HomeAdivasi Dailyबीजेपी चुनावी फायदे के लिए दलित-आदिवासी राष्ट्रपति बनाती है- मल्लिकार्जुन खड़गे

बीजेपी चुनावी फायदे के लिए दलित-आदिवासी राष्ट्रपति बनाती है- मल्लिकार्जुन खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की प्रथम नागरिक हैं. वह अकेले सरकार और विपक्ष के साथ ही हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करतीं तो ये लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार के कमिटमेंट का प्रतीक होता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन करेंगे. लेकिन पीएम मोदी के संसद भवन का उद्घाटन को लेकर सियासत तेज़ हो गई है. विपक्षी कांग्रेस ने इसे लेकर पीएम मोदी, केंद्र सरकार के साथ ही बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोल दिया है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक दिन पहले ट्वीट कर कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं. वहीं अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को निमंत्रण नहीं दिए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक के बाद एक चार ट्वीट कर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार दलित और आदिवासी समुदायों से राष्ट्रपति केवल चुनावी वजहों से बनाती है.

खड़गे ने कहा कि जब 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन का शिलान्यास हुआ था तब तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को निमंत्रण नहीं दिया गया था. अब उद्घाटन के कार्यक्रम में द्रौपदी मुर्मु को निमंत्रण नहीं दिया गया है.

उन्होंने कहा कि संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च लेजिस्लेटिव बॉडी है और राष्ट्रपति इसका सबसे बड़ा संवैधानिक अथॉरिटी.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की प्रथम नागरिक हैं. वह अकेले सरकार और विपक्ष के साथ ही हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करतीं तो ये लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार के कमिटमेंट का प्रतीक होता.  

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने बार-बार मर्यादा का अपमान किया है और भारत के राष्ट्रपति कार्यालय बीजेपी-आरएसएस की सरकार में टोकनिजम तक सिमटकर रह गया है.

संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक, संसद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं जिन्हें राज्यों की परिषद (राज्य सभा) और लोगों की सभा (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है.

विपक्षी नेताओं का तर्क है कि राष्ट्रपति संसद का हिस्सा होता है और उसके नए भवन के अनावरण के दौरान राष्ट्रपति की अनदेखी की जा रही है.

इस मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल आमने-सामने हैं. विपक्षी पार्टियों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय आवासन और शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि नए संसद भवन की आलोचना करने और इसकी आवश्यकता पर सवाल उठाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य योग्य लोग अब संविधान के एक लेख को गलत तरीके से पेश करके ‘गोलपोस्ट’ को स्थानांतरित कर रहे हैं.

हरदीप पुरी ने कहा कि अतीत में माननीय राष्ट्रपति के बारे में अपने नेताओं द्वारा की गई अभद्र टिप्पणियों के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष अब उनके चुनाव पर अनावश्यक टिप्पणियां करती हैं. दुखद है कि राष्ट्रीय पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस में भारत की प्रगति में राष्ट्रीय भावना और गर्व की भावना का अभाव है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर वे 24 अक्टूबर 1975 के दिन को याद करें, जिस दिन श्रीमती इंदिरा गांधी ने संसदीय एनेक्सी का उद्घाटन किया था तो उन्हें बेहतर महसूस करना चाहिए. या फिर 15 अगस्त 1987 को जब राजीव गांधी ने पार्लियामेंट लाइब्रेरी की नींव रखी थी!” उन्‍होंने कहा कि अब अपने पाखंड को सही ठहराने के लिए लेख खोजने के बजाय वे सिर्फ मुस्कुरा क्यों नहीं सकते और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि और महानता की ओर भारत के साथ जुड़ सकते हैं.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि राष्ट्रपति मुर्मू भी चाहती हैं कि मोदी नए भवन का उद्घाटन करें.

इसके अलावा कांग्रेस ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई की तारीख निर्धारित किए जाने को लेकर भी सरकार को घेरा था. 28 मई को वीर सावरकर की जयंती है. कांग्रेस ने 28 मई के दिन नए संसद भवन के उद्घाटन को देश के नायकों का अपमान बताया था.

दरअसल, राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 के दिन सरकार से नए भवन का निर्माण कराने का आग्रह किया था. संसद के आग्रह पर सरकार ने इसकी प्रक्रिया शुरू की और 10 दिसंबर 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था. 28 महीने में बनकर तैयार हुए चार मंजिला नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 384 सदस्य बैठ सकेंगे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments