बुधवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 40 साल की आदिवासी महिला के साथ अपराध की खबर सामने आई थी. आरोपियों के नाम सियाराम टिरकी, दुकालू बैगा और आशोक कुमार बताया जा रहा हैं.
इनमें से दो आरोपी आदिवासी समाज से है. घटना के बाद महिला ने रविवार को बेलगहना पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तीनों आरोपियों को ढूंढ निकाला है.
13 सितंबर, बुधवार को महिला अपने काम से घर जा रही थी. उसी दौरान तीनों आरोपी ने पहले उसके साथ छेड़छाड़ की. महिला के मना करने पर उन्होंने उसके साथ जबरन अपराध किया और महिला को घटना स्थल में ही छोड़कर चले गए. चार दिन बाद 17 सितंबर को महिला ने पास के बेलगहना पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई.
पुलिस ने तीनों आरोपियों को ढूंढ निकाला है. आशा है की इन तीनों आरोपियों को सख्त से सख्त सज़ा मिलेगी.
दुख की बात ये है की इस मामले में दो आरोपी आदिवासी समाज से है. आदिवासियों में महिलाओं को उच्च दर्जा दिया जाता है. साथ ही महिलाओं को अपने काम काज़ को लेकर पूरी स्वतंत्रता भी मिलती है.
लेकिन धीरे धीरे मुख्यधारा का असर आदिवासी समाज में भी देखने को मिल रहा है. अगर यही प्रभाव आदिवासियों समाज के हित में होता तो ये पूरे समाज के लिए भी काम काज़ में नए विकल्प ला सकता था.
मुख्यधारा से जुड़ने से आदिवासियों की कई मूलभूत आवश्यकता पूरी होती है. लेकिन उन्हें ये ध्यान रखना होगा की मुख्यधारा का कोई भी गलत प्रभाव उनके समाज में ना पड़े.