छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को बस्तर इलाके के लोगों के लिए खास एक महत्वाकांक्षी परियोजना ‘Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth’ यानि चिराग को लॉन्च किया. इस योजना से सरकार की कोशिश इस आदिवासी बहुल इलाके को रौशन करने की है.
चिराग के तहत किसानों की आय, ग्रामीणों के लिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, युवाओं की जरूरतों, पर्यावरण और इलाके के प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रबंधन से संबंधित मुद्दों की बात होगी. सीएम ने दावा की यह आदिवासियों के जीवन को बदलने की दिशा में सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है.
1,735 करोड़ रुपये की लागत वाली चिराग परियोजना का लॉन्च करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के किसानों की जरूरतों की अनदेखी की है और धान खरीद प्रक्रिया में उचित मदद न देने के साथ-साथ डायमोनियम फॉस्फेट जैसे उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति न करना किसानों के साथ अन्याय है.
“केंद्र सरकार राज्य की धान खरीद प्रक्रिया में अड़चन पैदा कर रहा है. 2018-19 में धान को 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदने के हमारे फैसले का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य से एक रुपये ज्यादा का भुगतान करने से इनकार कर दिया था. अब, एक और बाधा यह खड़ी कर दी है कि राज्य सरकार बोनस नहीं दे सकती है और न ही हमारा चावल केंद्रीय पूल द्वारा स्वीकार किया जाएगा. हम पहले ही बोरियों की अपर्याप्त आपूर्ति का मुद्दा उठा चुके हैं,” सीएम ने कहा.
चिराग को खासतौर पर आदिवासी आबादी और उनके इलाकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है.
बघेल ने बताया, “चिराग परियोजना राज्य के 14 जिलों में लागू की जाएगी. हमारा मुख्य उद्देश्य आदिवासी बेल्ट में किसानों के लिए आय पैदा करने के रास्ते सुनिश्चित करना है. इसके तहत हर जगह की जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखकर खेती के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.”
सीएम ने बताया कि राज्य को अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी), जो संयुक्त राष्ट्र की कृषि विकास की दिशा में काम करने वाली एक विशेष एजेंसी है, की वित्तीय मदद मिल रही है. आईएफएडी और विश्व बैंक ने 486.69 करोड़ रुपये और 730 करोड़ रुपये का समर्थन दिया है, जबकि 518.58 करोड़ रुपये का 30 प्रतिशत हिस्सा राज्य के खजाने से दिया जा रहा है.
कृषि और किसानों से संबंधित गतिविधियों के अलावा चिराग का मुख्य फोकस दूध उत्पादन, पशुपालन, मार्केटिंग और स्टार्ट-अप में युवाओं के लिए प्रशिक्षण भी रहेगा.
यह परियोजना बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, बलरामपुर, कोरिया, सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर मुंगेली और बलौदा बाजार में लागू की जाएगी.