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बीजेडी के चंद्र शेखर साहू ने की ओडिशा में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल 2023 पर चर्चा के दौरान चंद्र शेखर साहू ने ओडिशा में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग की है.

बीजेडी सांसद (बेरहामपुर) (BJD Berhampur MP) चंद्र शेखर साहू (Chandra Shekar Sahu) ने ओडिशा (Odisha) में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (Central tribal university) बनाने की मांग की है. ओडिशा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद देश में सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी वाला राज्य है.

शीतकालीन सत्र (Winter Session of parliament) के पहले दिन ही तेलंगाना में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल 2023 (Central Universities (Amendment) Bill-2023) को पेश किया गया था.

ये बिल केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान द्वारा लोकसभा में पेश किया गया. बुधवार को लोकसभा में इस बिल पर बोलते हुए, साहू ने कहा कि ओडिशा में कुल आबादी का 22 प्रतिशत से भी अधिक आदिवासी आबादी है.

इसके साथ ही उन्होंने बताया की राज्य में 62 आदिवासी समुदाय रहते हैं और उनमें से भी 13 समुदाय विशेष रूप से कमज़ोर जनजाति (पीवीटीजी) हैं. इन 13 आदिवासी समुदाय को उनकी विशिष्ट सामाजिक प्रथाओं के कारण एक विशेष श्रेणी (पीवीटीजी) माना जाता है.

अक्टूबर की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन करने के लिए संसद में केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल 2023 को पेश करने की मंजूरी दे दी थी.

बिल को पेश करने की मंजूरी से कुछ हद तक तेलंगाना के मुलुगु जिले में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना का रास्ता खुल गया है. वहीं आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अनुसार तेलंगाना में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना जरूरी है.

जब बिल को लेकर चर्चा की जा रही थी तब बीजेडी के चंद्र शेखर साहू ने ओडिशा में उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं पर सभा में बैठे सभी का ध्यान केंद्रित किया. किसी राज्य में जनजातीय विश्वविद्यालय गठन होने से उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ेगी और राज्य के रहने वाले लोगों के लिए उच्च शिक्षा और भी सुविधाजनक होगी.

इसके साथ ही छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्ररेणा भी मिलेगी. लेकिन आदिवासी इलाकों में ये भी देखा गया है की बच्चें अपनी स्कूलिंग ही पूरी नहीं कर पाते. ओडिशा से जुड़ी एक रिसर्च के मुताबिक 90 प्रतिशत आदिवासी लड़कियां स्कूल में अनुपस्थित होती है.

इसके कई कारण है, जिनमें कुछ मुख्य कारण ये है – 35 प्रतिशत लड़कियां अपने परिवार के किसी सदस्य के बीमार होने की वज़ह से नहीं आती और कुछ अपने परिवार की खेती करने में मदद करती है.

आदिवासी इलाकों में आज भी बच्चे प्राथमिक शिक्षा से आगे नहीं पढ़ पाते हैं. इसी कारण बेहद ही कम बच्चे कॉलेज तक पहुंचते हैं. इसलिए अगर सरकार को आदिवासी इलाकों के शिक्षा को ज़मीनी स्तर पर बदलना है तो उन्हें पहले ये निश्चित करना होगा की सभी बच्चें अपनी स्कूलिंग पूरी कर सके.

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