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Chhattisgarh Election 2023: कांग्रेस, भाजपा दोनों ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को धोखा दिया – अरविंद नेताम

अरविंद नेताम ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज दो दशकों से अधिक समय से विभिन्न सरकारों के समक्ष आदिवासियों के मुद्दों को उठाता रहा है, चाहे वह कांग्रेस सरकार हो या भाजपा सरकार. लेकिन आपको हैरानी होगी कि राज्य में 15 साल तक शासन करने वाली भाजपा सरकार और फिर कांग्रेस सरकार (जो अब सत्ता में है) ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुभवी आदिवासी नेता अरविंद नेताम (Arvind Netam) ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों पर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों (Adivasis of Chhattisgarh) को धोखा देने का आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा कि जिसने उन्हें पूर्व पार्टी छोड़ने और अपना नया राजनीतिक संगठन, हमार राज पार्टी (Hamar Raj Party) बनाने के लिए “मजबूर” किया.

अरविंद नेताम, जो राज्य में आदिवासी समूहों के एक छत्र संगठन, सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) के प्रमुख हैं. उन्होंने सितंबर में घोषणा की थी कि संस्था ने हमार राज पार्टी के नाम से एक राजनीतिक दल रजिस्टर किया है.

छत्तीसगढ़ की आबादी में करीब 30 फीसदी आदिवासी समुदायों के साथ नेताम की पार्टी उस राज्य में हैरान कर सकती है जहां परंपरागत रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी जाती है.

एक न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए अरविंद नेताम ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया क्योंकि यह अब वह पार्टी नहीं रही जो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के वक्त थी.

अरविंद नेताम ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज दो दशकों से अधिक समय से विभिन्न सरकारों के समक्ष आदिवासियों के मुद्दों को उठाता रहा है, चाहे वह कांग्रेस सरकार हो या भाजपा सरकार. लेकिन आपको हैरानी होगी कि राज्य में 15 साल तक शासन करने वाली भाजपा सरकार और फिर कांग्रेस सरकार (जो अब सत्ता में है) ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.

उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में उन्होंने (राज्य सरकारों) एक बार भी हमें चर्चा के लिए बुलाने की जहमत नहीं उठाई. काफी हताशा के बाद हमने तय किया कि जब हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है तो लोकतंत्र में कहां जाएं? इन पार्टियों की दिलचस्पी सिर्फ वोट बटोरने में है. हमें पार्टी बनाने के लिए मजबूर किया गया.

उन्होंने कहा कि हम कभी नहीं चाहते थे कि सर्व आदिवासी समाज चुनावी लोकतंत्र का हिस्सा बने लेकिन क्या किया जा सकता है? भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही हैं तो आदिवासी समाज कहां जाएगा?

नेताम ने इंदिरा गांधी सरकार में केंद्रीय शिक्षा और सामाजिक कल्याण राज्य मंत्री के रूप में और पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री के रूप में काम किया है.

हालांकि, अनुभवी कांग्रेस नेता का पार्टी के साथ कई बार टकराव हुआ है. 1996 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद 1997 में वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए लेकिन 1998 में फिर कांग्रेस में लौट आए.

2012 में पी.ए. संगमा की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का समर्थन करने के बाद उन्हें कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था. लेकिन उस वर्ष के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले 2018 में कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए.

नेताम ने कहा कि उनकी हमार राज पार्टी अगले महीने होने वाले चुनावों में 90 में से लगभग 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जिनमें ज्यादातर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं और जल, जंगल और जमीन के मुद्दों को उजागर करेंगी.

नेताम ने कहा कि हमारा मुख्य मुद्दा ‘जल, जंगल, जमीन’ है. केंद्र सरकार वन कानूनों में बदलाव कर रही है. हमने अंग्रेजों से भी जल, जंगल, ज़मीन के आधार पर लड़ाई लड़ी थी, क्या नहीं? अब तो लोग आदिवासी इलाकों के बारे में कुछ भी नहीं जानते.

राज्य के वन मंत्री ने अभी तक बस्तर का दौरा नहीं किया है. कुछ निजी कार्यक्रमों को छोड़कर, न तो गृह मंत्री और न ही शिक्षा मंत्री आए.

नेताम ने कांग्रेस सरकार के उन दावों पर भी निशाना साधा कि पिछले साल राज्य में पेसा नियम 2022 (PESA Rules 2022) के विस्तार को लागू करके उसने ग्राम सभाओं को सशक्त बनाया था.

उन्होंने कहा, “पेसा हमारे द्वारा 1996 में बनाया गया था. हम जानते थे कि 1991 के उदारीकरण सुधारों के बाद आदिवासी क्षेत्र असुरक्षित होंगे और सरकारें इन क्षेत्रों को लूट लेगी.”

पेसा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जल, जंगल, ज़मीन से संबंधित सभी मुद्दों पर ग्राम सभाओं से परामर्श किया जाना चाहिए. ग्राम सभाओं को सुरक्षा की जरूरत है. लेकिन ग्राम सभाओं को सलाहकार की भूमिका तक सीमित कर दिया गया है.

नेताम ने कहा कि कांग्रेस ने ग्राम सभा की शक्तियां खत्म कर दी हैं. राहुल गांधी यहां आए लेकिन क्या उन्होंने पेसा के बारे में बात की? वे (कांग्रेस) खुद आदिवासी इलाकों में कॉरपोरेट घरानों के लिए सड़कें साफ कर रहे हैं. क्या इनमें से किसी भी कांग्रेसी मंत्री ने पेसा कानून पढ़ा है?

उन्होंने कहा कि हम औद्योगीकरण या उद्योगों के खिलाफ नहीं हैं. हां, विकास होना चाहिए लेकिन हमें जिला स्वायत्तता और उन्हें सशक्त बनाने के बारे में बात करने की जरूरत है.

नेताम ने कांग्रेस शासित राज्यों में अपनी कंपनी के साथ कारोबार करते हुए गौतम अडानी और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सरकार पर पाखंड का भी आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा, “भूपेश बघेल सरकार अडानी के साथ 20,000 करोड़ का कारोबार कर रही है. इसका जवाब कौन देगा? राजस्थान, जो कांग्रेस के अधीन है, वे भी अडानी के साथ व्यापार कर रहे हैं.”

पहली बार बस्तर के 120 से अधिक गांवों के निवासी विधानसभा चुनाव में अपनी बस्तियों में मतदान करेंगे. ये मतदान 7 और 17 नवंबर को दो चरणों में होंगे. इन पूर्व माओवादियों के गढ़ों में मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. कांग्रेस और भाजपा दोनों राज्य में कथित तौर पर माओवादी हिंसा को कम करने का श्रेय ले रहे हैं.

लेकिन नेताम ने दावों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि चाहे 120 गांवों में चुनाव हो रहे हों या नहीं, सच तो यह है कि नक्सली अभी भी यहां हैं, है ना?

अर्धसैनिक बलों के एक लाख से अधिक सदस्य पहले से ही राज्य में हैं और अब आप और अधिक ला रहे हैं. हम 15 साल से सर्व आदिवासी समाज को बातचीत के लिए बुलाने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकारों को हमदर्दी नहीं है.

अरविंद नेताम ने कहा कि वे (कांग्रेस और भाजपा) इन आदिवासी इलाकों में गहराई तक नहीं जाते और लोगों की बात नहीं सुनते. यह एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है. जहां भी गरीबी और भूख होगी, वहां नक्सली पैदा होंगे. समाजशास्त्री और पत्रकार वर्षों से इस बारे में लिख रहे हैं. तो इससे निपटने की योजना कहां है?

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