HomeAdivasi Dailyमणिपुर: बिष्णुपुर और चुराचांदपुर में ताजा हिंसा में पांच की मौत

मणिपुर: बिष्णुपुर और चुराचांदपुर में ताजा हिंसा में पांच की मौत

मणिपुर हिंसा को तीन महीने से भी ज्यादा वक्त हो गया है लेकिन अभी यहां हालात बेकाबू हैं. वहीं 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा शनिवार को बुलाई गई 24 घंटे की आम हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और लगभग सभी इलाकों में बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे.

(Manipur News) मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की आग जल उठी है. आज तड़के बिष्णुपुर और चुराचांदपुर (Bishnupur-Churachandpur) जिलों में पांच लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद पूर्वोत्तर राज्य में मरने वालों की संख्या बढ़कर 187 हो गई है. मारे गए लोगों में से तीन मैतेई समुदाय और दो कुकी-ज़ो समुदाय से थे.

बिष्णुपुर के डिप्टी कमिश्नर लौरेम्बम बिक्रम ने बताया कि कुकी-ज़ो की भीड़ के हमले में मैतेई लोग घरों के अंदर मारे गए. इस बीच चुराचांदपुर के पुलिस अधीक्षक ने दो कुकी समुदाय के लोगों के मौत की पुष्टि की.

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हिंसा किस कारण से भड़की. लेकिन इलाके में इस हिंसा के बाद हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं.

घटना सुबह 4 बजे के आसपास मैतेई-प्रभुत्व वाले बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा क्षेत्र और चुराचांदपुर के फोलजांग गांव में और उसके आसपास हुई.

चुराचांदपुर के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमें नहीं पता कि यह कैसे शुरू हुआ. दोनों पक्षों की अलग-अलग कहानियाँ हैं. हम पुष्टि करने की कोशिश करेंगे. दोनों पक्षों ने दावा किया कि दूसरे ने पहले आकर हमला किया लेकिन सबसे पहले किसने प्रवेश किया यह अभी भी विवादास्पद है.

क्वाक्टा में जान गंवाने वाले तीनों मृतकों की पहचान युमनम जितेन मैतेई (46), युमनम पिशाक मैतेई (67) और युमनम प्रेमकुमार मैतेई (39) के तौर पर की गई है. ये सभी क्वाक्टा लामल्हाई के रहने वाले थे.

पुलिस ने बताया कि तीन मृतकों में पिता-पुत्र शामिल हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से बताया कि तीनों व्यक्तियों की कथित तौर पर सोते समय हत्या कर दी गई.

पुलिस के मुताबिक तीनों मृतक एक राहत शिविर में रह रहे थे लेकिन हालात में सुधार होने के बाद 4 अगस्त को क्वाक्टा में अपने घर लौट आए थे. पुलिस ने कहा कि घटना के तुरंत बाद, गुस्साई भीड़ क्वाक्टा में जमा हुई, जो चुराचांदपुर की ओर जाना चाहती थी लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया.

वहीं कुकी समुदाय के मारे गए दो लोगों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है.

एक अज्ञात पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि हिंसा में एक पुलिसकर्मी समेत तीन अन्य लोग भी घायल हो गए. अधिकारी ने कहा, “पुलिसकर्मी के चेहरे पर छर्रे लगे हैं. तीनों को इलाज के लिए इंफाल के राज मेडिसिटी लाया गया है. वे खतरे से बाहर हैं.”

गुरुवार को हुई थी फायरिंग

इससे दो दिन पहले गुरुवार, 3 अगस्त को बिष्णुपुर जिले में ही सशस्त्र बलों और मैतेई समुदाय के प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी. इस दौरान 17 लोग घायल हो गए थे.

बिष्णुपुर में कई जगहों पर फायरिंग के बाद हालात तनावपूर्ण बन गए थे. अनियंत्रित भीड़ की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प भी हुई. मणिपुर पुलिस की ओर से बताया गया कि सुरक्षा बलों ने सात अवैध बंकरों को नष्ट कर दिया.

सुरक्षा बलों ने उपद्रवियों पर जवाबी कार्रवाई भी की थी. मणिपुर पुलिस का कहना है कि स्थिति फिर से बेकाबू हो गई है. हथियार और गोला-बारूद लूटे गए हैं.

27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति की हड़ताल

मणिपुर में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति की ओर से शनिवार, 5 अगस्त को 24 घंटे की आम हड़ताल बुलाई गई. हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा.

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल घाटी में लगभग सभी इलाकों में बाजार बंद हैं. आधी रात से बुलाई गई इस हड़ताल की वजह से सड़कों पर गाड़ियों की आवा-जाही प्रभावित है. सड़कों पर सिर्फ कुछ प्राइवेट गाड़ियां ही दिखीं. स्कूल बंद रहे.

हालांकि, इस हड़ताल का पहाड़ी जिलों पर कोई खास असर नहीं देखा गया.

समन्वय समिति के मुताबिक, ये हड़ताल आपातकालीन विधानसभा सत्र के लिए की गई है ताकि कई मुद्दों पर चर्चा की जा सके. इससे पहले समिति के संयोजक एल बिनोद ने कहा था कि हड़ताल लोगों की कठिनाइयों को बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि “सरकार पर दबाव बनाने” के लिए है.

विधानसभा सत्र के लिए कैबिनेट ने की राज्यपाल से सिफारिश

इस बीच मणिपुर मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को मणिपुर मंत्रिमंडल ने राज्यपाल अनुसूइया उइके से राज्य विधानसभा का अगला सत्र 21 अगस्त को बुलाने की सिफारिश की है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई. विधानसभा का पिछला सत्र मार्च में आयोजित हुआ था.

इस संबंध में एक संक्षिप्त अधिसूचना में आज कहा गया, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने 21 अगस्त, 2023 को 12वीं मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र बुलाने के लिए मणिपुर की माननीय राज्यपाल से सिफारिश की है.’

इसके अलावा कांग्रेस ने भी राज्यपाल उइके से राज्य में जारी अभूतपूर्व उथल-पुथल पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने का अनुरोध किया था. कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता ओकराम इबोबी सिंह सहित पांच कांग्रेस विधायकों ने पिछले महीने राज्यपाल को इस सिलसिले में एक पत्र भी लिखा था.

पत्र में उन्होंने कहा था, ‘मई की शुरुआत से जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के तरीके और मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने और सुझाव प्राप्त करने के लिए विधानसभा सबसे उपयुक्त मंच है.’

मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा 

मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था. इस दौरान तब पहली बार राज्य में जातीय झड़पें हुईं थी और तब से अब तक हालात काबू नहीं हो पाए हैं.

(Image credit: AFP)

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