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आंध्र प्रदेश: आदिवासी को अपने पत्नी का शव ले जाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ा

गांव तक सड़क नहीं होने की वजह से आदिवासी महिला के शव को ले जाने वाली गाड़ी के ड्राईवर ने आगे जाने से मना कर दिया. मजबूरन पति को बांस में कपड़ा बांध कर डोली बनानी पड़ी और किसी तरह से पत्नी के शव को घर ले गया. यह ख़बर इन दावों के बीच आई है जिनमें कहा जा रहा है कि पीएम जनमन (PM-JANMAN) के तहत विशेष रुप से पिछड़ी जनजातियों के गाँवों में सभी ज़रूरी सुविधाएं दी जा रही हैं.

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के चित्तामपाडु गाँव (Chittampadu village) में रहने वाले 24 वर्षीय आदिवासी शख्स मदाला गंगम्मा को अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने लिए सात किलोमीटर का रास्ता डोली के ज़रिए तय करना पड़ा.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक विजयनगरम ज़िले के मेत्तापलेम जंक्शन से श्रुंगवारापुकोटा (एस कोटा) मंडल के चित्तमपाडु गांव तक शव को ले जाने के लिए खराब सड़क के कारण डोली का सहारा लिया गया.

इस ख़बर का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने इस पर हस्तक्षेप करने का फैसला किया है. एनसीएसटी ने अनुच्छेद 338ए के तहत मामले की जांच करने का निर्णय लिया है.

इसी संदर्भ में एनसीएसटी ने विशाखापत्तनम ज़िले के कलेक्टर ए मल्लिकार्जुन को नोटिस भेजा है. जिसमें यह आदेश दिया गया है कि वे अगले सात दिनों के भीतर घटना के बारे में एक रिपोर्ट तैयार करके एनसीएसटी को सौंपे, ताकि इस रिपोर्ट के ज़रिए जांच को सही तरीके से कर पाए.

क्या है पूरा मामला

चित्तमपाडु गांव के रहने वाले मदाला गंगम्मा की पत्नी और तीन महीने का बेटा गंभीर रूप से बीमार थे. जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी और बेटे को 3 जनवरी को अस्पाताल में भर्ती कराने का फैसला किया.

इसके लिए ग्रामीणों की मदद से उन्हें सात किलोमीटर तक डोली के सहारे एस. कोटा सरकारी अस्पताल में ले जाया गया.
बाद में उन्हें बेहतर इलाज के लिए विशाखापत्तनम के किंग जॉर्ज अस्पताल (केजीएच) में रेफर कर दिया गया था. लेकिन वहां बच्चे की मौत हो गई और 10 दिन बाद उनकी पत्नी की भी मौत हो गई.

अपनी पत्नी के शव को ले जाने के लिए गंगम्मा ने विशाखापत्तनम में एक निजी एम्बुलेंस किराए पर ली थी. लेकिन बोड्डावारा जंक्शन पहुंचने के बाद सड़क की खराब हालत के कारण ड्राइवर ने आगे जाने से मना कर दिया.

कोई अन्य विकल्प नहीं बचने के बाद गंगम्मा ने अपनी पत्नी के शव को दोपहिया वाहन पर तीन किलोमीटर तक मेत्तापलेम जंक्शन तक पहुंचाया और वहां से डोली के सहारे अपने गाँव तक शव को ले गए.

जिला पंचायत राज विभाग ने कहा है कि यह ख़बर मिलने के बाद पहाड़ी गांव तक सड़क निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किया है.

पंचायत राज अधीक्षण अभियंता (एसई) जीएसआर गुप्ता ने कहा, “हमने 10.4 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ विशाखापत्तनम-अराकू रोड से चित्तमपाडु के माध्यम से 10.2 किमी की दूरी पर सड़क के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया है और प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तहत अनुमति मांगने के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है.”

इसके अलावा बुधवार को पार्वतीपुरम एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए) के परियोजना अधिकारी (पीओ), सी विष्णु चरण ने चित्तमपाडु गांव का दौरा किया और स्थानीय लोगों के मुद्दों के बारे में जानकारी भी ली है.

यह मामला दिखाता है कि कैसे आदिवासियों को प्रशासनिक उदासीनता की वजह से अमानवीय हालातों से गुज़रना पड़ता है.

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