HomeAdivasi Dailyतेलंगाना वन अधिकारी की हत्या के मामले में दो आदिवासियों को उम्रकैद

तेलंगाना वन अधिकारी की हत्या के मामले में दो आदिवासियों को उम्रकैद

इस घटना के बारे में अधिकारियों ने बताया है कि वन विभाग के रेंज ऑफ़िसर को यह सूचना दी गई थी कि जंगल के जिस हिस्से में नया पौधारोपण किया गया था वहां पर कुछ आदिवासी जानवर चरा रहे हैं. जब रेंज आफ़िसर मौके पर पहुंचे और उन्होंने आदिवासियों को पेड़ काटने से रोका तो उन्होंने रेंज ऑफ़िसर के सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर दिया.

तेलंगाना (Telangana) के भद्राद्री कोठागुडेम (Bhadradri Kothagudem) जिले की एक स्थानीय अदालत ने नवंबर 2022 में 42 वर्षीय वन रेंज अधिकारी (FRO) की हत्या के मामले में दो आदिवासियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

अदालत ने जिले के चंद्रुगोंडा मंडल के एर्राबोडु गांव के गुट्टिकोया आदिवासी समुदाय के मदकम तुला (43) और पोडियम नंगा (37) को सजा सुनाई है. अदालत ने उन पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

उन्होंने 22 नवंबर 2022 को वन रेंज अधिकारी श्रीनिवास राव (Ch Srinivasa Rao) की कुल्हाड़ी से वार कर हत्या कर दी थी.

राव को 2021 में वन संरक्षण के लिए केवीएस बाबू राज्य स्वर्ण पदक दिया गया था.

इस घटना के बाद प्रशासन का कहना था कि जब वन विभाग की टीम ने आदिवासियों को पोडू भूमि के लिए पेड़ काटने से रोका तो उन्होंने रेंज ऑफ़िसर पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया.

वहीं बेंदलापाडु अनुभाग अधिकारी रामाराव अपनी जान बचाने के लिए भाग निकले थे.

इस घटना के बारे में अधिकारियों ने बताया है कि वन विभाग के रेंज ऑफ़िसर को यह सूचना दी गई थी कि जंगल के जिस हिस्से में नया पौधारोपण किया गया था वहां पर कुछ आदिवासी जानवर चरा रहे हैं. इसके अलावा उन्हें सूचना मिली थी कि आदिवासी जमीन पर क़ब्ज़ा करने के लिए जंगल से पेड़ भी काट रहे हैं.

जब रेंज आफ़िसर मौके पर पहुंचे और उन्होंने आदिवासियों को पेड़ काटने से रोका तो उन्होंने रेंज ऑफ़िसर के सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर दिया.

यह हत्या वन अधिकारियों और आदिवासियों के बीच बढ़ती झड़पों के बीच हुई जो पोडु भूमि या आदिवासियों और अन्य वनवासियों द्वारा खेती के तहत वन भूमि पर अधिकार का दावा करते हैं.

पोडु भूमि विवाद

तेलंगाना में पोडु भूमि पर खेती करने के अधिकार के लिए आदिवासी समुदायों के लोगों और वन विभाग का संघर्ष काफी पुराना है. जहां एक तरफ आदिवासियों का दावा है कि जंगल में उनके पुरखों के जमाने से वो खेती करते आए हैं. जबकि वन विभाग का दावा है कि जंगल की भूमि पर आदिवासी अतिक्रमण करते हैं.

तेलंगाना सरकार ने राज्य में जंगल को बचाने और बढ़ाने के लिए हरिता हरम योजना शुरू की है. इस योजना के ज़रिए जंगल के जिस इलाक़े से पेड़ काटे गए हैं वहाँ पर नए पौध लगाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है. इस योजना के तहत पौधारोपण के दौरान भी आदिवासियों और वन विभाग के बीच टकराव हुआ है.

आदिवासियों का कहना है कि जिस ज़मीन पर आदिवासी खेती करता है, उसे तैयार करने में बरसों की मेहनत लगती है.

दरअसल, पोडु खेती या स्थानांतरित खेती आदिवासियों के बीच एक प्रथा रही है जो जंगलों को साफ करके खेती के लिए नई भूमि की पहचान करते हैं. आदिवासी लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें उस जमीन का मालिकाना हक दिया जाए जिस पर वे खेती करते हैं.

आदिवासी और वन विभाग

तेलंगाना में वन क्षेत्र में भूमि के स्वामित्व को लेकर पहले भी वन अधिकारियों और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं लेकिन 2014 में राज्य के विभाजन के बाद से यह पहला ऐसा घातक हमला था.

2019 के बाद से तेलंगाना के आदिवासियों और वन अधिकारियों के बीच झड़प की कम से कम आठ बड़ी घटनाएं सामने आईं हैं.

इनमें सबसे बड़ी खतरनाक घटना एक जून 2019 में हुई थी. वन रेंज अधिकारी सी. अनीता पर कथित तौर पर सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के एक नेता कोनेरू कृष्ण राव के नेतृत्व वाली भीड़ ने बेरहमी से उन पर हमला बोल दिया था.

दूसरी ओर ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जहां आदिवासी वन अधिकारियों के पैरों में गिरकर, उनसे उनकी जमीन न लेने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं.

संघर्ष के केंद्र में ‘पोडु भूमि‘ है. इन जमीनों का स्वामित्व दशकों से सवालों के घेरे में है और अविभाजित आंध्र प्रदेश में भी यह एक मुद्दा है. हालांकि तेलंगाना सरकार के प्रमुख वनीकरण कार्यक्रम ‘हरिता हरम’ ने इसने वन भूमि को जांच के दायरे में ला खड़ा किया है.

2006 में पारित अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, वनवासियों को एक निश्चित तिथि से पहले कब्जे से संबंधित नियमों और शर्तों के साथ भूमि पर कानूनी अधिकार प्रदान करता है.

पोडु भूमि पट्टा का वितरण शुरू

हालांकि, राज्य सरकार का दावा है कि अब वो पोडु भूमि मुद्दे को सुलझा रही है. इसी साल 30 जून को मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (K Chandrashekhar Rao) ने औपचारिक रूप से राज्य में पोडु भूमि पट्टों (Podu land pattas) के वितरण की शुरुआत की और आसिफाबाद (Asifabad) के नए खुले एकीकृत जिला कार्यालय परिसर में लाभार्थी आदिवासियों को दस्तावेज़ सौंपे.

तेलंगाना सरकार का कहना है कि 26 जिलों के लगभग 1.5 लाख आदिवासियों को वन क्षेत्रों में 4 लाख एकड़ से अधिक पोडु भूमि पर खेती करने का अधिकार दिया जाएगा.

26 जिलों में फैले इन लाभार्थियों में से 82 प्रतिशत दावे मुख्य रूप से नौ आदिवासी जिलों – भद्राद्री कोठागुडेम, महबुबाबाद, कुमुराम भीम आसिफाबाद, आदिलाबाद, मुलुगु, खम्मम, वारंगल, नगरकुर्नूल और मंचेरियल के हैं. इनमें से 50 हज़ार से अधिक दावे अकेले भद्राद्री कोठागुडेम जिले से हैं.

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