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मध्य प्रदेश: सरदारपुर में बेरोजगारी बड़ी समस्या, क्या मिटा पाएगी आने वाली सरकार

मध्यप्रदेश के धार ज़िले के सरदारपुर में बेरोजगारी जैसे कई मुद्दो पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी चुनाव प्रसार में बात कर सकती है.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार ज़िले (Dhar district) में सात विधानसभा सीटें (Assembly seats) है. जिनमें से एक है ‘ सरदारपुर ’. यह निर्वाचन क्षेत्र आदिवासियों के लिए आरक्षित किया गया है.

क्योंकि यहां के लगभग 70 से 80 प्रतिशत मतदाता आदिवासी है अर्थात ये आदिवासी बहुल क्षेत्र है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 296,513 है. जिनमें से लगभग आधी जनसंख्या 180,856 आबादी आदिवासियों की है.

इसलिए इस विधानसभा चुनाव (assembly election 2023) में क्षेत्र के सभी दिग्गज पार्टियों को सरदारपुर की सत्ता हासिल करने के लिए आदिवासी के मुद्दे, समस्याओं और जरूरतों पर ध्यान देना होगा.

2018 विधानसभा चुनाव (assembly election 2018) में कांग्रेस ने 58.61 प्रतिशत वोट प्राप्त कर सत्ता हासिल की थी. वहीं बीजेपी को केवल 36.60 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया था.

कांग्रेस और बीजेपी के वोट में 22 प्रतिशत का अतंर है. जिसे कम करना इस साल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए काफी मुश्किल होने वाला है.

राज्य के 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. जिसमें से कांग्रेस के खाते में ही 30 सीटें आती है.   

इन्हीं आंकड़ो से अंदाजा लगाया जा सकता है की कांग्रेस पार्टी की राज्य के आदिवासी इलाकों में काफी अच्छी पकड़ रही है.

इस साल के चुनाव में सरदारपुर में मुख्य रूप से कांग्रेस और बीजेपी के बीच आमने- सामने की टक्कर देखने को मिल सकती है. इस बार कांग्रेस की तरफ से प्रताप ग्रेवाल और बीजेपी की तरफ से वेलसिंह भूरिया को उम्मीदवार के रूप में उतारा गया है.

इसी कड़ी में इस चुनाव में दोनों पार्टी द्वारा रोज़गार के लिए पलायन करना और कई अन्य समस्याओं पर चर्चा की संभावना है.

रोज़गार के लिए पलायन

इस पूरे क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. 2011 की जनगणना के मुताबिक क्षेत्र के 148,294 लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं.

बेरोजगारी का मुख्य कारण है की यहां रोज़गार के इतने विकल्प उपलब्ध नहीं है. इसलिए मजबूरी में यहां रहने वाले आदिवासी दूसरे राज्य या क्षेत्र में पलायन करते है.

हालांकि हातोद क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र बनाने की बात कही गई थी. हातोद सरदारपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है.

इसके अलावा हाल ही में यहां अमृत पेपर मिल भी स्थापित हुआ है. जो 250 लोगों को नौकरी देने में सक्षम है. लेकिन भर्ती का प्रोसेस क्या है और कितना मुश्किल है. इसके बारें में कोई स्पष्टता मौजूद नहीं है.

यह उद्योग क्षेत्र के लोगों के लिए राहत का काम तो करता है. लेकिन बेरोजगारी खत्म करने का कोई स्थायी समाधान लेकर नहीं आता.

इसी कड़ी में 20000 आदिवासी नौकरी की तलाश में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पलायन कर चुके हैं.

इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा की  इस विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों द्वारा पलायन के मुद्ये को चुनाव प्रचार प्रसार में इस्तेमाल किया जा सकता है.

खेल सुविधाओं की कमी

सरदारपुर तहसील मुख्यालय में लगभग 2000 बच्चे पढ़ते है. जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चें खेल खुद में अपना भविष्य बनाना चाहते है.

लेकिन इस पूरे क्षेत्र में बच्चों के पास ऐसा कोई स्पोर्ट्स कॉमपलेक्स नहीं. जिसमें वे सभी खेल पाए.

यहां प्रैक्टिस के लिए एक छोटा सा मैदान है. जहां लगभग गाँव के 400 बच्चें खेलते है. स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ना होने से ये बच्चों के योग्यता में रूकावट तो बनता ही है.

बल्कि इन्हें हतोत्साहित भी करता है.

दस साल पहले आईटीआई संगठन हुआ बंद

दस साल पहले सरकार ने आईटीआई बनवाया था. इसे बनाने में करीब 10 करोड़ का खर्चा भी आया. लेकिन कुछ साल पहले इसे गैर सरकारी संगठन द्वारा नियंत्रित किया जाने लगा. जो यहां पढ़ाने की जगह गैर कानूनी कार्य करता था. जिसके बाद से ही ये आईटीआई बंद है

पेंशन स्कीम में सुधार की जरूरत

सरदारपुर में लगभग 5000 लोग सरकारी काम काज करते हैं. जिनमें से लगभग 2500 को नई पेशन स्कीम के अतंर्गत सरकार द्वारा पैसा दिया जाता है.

लेकिन पेंशनधारकों का कहना है की इन्हें बेहद कम पैसे मिलते है. जिससे जीवन व्यापन करना कठिन है.

इसलिए ये सभी चाहते है कि पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से वापस लाया जाए.

चुनाव प्रचार में पार्टियों ने दिए ये तर्क

कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप ग्रेवाल ने पांच साल में हुए काम के बारे में बोला. उन्होंने कहा,” हमारी सरकार क्षेत्र में अब तक हातोद उद्योग क्षेत्र, राजोद पेयजल स्कीम, अस्पताल, माही एकल ग्रुप पेयजल जैसी कई स्कीम लाई है.

उन्होंने ये भी कहा की भाजपा के राज में फसल के दाम कम मिलना, महंगाई, बिरोजगारी जैसी कई समस्याएं हो रही थी. लेकिन अगर आप हमे वोट देते है तो मैं आपको आश्वासन देता हुं की मैं ये सभी तकलीफ दूर कर दूंगा.”

इस चुनाव प्रचार प्रसार में बीजेपी भी पीछे नहीं हटी.

बीजेपी के उम्मीदवार वेलसिंह भूरिया ने कहा, “ मैं इस क्षेत्र में 2013 से 2018 में विधायक रहा हूं. मेरे समय में हमारी सरकार नर्मदा लिफ्ट प्रोजेक्ट, लाडली बहना योजना जैसे कई बड़े बड़े प्रोजेक्ट सरदारपुर के लिए लाती रही.”

लेकिन कांग्रेस के शासन में ऐसा कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आया.

दोनों ही पार्टियों द्वारा कई बड़े बड़े वादे किए गए. लेकिन दोनों ही पार्टी के शासन काल में इन 10 सालों से ना ही आएटीआए को फिर से खोला गया और ना ही क्षेत्र के बेरोजगारी दर में कोई सुधार हुआ.

अब ये देखना बाकी है की क्या आने वाले पांच सालों में बेरोजगार और महिला सक्षारता दर (जो लगभग 30 प्रतिशत है) उनमें कोई सुधार होगा.

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