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गणतंत्र दिवस की परेड में छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति से सरोबार होगा कर्तव्य पथ, कादर दंपत्ति VVIPs के तौर पर होंगे शामिल

जनसंपर्क के अधिकारियों ने यह भी बताया है कि छत्तीसगढ़ की झांकी को पांच राउंड की कठिन प्रक्रिया के बाद अंतिम स्वीकृति मिली है. रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ समिति के सामने थीम और डिज़ाइन को चुनने के बाद झांकी का थ्रीडी मॉडल (3D Model) प्रस्तुत किया गया.

गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर इस बार नई दिल्ली का राजपथ छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति से सराबोर होगा. रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ समिति ने छत्तीसगढ़ का मुरिया दरबार की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए चयनित किया है.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर को गौरव का पल बताया है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि अब छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को पूरी दुनिया देखेगी. साथ ही उन्होंने इसके लिए जनसंपर्क विभाग के अधिकारों को बधाई और शुभकामनाएं दी है.

इसके अलावा छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए यह बड़ा अवसर है क्योंकि 28 राज्यों में प्रतियोगिता के बाद केवल 16 को ही गणतंत्र दिवस की परेड की झांकी में शामिल होने का मौका मिलता है.

इस बार छत्तीसगढ़ की झांकी में अनूठा विषय और डिजाइन होने के कारण रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने प्रदेश की झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल करने के लिए चुना है.

झांकी का थीम

जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य की झांकी का विषय या थीम भारत सरकार की थीम ‘भारत – लोकतंत्र की जननी’ और ‘विकसित भारत'(India – Mother of Democracy’ and ‘Viksit Bharat’ (Developed India)) पर आधारित है.

इस बार छत्तीसगढ़ की झांकी में बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार को प्रदर्शित किया जाएगा.

इसके साथ ही झांकी में जनजातीय समाज में आदि काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाया जाएगा. जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है.

जनसंपर्क के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की झांकी की थीम और डिज़ाइन स्थानीय स्तर पर लोगों से चर्चा करने के साथ ही विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से तैयार की गई है.

झांकी का कैसे हुआ चयन ?

जनसंपर्क के अधिकारियों ने यह भी बताया है कि छत्तीसगढ़ की झांकी को पांच राउंड की कठिन प्रक्रिया के बाद अंतिम स्वीकृति मिली है.

रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ समिति के सामने थीम और डिज़ाइन को चुनने के बाद झांकी का थ्रीडी मॉडल (3D Model) प्रस्तुत किया गया.

आखिरी पड़ाव में म्यूजिक चुनने के साथ ही झांकी को अंतिम स्वीकृति मिल गई. झांकी की थीम और डिज़ाइन ने चुनने वालों को खासा आकर्षित किया है.

झांकियों की चयन प्रकिया

गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली झांकियों की तैयारियों की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाती है. इसलिए रक्षा मंत्रालय यह तय करता है कि किस राज्य और किस विभाग की झांकी गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होगी.

गणतंत्र दिवस पर झांकियों को शामिल करने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन भी किया जाता है.

इस कमिटी में आर्ट, कल्चर, पेंटिंग, स्कल्पचर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, कोरियोग्राफी के क्षेत्रों में प्रतिष्ठित शामिल होने के साथ ही एक्सपर्ट कमिटी बैठकें में विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त झांकियों के प्रस्तावों को देखा जाता है.

फिर इन झांकियों का उनके विषय, डिजाइन और उसके विजुअल इंपैक्ट के आधार पर जांच किया जाता है.

इसके बाद अपनी झांकियों की सिफारिश डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजते है.

इस दौरान कमिटी पहले फेज में सभी प्रस्तावों के स्केच/डिजाइन की जांच करने के साथ ही जरूरी होने पर इसमें संशोधन के लिए सुझाव देते है.

फिर एक बार जब कमेटी स्केच और डिजाइन को पास कर देती है तो प्रतिभागियों को अपने प्रस्तावों के 3-डी मॉडल्स के साथ आने के लिए कहा जाता है.

हालांकि, मॉडल स्टेज में आने का मतलब सेलेक्शन नहीं होता है. इसके बाद फाइनल चयन के लिए एक्सपर्ट कमेटी विभिन्न आधार पर झांकियों के 3-डी मॉडल की जांच करती है.

चयन प्रक्रिया आम तौर पर 6 से 7 राउंड की बैठक के बाद पूरी होती है.

परेड में आदिवासी दंपत्ति VVIPs के तौर पर होंगे शामिल

उधर तमिलनाडु सरकार के आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग (The Adi Dravidar and Tribal Welfare Department) ने गणतंत्र दिवस समारोह 2024 में भाग लेने के लिए वलपराई के कल्लारकुडी बस्ती (Kallarkudi settlement) में रहने वाले ‘कादर’ (Kadar) समुदाय के दो आदिवासी प्रतिनिधियों को नामित किया है.

केंद्र ने नई दिल्ली में वीवीआईपी से मिलने के अलावा गणतंत्र दिवस परेड और समारोह देखने के लिए राज्य के दो आदिवासी प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है.

इसके साथ ही केंद्र ने राज्य को सूचित किया है कि चुने गए आदिवासी प्रतिनिधियों को 22 जनवरी से 2 फरवरी तक नई दिल्ली में रहना होगा.

जे. राजलक्ष्मी (J. Rajalakshmi), जो आदिवासियों के भूमि अधिकारों के लिए जागरूक करने का काम करती हैं. वहीं उनके पति सी. जयपॉल (C. Jayapaul) भी उनका साथ देते हैं.

एक प्रेस विज्ञप्ति (press release) के हिसाब से जे. राजलक्ष्मी और उनके पति सी. जयपॉल जनजातीय कल्याण निदेशालय के अधीक्षक, संपर्क अधिकारी एन. अशोक के साथ नई दिल्ली जाएंगे.

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