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भाजपा सिर्फ आदिवासियों की बात करती है, असल में सबसे बड़ी विरोधी वही – हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया है. इससे आदिवासियों को उनके वन अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा. भाजपा आदिवासियों के बारे में सिर्फ बात करती है लेकिन असल में वे सबसे बड़े आदिवासी विरोधी हैं.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और बीजेपी को ‘आदिवासी विरोधी’ बताया. उन्होंने कहा कि सिर्फ मणिपुर (Manipur) ही नहीं बल्कि पूरा पूर्वोत्तर इसी दौर से गुजर रहा है.

हेमंत सोरेन ने कहा, “वे (भाजपा) आदिवासियों के बारे में बात करते हैं लेकिन वो सबसे अधिक आदिवासी विरोधी हैं. मणिपुर में जो हुआ वह छिपा नहीं है. सिर्फ मणिपुर ही नहीं बल्कि पूर्वोत्तर के पूरे पहाड़ी इलाके इसी दौर से गुजर रहे हैं. मणिपुर में आदिवासी समाज पर अत्याचार हो रहा है और वहां (भाजपा) सरकार मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है…”

सोरेन ने सांप्रदायिक तनाव से प्रभावित हरियाणा का मुद्दा भी उठाया. साथ ही आदिवासी और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर पिछले पांच दिनों से विधानसभा में हंगामा करने के लिए भाजपा की आलोचना की.

उन्होंने कहा, “भाजपा झारखंड में कानून-व्यवस्था की स्थिति की बात करती है लेकिन हरियाणा में क्या हो रहा है? उनकी (भाजपा की) नीति बांटो और राज करो की है.”

वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन पर उन्होंने कहा, “मैं न तो पिछले साल ग्राम सभा का अधिकार छीनने वाले संशोधित नियमों को इस राज्य में लागू होने दूंगा और न ही कानून में बदलाव कर आदिवासियों को उनके जंगलों से बेदखल करने की केंद्र सरकार की योजना को सफल होने दूंगा. राज्य सरकार विस्थापन आयोग, एससी और एसटी आयोग का गठन करने जा रही है.”

दरअसल, लोकसभा के चल रहे मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया है जिससे आदिवासियों को उनके वन अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाएगा.

हेमंत सोरेन ने आगे रोजगार नीति पर बात की. उन्होंने सदन को बताया, “विपक्ष ने झारखंड के युवाओं को गुमराह करने के लिए ’60-40’ का नारा दिया. जबकि तथ्य यह है कि यह पिछली (भाजपा) सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था. हमारी सरकार ने झारखंड के युवाओं को 100 प्रतिशत नौकरियां सुनिश्चित करने के लिए 1932 के खतियान पर आधारित अधिवास नीति लाई. राजभवन में मामला फंस गया और हम कुछ नहीं कर सके. लेकिन  1932 की खतियान आधारित रोजगार नीति के लिए हमारा प्रयास जारी रहेगा. हम फिर से एक विधेयक लाएंगे और इसे विधानसभा में पारित करेंगे.”

उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए 1932 की भूमि रिकॉर्ड आधारित नीति पर युवाओं से परामर्श के बाद आम सहमति से निर्णय लिया गया और झारखंड में लगभग 50,000 पदों पर नियुक्ति सुनिश्चित करने की प्रक्रिया जारी है.

उन्होंने कहा, “मौजूदा नीति में 50 प्रतिशत सीटें पहले से ही एससी/एसटी/ओबीसी के लिए और अन्य 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित हैं. बाकी 40 फीसदी सीटों पर झारखंड के छात्र हकदार हैं.”

सोरेन ने आरोप लगाया कि राज्य में भाजपा के कार्यकाल के दौरान लगभग 75 प्रतिशत सीटें बाहरी लोगों से भरी गईं. उन्होंने कहा, “हमारी कड़ी निगरानी के कारण अब केवल 15-20 प्रतिशत सीटें ही बाहरी लोगों को मिलती हैं. लेकिन हमारा प्रयास इसे शून्य फीसदी पर लाने का है.”

देर शाम सोरेन के भाषण के तुरंत बाद झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.

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