडियो प्रसारित करने वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मुकदमा चलाएगी.

मणिपुर सरकार ने एक आदेश में कहा है कि राज्य में हिंसा और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने संबंधी वीडियो के प्रसार पर रोक लगाने के लिए अब सख्त कदम उठाए जाएंगे और कानून के मुताबिक कार्रवाई भी की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह विभाग द्वारा बुधवार को जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार हिंसक गतिविधियों की तस्वीरों को ‘बहुत गंभीरता और अत्यंत संवेदनशीलता से’ लेती है.

आदेश में कहा गया है कि शारीरिक नुकसान और सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी गतिविधियों की तस्वीरें ‘आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों की भीड़’ जमा करने में मदद कर सकती हैं, जिससे राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. सरकार ने ‘राज्य में सामान्य स्थिति लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम’ के रूप में ऐसी फोटो को प्रसारित करने से ‘रोकने’ का फैसला किया है.

आदेश में आगे कहा गया है कि ऐसी तस्वीरें रखने वाले किसी भी व्यक्ति को निकटतम पुलिस अधीक्षक से संपर्क करना चाहिए और कानूनी कार्रवाई के लिए फोटो जमा करना चाहिए. लेकिन अगर वे सोशल मीडिया पर तस्वीरें अपलोड करते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ प्रासंगिक कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और मुकदमा चलाया जाएगा.

इसमें यह भी कहा गया है कि जो लोग ‘हिंसा या नफरत भड़काने के लिए टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करते’ पाए जाएंगे तो उन पर आईटी अधिनियम और आईपीसी के प्रावधानों के तहत कार्रवाई होगी.

इंटरनेट बैन फिर से बढ़ाया गया

बुधवार को ही एक अन्य आदेश में राज्य सरकार ने राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर दोबारा लगाए प्रतिबंध को अगले पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया है.

कहा गया कि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाओं को भड़काने के इरादे वाले संदेश, फोटो, हेट स्पीच और नफरत फैलाने वाले वीडियो के प्रसारण के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जिसका राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

मणिपुर सरकार ने बीते ​23 सितंबर को करीब 143 दिन बाद इंटरनेट सेवा बहाल किए जाने की घोषणा की थी. लेकिन तीन ही दिन के अंदर जुलाई से लापता हुए दो मैतेई छात्रों के शव की वायरल तस्वीरों को लेकर इंफाल में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच 26 सितंबर को फिर से इंटरनेट सेवा बैन कर दी गई. तबसे कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए इस रोक को बढ़ाया जा रहा हैं.

इससे पहले जुलाई महीने में दो कुकी-ज़ोमी महिलाओं के साथ ज्यादती का वीडियो भी सोशल मीडिया के जरिए ही सामने आया था. महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की घटना राज्य में संघर्ष की शुरुआत के समय मई में हुई थी.

वहीं 8 अक्टूबर को एक और दर्दनाक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें एक गड्ढे में पड़े व्यक्ति को कुछ अन्य लोगों द्वारा आग लगाते हुए देखा जा सकता था. पुलिस ने इस वयक्ति को कुकी-ज़ोमी समुदाय काबताया था और कहा था कि इसकी मौत मई महीने में हुई थी और उनका शव इंफाल के एक अस्पताल में रखा हुआ है.

हथियार बरामद किए गए

वहीं सेना ने गुरुवार शाम को कहा कि असम राइफल्स, बीएसएफ और पुलिस की एक संयुक्त टीम ने कुकी बहुल चुराचांदपुर जिले के गोथाई फुलिजंग इलाके से हथियार बरामद किए. जिसमें एक 9 मिमी कार्बाइन, एक आंसू गैस बंदूक, एक तात्कालिक मोर्टार, गोला-बारूद और अन्य सामग्री शामिल थी.

सुरक्षा बलों ने मई में हिंसा के दौरान शस्त्रागारों से छीने गए 4,300 से अधिक हथियारों की बरामदगी के लिए सोमवार को ताजा तलाशी अभियान शुरू किया.

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