HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु: भेदभाव ने 27 आदिवासी छात्रों को स्कूल बदलने पर किया मजबूर

तमिलनाडु: भेदभाव ने 27 आदिवासी छात्रों को स्कूल बदलने पर किया मजबूर

तमिलनाडु के पोन्नेरी तालुक(Ponneri Taluk) के थाथामंजी गवर्नमेंट मिडिल स्कूल(Thathamanji Government Middle School) की मुदलियार(Mudaliar) प्रधानाध्यापिका उषारानी(Usharani) पर आदिवासी छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप है. ये सभी 27 छात्र इरुला जनजाति के हैं.

आज के भारत में भी कई लोगों को अक्सर जाति के आधार पर भेदभाव झेलना पड़ता है. तमिलनाडु से भी ठीक ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका (headmistress) के भेदभाव के कारण 27 आदिवासी छात्रों को स्कूल बदलना पड़ा. अब यह मामला अदालत तक भी पहुंच गया है.


यह मामला तमिलनाडु के पोन्नेरी तालुक(Ponneri Taluk) शहर के थाथामंजी गवर्नमेंट मिडिल स्कूल(Thathamanji Government Middle School) का है.


यहां के पांच वर्ष से कम उम्र के 27 इरुला छात्रों के माता-पिता ने वहां की प्रधान अध्यापिका पर भेदभाव का आरोप लगाया है.


इस बारे में पता चला है कि स्कूल की प्रधान अध्यापिका अक्सर आदिवासी समुदाय के बच्चों के साथ भेदभाव का व्यवहार करती थीं.


इस सिलसिले में दिसंबर 2022 में उन्होंने प्रधानाध्यापिका के अपमानजनक व्यवहार के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.
जिसके बाद मामले की जांच राज्य शिक्षा विभाग ने की थी. जिसमें आरोपी प्रधानाध्यापिका उषारानी के खिलाफ आरोप सही साबित हुआ था. इसके बाद उनको किसी और स्कूल में ट्रांसफ़र कर दिया गया था.


लेकिन उन्होंने अपने खिलाफ स्थानांतरण सजा को अदालत में चुनौती दी. पिछले महीने वे अदालत में केस जीत गई हैं. यानि वो एक बार फिर उसी स्कूल में नियुक्त हो गई हैं जहां उन पर आदिवासी बच्चों के साथ भेदभाव का आरोप लगा था.
अदालत के फैसले के बाद इस स्कूल में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों के मां बाप ने अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजने से मना कर दिया है. पीड़ित छात्रों के माता-पिता का कहना है कि जब तक उषारानी स्कूल की प्रभारी(in charge) है. तब तक उनके बच्चे उस स्कूल में नहीं जाएंगे.


लेकिन जब छात्रों की परेशानियों के बारे में और उनके स्कूल वापस नहीं जाना की इच्छा के बारे में कांग्रेस विधायक दुरई चंद्रशेखर(Congress MLA Durai Chandrasekar) को जानकारी मिली. तो उन्होंने छात्रों का दाखिला 14 सितंबर को गांवों से तीन किलोमीटर(3 KM) दूर कत्तूर(Kattur ) के एक दूसरे स्कूल में पंजीकृत करा दिया था.


इस मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)(Local leaders of the Communist Party of India (Marxist)) और तमिलनाडु हिल ट्राइब्स एसोसिएशन(Tamil Nadu Hill Tribes Association) ने सरकार से उषारानी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और उन पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम)( Scheduled Caste/Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities Act)) के तहत मामला दर्ज करने के साथ यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि इरुला समुदाय के बच्चों की आगे पढ़ाई उनके गाँव की सीमा के भीतर ही एक स्कूल में हो.


मीडिया से बात करते हुए तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी(Tamil Nadu Congress Committee) के अनुसूचित जाति विंग के अध्यक्ष एमपी रंजन कुमार(MP Ranjan Kumar) ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि इरुला समुदाय के बच्चे थथमंजी स्कूल में पढ़ते रहें.


इस मामले पर थाथमंजी पंचायत अध्यक्ष सेल्वी (Thathamanji panchayat President Selvi), जो खुद एक इरुला महिला हैं, ने कहा कि उषारानी इरूला के छात्रों को बाकी छात्रों से अगल रखती थी और उनके साथ अगल-अगल तरीके से भेदभाव करती थी.


वह बाकी समुदाओं के बच्चों को ऊपर बेंचों पर बैठा थी और इरुला के छात्रों को नीचे फर्श पर बैठाती थी. इरुला के छात्रों को वह निरन्तर ताने कसते रहती थी की वे दूसरे छात्रों के जितने अच्छे और प्रतिभाशाली नहीं हैं.


इसके अलावा एक बार तो उषारानी ने यह तक कहने का साहस किया की हमारे बच्चों में से बदबू आती है और उन्होंने हमारे बच्चों को यह सुझाव दिया कि उन्हें शिक्षा छोड़कर शौचालयों की सफाई करके जीविकोपार्जन करना चाहिए.
इतना ही नहीं सेल्वी ने यह आरोप भी लगाया है कि यहां तक कि हमारे बच्चों के लिए शौचालय भी अलग थे और उन्हें सामान्य शौचालय का उपयोग करने की अनुमति भी नहीं थी. इसके साथ ही वह हमारे बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने की भी अनुमति नहीं देती थी.


आगे उन्होंने कहा है की पिछले साल समुदाय यह देखकर बहुत आहत हुआ था कि उनके बच्चों को उस कार्यक्रम से दूर रखा गया था. जिसे वे देखने गए थे. जिसके बाद उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किया था.


इस विरोध प्रदर्शन से सरकार को घटनाक्रम के बारे में पता चला. इसलिए जांच का आदेश दिया गया था.


इसके बाद राजस्व मंडल अधिकारी(Revenue Divisional Officer) ने एक सुलह बैठक(conciliation meeting) का आयोजन किया था. तब उषारानी अदालत के आदेशों से स्कूल वापस आने लगी थी और वह बैठक से दूर रहीं.


हालांकि वह अभिभावकों और छात्रों के आरोपों का निशाना बनीं. बैठक में माता-पिता ने अपने बच्चों को वहां पढ़ाने भेजने के लिए तैयार नहीं थे.


यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अब जबकि राजनीतिक दलों और प्रशासन के संज्ञान में यह मामला है, इरुला समुदाय के बच्चों को गांव के स्कूल में ही पढ़ने की व्यवस्था की जाएगी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments