HomeAdivasi Dailyकेरल के एक दरियादिल आदिवासी की प्यारी सी कहानी

केरल के एक दरियादिल आदिवासी की प्यारी सी कहानी

सबसे पहले चर्चा हुई कि उस कुत्ते को किस नाम से पुकारा जाएगा और तय हुआ कि उसे लैप्पी नाम दिया जाए. लैप्पी को बच्चों के हवाले कर शाजी ने पत्नी को बताया कि उस दिन की पूरी कमाई तो डॉक्टर को दे आए हैं. उनकी पत्नी मुस्करा दी और बोलीं…वो लैप्पी की क़िस्मत का ही पैसा था.

शाजी, अपने परिवार के साथ पनमपिल्ली नगर में रहते हैं. उनके परिवार का गुज़ारा लॉटरी बेच कर होता है. उनके परिवार में उनकी पत्नी और पाँच बच्चे हैं. अगर आपको पता चले कि कई बार यह आदिवासी आदमी अपनी सारी कमाई अपने शौक़ पर ख़र्च कर देता है तो आपको उन पर ग़ुस्सा आ सकता है. 

लेकिन जब आपको उनके शौक़ के बारे में पता चलेगा तो आपका ग़ुस्सा प्यार में बदलते देर ना लगेगी. चलिए आपको उनके शौक़ और उस शौक़ पर खर्च कर दी गई दिन भर की कमाई के बारे में एक घटना सुनाते हैं.

शाजी, अपनी दुकान पर बैठे दो-तीन दिन से एक कुत्ते को सड़क पर लावारिस अवस्था में देख रहे थे. यह कुत्ता कोई मामूली कुत्ता नहीं था बल्कि जानी मानी और महँगी नस्ल ‘पग’ (Pug breed) था.

कुत्ते की हालत अच्छी नहीं थी. लगता था कई दिन से उसे कुछ खाने को नहीं मिला है. कुत्ता देख भी नहीं पा रहा था. शाजी से रहा नहीं गया और वो उस कुत्ते को जानवरों के डॉक्टर के पास ले गए.

फ़िलहाल लैप्पी खुश है

डॉक्टर ने पाया कि कुत्ते के शरीर पर कई ज़ख़्म हैं और वह देख भी नहीं पा रहा था. उन्होंने कुत्ते के इलाज के लिए ज़रूरी दवाई और उसकी देखभाल के लिए ज़रूरी एहतियात शाजी को समझा दीं.

शाजी कुत्ते को लेकर घर चले आए, यह उनके घर में 36 वाँ कुत्ता है. जी हाँ आपने ठीक पढ़ा, उनके घर में पहले से ही 35 कुत्ते मौजूद हैं. घर पहुँचे तो उनकी पत्नी और बच्चे एक और कुत्ते को देख कर परेशान नहीं हुए. 

बल्कि सबसे पहले चर्चा हुई कि उस कुत्ते को किस नाम से पुकारा जाएगा और तय हुआ कि उसे लैप्पी नाम दिया जाए. लैप्पी को बच्चों के हवाले कर शाजी ने पत्नी को बताया कि उस दिन की पूरी कमाई तो डॉक्टर को दे आए हैं. उनकी पत्नी मुस्करा दी और बोलीं…वो लैप्पी की क़िस्मत का ही पैसा था.

लोग शाजी की दुकान पर लॉटरी का टिकट ख़रीदने पहुँचते हैं. उन्हें उम्मीद होती है कि क्या पता कब उनकी क़िस्मत बदल जाए, शाजी जब दुकान खोलते हैं तो उन्हें उम्मीद रहती है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा टिकट बेच सकें, जिससे उन्हें इतना पैसा मिल जाए कि वो अपने परिवार के साथ साथ लावारिस कुत्तों को भी पाल सके.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments