HomeAdivasi Dailyक्या है एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) का रिपोर्ट कार्ड

क्या है एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) का रिपोर्ट कार्ड

एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है. 2019 में केंद्र सरकार द्वारा 452 नए एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूलों को मंजूरी दी गई थी, प्रत्येक आदिवासी ब्लॉक में एक जहां 50 प्रतिशत या अधिक एसटी आबादी है.

देश के सुदूर आदिवासी इलाकों में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential School) खोला जा रहा है.

केंद्र सरकार के इस प्रयास की जानकारी देते हुए, केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री, बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि ओडिशा में 87 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) निर्माणाधीन हैं, जबकि उनमें से कई पहले ही बन चुके हैं.

बिश्वेश्वर टुडू ने कहा, “शिक्षा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण मामला है. ओडिशा सहित कहीं भी आदिवासियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती है. वे किसी तरह 10वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी कर लेते हैं लेकिन उन्हें उच्च शिक्षा या तकनीकी शिक्षा हासिल करने का कोई अवसर नहीं मिलता है.”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए पीएम मोदी ने फैसला किया कि आदिवासी छात्रों को कक्षा 6वीं से 12वीं तक सीबीएसई पैटर्न के तहत शिक्षा मिलनी चाहिए. फिर वे इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं कर सकते हैं. तब उनका एक सफल करियर हो सकता है और आदिवासी आगे बढ़ सकते हैं.”

उन्होंने बताया कि सिर्फ ओडिशा में ऐसे 114 स्कूल होंगे और इनमें से प्रत्येक स्कूल में 500 छात्र होंगे. उन्होंने बताया कि 87 ईएमआरएस पर काम शुरू हो गया है, कुछ जगहों पर काम पूरा भी हो चुका है.

बिश्वेश्वर टुडू के मुताबिक 1 से 2 साल में सभी स्कूलों का निर्माण पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि देशभर में ऐसे करीब 700 स्कूल होंगे.

उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा पास करने के बाद हम उन्हें उच्च शिक्षा और यूपीएससी जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने में मदद करेंगे.

एकलव्य आवासीय मॉडल विद्यालय क्या है?

एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है. 2019 में केंद्र सरकार द्वारा 452 नए एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूलों को मंजूरी दी गई थी, प्रत्येक आदिवासी ब्लॉक में एक जहां 50 प्रतिशत या अधिक एसटी आबादी है.

राज्य सरकारों को इन स्कूलों के निर्माण के लिए लगभग 15 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश है.

ओडिशा में कुल 114 स्कूलों का निर्माण किया जाना है, जिनमें से 106 को कथित तौर पर मंजूरी दे दी गई है.

740 EMRS खोलने का लक्ष्य

दरअसल, साल 2018-19 के बजट में यह व्यवस्था की गई थी कि देश के हर उस ब्लॉक में जहां की कम से कम आधी आबादी आदिवासी है वहां कम से कम एक एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल की स्थापना की जाएगी.

इसके साथ ही यह भी तय हुआ था कि अगर किसी ब्लॉक में 20,000 से ज़्यादा आबादी आदिवासी है तो वहां पर भी ये स्कूल होंगे.

केंद्रीय बजट 2018-19 ने 740 एकलव्य स्कूलों के निर्माण के लिए 2022 की समय सीमा तय की थी और आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने जुलाई 2021 में संसद में इसकी पुष्टि की थी.

लेकिन फिर आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में संसदीय समिति को बताया था कि उसने कोई समय सीमा तय नहीं की है. लेकिन फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर में 3.5 लाख एसटी छात्रों को लाभ देने के लिए समय सीमा 2025-26 तक बढ़ा दी.

हालांकि, जो भी हो लेकिन सरकार अभी इस लक्ष्य से दूर खड़ी है.

पिछले साल मार्च में संसदीय पैनल ने पाया कि अब तक मंत्रालय ने आदिवासी छात्रों के लिए 689 स्कूलों को मंजूरी दी है. लेकिन 28 फरवरी, 2023 तक सिर्फ 401 स्कूल यानि 58 फीसदी स्कूल ही चालू थे.

आंकड़ों के मुताबिक, 247 स्कूलों का निर्माण पूरा, 229 स्कूल निर्माणाधीन हैं और 213 स्कूल निर्माण-पूर्व चरण में हैं.

इसके अलावा सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति ने पाया कि 2022-23 में ईएमआरएस के लिए निर्धारित 2,000 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान (BE) में से मंत्रालय ने 31 जनवरी, 2023 तक केवल 1,465.27 करोड़ रुपये यानि 73.2 फीसदी खर्च किए.

इस दौरान संसदीय पैनल ने कहा था, “जबकि 740 ईएमआरएस की स्थापना का लक्ष्य 2025-26 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है और अब तक 28 फरवरी, 2023 तक केवल 401 स्कूलों को कार्यात्मक बनाया गया है. इसका मतलब शेष वित्तीय वर्षों में 339 ईएमआरएस को कार्यात्मक बनाना होगा. समिति लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर थोड़ी आशंकित है क्योंकि जनजातीय मामलों का मंत्रालय 2022-23 में ईएमआरएस के तहत 2,000 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान में से 31 जनवरी तक केवल 1,465.27 करोड़ रुपये ही खर्च कर सका है.”

पैनल ने आगे कहा, “मंत्रालय ने सूचित किया है कि एक EMRS को पूरा करने में लगभग 2.5 साल लगते हैं. इसलिए समिति को उम्मीद है कि यदि लक्ष्य 2025-26 तक पूरा करने का है तो सभी शेष ईएमआरएस निर्माण अब शुरू हो जाएंगे.”

एकलव्य विद्यालय का बजट और खर्च

आदिवासी मामलों के मंत्रालय (MoTA) ने संसद पैनल को अपने जवाब में कहा है कि हॉस्टल और स्टाफ क्वार्टर सहित प्रत्येक एकलव्य स्कूल परिसर की स्थापना की पूंजी लागत 2021-22 में मैदानी क्षेत्रों में 20 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 37.80 करोड़ रुपए और पहाड़ी क्षेत्रों, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 24 करोड़ रुपए से 48 करोड़ रुपए कर दिया गया है.

मंत्रालय ने बताया कि सरकार स्कूल चलाने, वर्दी, किताबें और स्टेशनरी और भोजन के लिए प्रति छात्र प्रति वर्ष 1.09 लाख रुपये तक की आवर्ती लागत भी वहन करती है.

शैक्षणिक सत्र 2022-23 में कुल 1,13,275 छात्र 401 कार्यात्मक ईएमआरएस में नामांकित हैं. जिनमें से केवल 277 केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से एफिलिएटेड हैं और 43 राज्य बोर्डों से एफिलिएटेड हैं.

आदिवासी छात्रों के लिए शेष 81 स्कूलों की एफिलिएशन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. प्रत्येक स्कूल की क्षमता 480 छात्रों की है, जिसमें कक्षा 6 से 12 तक के छात्र पढ़ते हैं.

केंद्रीय बजट 2023-24 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले अगले वित्तीय वर्ष के लिए ईएमआरएस योजना के लिए 5,943 करोड़ रुपये आवंटित किए.

यह पिछले बजट की तुलना में आवंटन में 197 फीसदी की भारी वृद्धि दर्शाता है, जिसमें इस योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था.

EMRS योजना के कारण MoTA का बजट भी 2022-23 के 8,451.92 रुपये से बढ़कर 2023-24 में 12,437.41 करोड़ रुपये हो गया है.

MoTA ने पैनल को अपने जवाब में कहा, “2023-24 के दौरान बजट में वृद्धि मुख्य रूप से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की योजना के लिए बढ़े हुए आवंटन के कारण है जो करीब 6,000 रुपये है. यह वृद्धि अगले दो वर्षों में अतिरिक्त ईएमआरएस स्कूलों के निर्माण की सुविधा प्रदान करने के लिए है. क्योंकि 2025-26 तक 740 ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है.”

संसदीय पैनल को उम्मीद है कि धनराशि का “इस उद्देश्य के लिए पूरी तरह से उपयोग किया जाएगा और बाद में किसी या अन्य कारण से संशोधित नहीं किया जाएगा.”

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री सीतारमण ने घोषणा की कि अगले तीन वर्षों में केंद्र 3.5 लाख आदिवासी छात्रों की सेवा के लिए 740 ईएमआरएस के लिए 38,800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भर्ती करेगा.

वहीं दिसंबर 2022 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) द्वारा संसद को दिए गए एक जवाब के अनुसार, EMRS में कुल 41 फीसदी शिक्षण पद खाली हैं.

वार्षिक बजट 2023-24 में 38 हज़ार 800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भर्ती की घोषणा को स्पष्ट करते हुए, MoTA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पैनल को बताया कि मंत्रालय ने प्रत्येक एकलव्य स्कूलों में 26 शिक्षकों और 26 सहायक कर्मचारियों को तैनात करने का निर्णय लिया है और इसके लिए मंजूरी ले ली गई है.

मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, “अगले तीन साल तक हम हर साल 8,000 से 10,000 लोगों की भर्ती करेंगे.”

वहीं खबर लिखे जाने तक मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, सरकार द्वारा कुल 699 एकलव्य स्कूल सेंशन किए गए हैं. इनमें से 403 स्कूल फंक्शनल हैं. टोटल स्टूडेंट्स की बात करें तो इनमें 1 लाख 23 हज़ार 825 स्टूडेंट्स इनरोल हैं. इनमें 60 हज़ार 994 मेल और 62 हज़ार 831 फीमेल शामिल हैं.

ऐसे में अब देखना है कि अगले साल यानि 2025 तक सरकार द्वारा किए वादे के मुताबिक आदिवासी क्षेत्रों में 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय खोलने का लक्ष्य पूरा होता है या नहीं.

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