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मिज़ोरम चुनाव 2023: कांग्रेस राहुल गांधी के करिश्मे के भरोसे तो MNF को मिज़ो पहचान का सहारा

मिज़ोरम में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है. उनके नेता को देखने और सुनने बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. उधर सत्ताधारी MNF की तरफ से मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा कमान संभाले हुए हैं. मणिपुर संकट के संदर्भ में उन्होंने खुद को मिज़ो और कुकी जनजातीय पहचान का चैंपियन दिखाने की कोशिश की है.

मिजोरम में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. प्रदेश की जनता अगले पांच साल के लिए अपनी सरकार चुनने को 7 नवंबर को मतदान करेगी.पांच राज्यों के चुनाव का आगाज ही मिजोरम में मतदान के साथ होगा. वहीं मतों की गिनती 3 दिसंबर को होगा.

मिजोरम में चुनाव के ऐलान के साथ ही सियासी हलचल तेज़ हो गई है. प्रदेश की सत्ता पर काबिज मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) एक्टिव मोड में आ गई है और अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है.

वहीं विपक्षी कांग्रेस भी सक्रिय हो गई और 40 विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.

इस सबके बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्य की राजनीति में एंट्री लेते हुए इस बार राज्य में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

MNF की तैयारी

मुख्यमंत्री जोरामथंगा खुद आइजोल पूर्व-1 और डिप्टी सीएम टावनलुइया तुइचांग सीट से चुनाव मैदान में हैं. एमएनएफ ने एक-एक सीट को लेकर तैयारी का प्लान बनाया है, विपक्षी व्यूह भेदने की रणनीति को पार्टी अंतिम रूप देने में जुट गई है.

जोरामथंगा 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव जीतकर 10 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनकी कोशिश 2023 में भी वही इतिहास दोहराने की है. जोरामथांगा ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में लौटेगी और 40 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 25 से 35 सीट हासिल करेगी.

मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि 2018 के विधानसभा चुनावों में एमएनएफ द्वारा सत्ता से बेदखल हो चुकी कांग्रेस सात नवंबर को होने वाले चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर सकेगी.

उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया, ‘हम आगामी विधानसभा चुनावों के लिए खुद को तैयार करने में व्यस्त हैं. हमें वास्तव में उम्मीद है कि हम बहुमत हासिल करने और (फिर से) सरकार बनाने में सक्षम होंगे.… मैं 25 से 35 सीट हासिल करने की उम्मीद कर रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ‘जहां तक कांग्रेस का सवाल है, अगर उन्हें एक या दो सीट मिल जाती हैं तो हम उन्हें भाग्यशाली मानेंगे अन्यथा उन्हें एक भी सीट नहीं मिलनी है. भाजपा को अधिक से अधिक, दो सीट मिल सकती हैं..ऐसा न हो कि उसे भी एक सीट न मिले.. और हमारे प्रतिद्वंद्वी, जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम)… अगर वे 10 (सीट) का आंकड़ा पार करते हैं तो पार्टी भाग्यशाली रहेगी.. इसलिए हमारे लिए सरकार बनाने की अपार संभावना है.’

वहीं पिछले हफ्ते की शुरुआत में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भी जोरामथांगा ने कहा था कि एमएनएफ को सत्ता बरकरार रखने का भरोसा है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इसका प्रभाव लगातार बढ़ा है और इसके पक्ष में एक ‘लहर स्पष्ट’ थी.

सत्तारूढ़ एमएनएफ आगामी विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करके लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रहा है. कुल मिलाकर, 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा मिजो शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मिजोरम के राज्य बनने के उपरांत एमएनएफ ने तीन बार शासन किया है.

कांग्रेस की तैयारी

दूसरी तरफ कांग्रेस भी पांच साल बाद सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है. पूर्व सीएम लालथनहलवा एक्टिव हैं और सूबे में अलग-अलग विधानसभा सीटों के दौरे कर रहे हैं, नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं.

मिजोरम में कांग्रेस का पर्याय रहे लालथनहलवा के राजनीति से संन्यास लेने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है और इस चुनाव में कांग्रेस ने कुछ पुराने चेहरों पर दांव लगाया है तो नए चेहरों को भी मौका दिया है.

कांग्रेस ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ललसावता को आइजोल वेस्ट-3 सीट से टिकट दिया है. पार्टी ने मुख्यमंत्री जोरामथंगा के खिलाफ आइजोल ईस्ट-1 सीट से ललसंगलरा रातले को चुनाव मैदान में उतारा है.

सीएम जोरामथंगा को आइजोल ईस्ट-1 में चुनौती दे रहे ललसंगलरा रातले पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. आइजोल वेस्ट-1 से ललबियाकथंगा, मिजोरम कांग्रेस के उपाध्यक्ष लाल थनजारा आइजोल नॉर्थ-3 सीट से मैदान में होंगे.

कांग्रेस ने मिजोरम चुनाव में अभी सभी चार निवर्तमान विधायकों पर फिर से भरोसा जताया है. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष लालनुनमाविआ चुआंगो आइजोल नॉर्थ-1, कोषाध्यक्ष लालमालसावमा आइजोल साउथ-2, कांग्रेस विधायक दल के नेता जोडिंटलुआंगा राल्टे थोरांग से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने लालरिंडिका राल्टे को जोरामथंगा सरकार के खेल मंत्री रॉबर्ट रोमाविआ रोयते के खिलाफ हाछेक सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

कांग्रेस मिजोरम में अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के फॉर्मूले पर आगे बढ़ती नजर आ रही है. राहुल गांधी राजनीति में नए चेहरों को मौका देने की वकालत करते रहे हैं और मिजोरम की सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस सूबे में इसी फॉर्मूले पर आगे बढ़ चली है.

कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट में सीटिंग विधायकों का टिकट बरकरार रखा गया है, साथ ही नए चेहरों को भी मौका दिया गया है. कांग्रेस ने 21 फर्स्ट टाइमर्स पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने सूबे की सरकार में मंत्री रह चुके सात नेताओं को भी टिकट दिया है.

राहुल गांधी की पदयात्रा

आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए राहुल गांधी ने मिजोरम चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है. यहां दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे राहुल ने सोमवार को आइजोल में पदयात्रा की और इस दौरान लोगों की भीड़ ने उनका स्वागत किया.

उनकी पदयात्रा 5 किलोमिटर लंबी रही. उन्होंने चनमारी चौराहे से पदयात्रा शुरू की और पार्टी का झंडे लहराते कांग्रेस समर्थकों के साथ वह शहर की घुमावदार सड़कों से गुजरे.

उन्होंने पदयात्रा के दौरान सड़क के दोनों ओर मौजूद लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया. उनसे मिलने के लिए आए लोगों से उन्होंने हाथ मिलाया और बातचीत की कुछ लोगों ने कांग्रेस नेता के साथ सेल्फी भी ली.

इसके बाद उन्होंने एक सभा को संबोधित किया. राहुल ने मणिपुर की घटनाओं का जिक्र करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा. राहुल ने कहा कि कुछ महीने पहले मैं मणिपुर गया था. मणिपुर के विचार को बीजेपी ने खत्म कर दिया है. अब यह एक राज्य नहीं बल्कि दो राज्य हैं. लोगों की हत्या कर दी गई है, महिलाओं से छेड़छाड़ की गई है लेकिन प्रधानमंत्री को वहां यात्रा करना महत्वपूर्ण नहीं लगता.

वहीं लुंगलेई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने मिजोरम की जनता से कई बड़े वादे किए हैं. उन्होंने लोगों से LPG सिलेंडर के दाम करने और सभी बुर्जुग नागरिकों के लिए वृद्धावस्था पेंशन देने का वादा किया.

उन्होंने कहा, “हम एलपीजी सिलेंडर की कीमत 750 रुपए तक कम कर देंगे. हम अपने सभा वरिष्ठ नागरिकों को 2 हज़ार रुपए प्रति माह की वृद्धावस्था पेंशन भी देंगे.”

मिजोरम के लिए कांग्रेस की योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास मिजोरम को एक मॉडल स्टेट बनाने का एकदम क्लियर प्लान है.

आइजोल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मिजोरम में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के एंट्री करने के लिए मिजो नेशनल फ्रंट और ज़ोरम पीपल्स मूवमेंट टूल्स की तरह काम कर रहा है.

राहुल ने कहा कि विधानसभा चुनाव, मिजोरम के विचारों की रक्षा के लिए है. कांग्रेस पार्टी कभी भी राज्य में एंट्री करने के लिए किसी भी पार्टी का टूल्स नहीं बन सकती है क्योंकि हम वैचारिक रूप से पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं.

उन्होंने कहा कि मिजोरम के लोगों से भाजपा के खेल को विफल करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह आपकी स्वतंत्रता, परंपरा और धर्म की रक्षा के लिए है. अब आपलोग यह सुनिश्चित करें कि भाजपा के खेल को पूरी तरह से विफल कर दिया जाए.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भाजपा-आरएसएस से सच्चाई से लड़ाई लड़ी है. यही वह पार्टी है जो सबसे अधिक भाजपा पर आक्रामक तरीके से हमला किया है.

राहुल गांधी ने ये भी दावा किया कि विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन देश के 60 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है जो कि बीजेपी से भी ज्यादा है. गांधी ने आरोप लगाया कि मिजोरम की दोनों प्रमुख पार्टियां MNF और ZPM का इस्तेमाल बीजेपी ईसाई बहुल राज्य में पैर जमाने के लिए कर रही है.

राहुल ने कहा कि विपक्षी गठबंधन अपने मूल्यों, संवैधानिक ढांचे और धर्म या संस्कृति से परे लोगों की खुद को अभिव्यक्त करने और सद्भाव में रहने की स्वतंत्रता की रक्षा करके “भारत के विचार” की रक्षा करेगा.

क्षेत्रीय पार्टियां एक नई चुनौती

मिजोरम में सत्ता की मुख्य लड़ाई अब तक सीएम जोरामथंगा की पार्टी एमएनएफ और कांग्रेस के बीच रही है. लेकिन एक और क्षेत्रीय पार्टी मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस (MPC) भी यहां काफी दमदार स्थिति में है. उसने आखिरी बार 1979-1984 में सरकार चलाई थी, जब यह पूर्ण राज्य नहीं था. मिजोरम 1987 में पूर्ण राज्य बना था.

जब से मिजोरम पूर्ण राज्य बना है, यहां MPC की सरकार नहीं बनी है और सत्ता की लड़ाई MNF और कांग्रेस के बीच रही है.

हालांकि इस बार जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) नई चुनौती के रूप में सामने आई है. इस साल हुए लुंगलेई नगरपालिका चुनावों में ZPM ने 49 फीसदी वोट हासिल किए और यह राज्य की दूसरी सबसे बड़ी नगरपालिका बन गई. वहीं 29.4 फीसदी वोट के साथ MNF दूसरे और 20 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.

इसके अलावा ZPM की बात करें तो 2018 विधानसभा चुनाव में इसे 22.9 फीसदी वोट के साथ आठ सीटे और शहरी इलाकों में अच्छा-खासा समर्थन मिला. यह एक नए प़ॉलिटिकल सिस्टम की वकालत कर रही है और इसी वादे के साथ MNF और कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रही है.

क्या है सूबे का समीकरण

मिजोरम विधानसभा की 40 में से 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. प्रदेश की केवल एक सीट सामान्य है. करीब 9 लाख मतदाताओं वाले पूर्वोत्तर के इस राज्य में बीजेपी भी जोरामथंगा के नेतृत्व वाली सरकार के समर्थन में है.

हालांकि, संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर एमएनएफ विपक्ष के साथ खड़ी नजर आई थी. सीएम जोरामथंगा ने कहा था कि हम एनडीए के साथ हैं लेकिन केंद्र की हर नीति का समर्थन नहीं करते.

उन्होंने ये भी कहा था कि हम एनडीए से नहीं डरते. मिजोरम में सीएए लागू हुआ तो गठबंधन तोड़ लेंगे. इसके बाद बीजेपी की मिजोरम इकाई ने पलटवार करते हुए जोरामथंगा को गठबंधन तोड़ लेने की चुनौती दे डाली थी.

वहीं अब एमएनएफ और एचपीसी पार्टी के एक धड़े हमार पीपुल्स कन्वेंशन (रिफॉर्मेशन) ने 14 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन कर लिया है. गठबंधन के लिए एक समझौते पर एमएनएफ महासचिव लालमुअनथांगा फनाई और एचपीसी (आर) महासचिव एचटी वुंगा ने हस्ताक्षर किए.

समझौते के मुताबिक, दोनों पार्टियां आगामी विधानसभा चुनावों में एक साथ काम करेंगी और एचपीसी (आर) पूर्ण समर्थन देगी और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि तीन हमार लोगों के प्रभुत्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों – तुइवावल, चालफिल और सेरलुई में एमएनएफ उम्मीदवार जीत सकें.

दोनों पार्टियों के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर एमएनएफ सत्ता बरकरार रखती है तो तत्कालीन मिजोरम सरकार और पूर्ववर्ती भूमिगत संगठन हमार पीपुल्स कन्वेंशन (डेमोक्रेटिक) के बीच 2018 के समझौता ज्ञापन (एमओएस) को लागू करने के लिए कदम उठाएगी.

समझौते में कहा गया है कि अगर एमएनएफ सत्ता में लौटती है तो सरकार उग्रवाद के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों और एचपीसी (डी) के पूर्व कैडरों को नौकरियों सहित पुनर्वास और अन्य कल्याणकारी लाभ देगी. इसमें कहा गया है कि सरकार सिनलुंग हिल्स काउंसिल को विकसित करने के लिए एक विशेष पैकेज भी देगी और दोनों पार्टियां अगले साल होने वाले स्थानीय चुनावों में भी गठबंधन करेंगी.

2018 के चुनाव में क्या थे नतीजे

साल 2018 के चुनाव में तब की सत्ताधारी कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली थी. पार्टी महज पांच सीटें ही जीत सकी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालथनहलवा अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे.

वहीं जोरामथंगा के नेतृत्व वाली मिजो नेशनल फ्रंट को 40 सदस्यों वाली मिजोरम विधानसभा की 26 सीटों पर जीत मिली थी. जोराम पीपुल्स मूवमेंट आठ सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. वहीं पांच सीटों से निर्दलीय जीते थे.

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