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त्रिपुरा: मधब्बारी फायरिंग के 5 साल बाद, प्रद्योत किशोर ने आदिवासियों से एकजुट रहने का आग्रह किया

कल त्रिपुरा में ब्लैक डे पर त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) के संस्थापक प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने त्रिपुरा के आदिवासियों को साल 2019 की घटना के बारे में बताते हुए एक होने का संदेश दिया है.

पश्चिम त्रिपुरा के मधब्बारी (Madhabbari) में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान तीन लोगों को गोली लगने की घटना के पांच साल बाद टीआईपीआरए मोथा के संस्थापक प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा (pradyot kishore manikya debbarma) ने सोमवार को अपने अनुयायियों से एकजुट होने का आग्रह किया.

शाही वंशज से नेता बने किशोर माणिक्य ने कहा कि जनवरी 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को घायल करने की पुलिस कार्रवाई फिर से होगी जब तक कि आदिवासी एकजुट समुदाय के रूप में खड़े नहीं होते.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स में 2019 की घटना का विडियों साझा करने के साथ ही लिखा कि यह फिर से होगा और हम फिर गुस्सा होंगे और आंसू बहाएंगे. लेकिन याद रखें कि अगर हम सबक नहीं सीखते हैं, लोगों के ऊपर या उपनाम या धर्म के नाम पर लड़ते हैं तो इतिहास खुद को दोहराता है और हम असफल होंगे. लेकिन अगर हम समुदाय के रूप में खड़े होंगे तो यह दिन दोहराया नहीं जाएगा. एकता में हम जीवित हैं.

प्रद्योत किशोर की यह टिप्पणी त्रिपुरा के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच आई है.

वहीं सोमवार को ट्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन (Twipra Students Federation) ने सीएए के विरोध में त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद (TTAADC- Tripura Tribal Areas Autonomous District Council) के क्षेत्रों में ब्लैक डे मनाया और कहा कि सीएए विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता सुरक्षित करने की अनुमति देगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र में जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ देगा.

अगरतला में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम टीएसएफ और एनईएसओ (नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन) ने 8 जनवरी, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (एक अधिनियम बनने से पहले) के खिलाफ पूरे पूर्वोत्तर भारत में विरोध प्रदर्शन किया था. मधब्बारी में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बंदूकों से इस तरह से हमला किया कि ऐसा लगा कि यह 1919 के बाद त्रिपुरा में दूसरा जलियांवाला बाग घटना है. हमने इस घटना की निंदा की. हम इस घटना के विरोध में इस दिन को काला दिवस के रूप में मना रहे हैं.”

वहीं टीएसएफ के महासचिव हमारू जमातिया ने पहले कहा था कि आदिवासी छात्रों का संगठन 2016 में सीएए के खिलाफ मुखर रहा था.

जमातिया ने कहा था, “हम सभी भारतीय नागरिकों के कल्याण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम इसका कड़ा विरोध करते हैं. हम सीएए को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करते हैं.”

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