ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में बोंड़ा आदिवासी समुदाय की लड़की कर्मा मुदली की मदद के लिए प्रशासन ने पहल की है. कर्मा मुदली ने 12वी कक्षा में 88.6 प्रतिशत अंक हासिल किये थे. इसके बाद उसने कॉलेज में दाखिला लिया था.
कर्मा मुदली अपनी कॉलेज की पढ़ाई जारी रखने के लिए मज़दूरी कर रही थी. MBB के अलावा भी कुछ समाचार पत्रों में उनकी कहानी छपी थी. इसके बाद मलकानगिरी ज़िला प्रशासन की तरफ से कलेक्टर ने कर्मा मुदली को 30 हज़ार रूपये का चेक दिया है.
ज़िला अधिकारी का कहना है कि यह 30 हज़ार रूपये की मदद कर्मा मुदली को सालाना 13,300 रूपये की स्कॉलरशिप से अलग दी जा रही है.
मलकानगिरी ज़िला प्रशासन के अलावा कुछ और संस्थाओं और व्यक्तियों ने भी कर्मा मुदली की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. कर्मा मुदली के परिवार ने बताया है कि दो व्यक्तियों ने उनके खाते में 5-5 हज़ार रूपये जमा किये हैं.
ज़िला रेड क्रॉस सोसायटी की तरफ से भी कर्मा मुदली को 10 हज़ार रूपये दिए गए हैं. जबकि एक और संगठन IEC ने भी उन्हें 10 हज़ार रूपये की मदद भेजी है.
कर्मा मुदली भुवनेश्वर के एक कॉलेज में कॉमर्स की पढ़ाई कर रही है. उसके हॉस्टल की फीस का खर्च एक ट्रस्ट ने उठाने का फैसला किया है.
कर्मा मुदली के लिए यह मदद बड़ी क्यों है
कर्मा मुदली जिस बोंडा समुदाय से आती हैं. बोंडा समुदाय ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में रहने वाला एक आदिवासी समुदाय है. यह समुदाय सदियों से यहां की पहाड़ियों और घाटियों में बसा हुआ है.
इस समुदाय के कुछ गांव अभी भी मलकानगिरी की दुर्गम पहाड़ियों में बसे हैं. इन आदिवासियों को सरकार ने पीवीटीजी यानि विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति के रूप में पहचाना है. हांलाकि इस समुदाय के काफी परिवार अब पहाड़ों से उतर कर मैदानी इलाकों में भी बस गए हैं.
ये बोंडा परिवार अब कमोबेश मुख्यधारा का हिस्सा बन गए हैं. लेकिन उनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है. इस समुदाय के जो लोग अभी भी पहाड़ों और घाटियों में बसे हुए हैं, उनकी हालत और भी ज़्यादा खराब है.
इन आदिवासियों की जनसंख्या में नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज हो रही है. सरकार ने बोंडा आदिवासियों के संरक्षण के लिए अलग से संस्था स्थापित की है. हांलाकि इस संस्था के हस्तक्षेप को बहुत कामयाब नहीं कहा जा सकता है.
देश भर में पीवीटीजी समुदायों के बच्चों को स्कूल तक लाना ही अपने आप में एक बड़ी बात है. उसमें भी बोंडा समुदाय तो उन समुदायों में शामिल है जिनका एक बड़ा हिस्सा अभी भी शिक्षा से पूरी तरह से वंचित है.
ऐसे तबके से किसी लड़की का उच्च शिक्षा यानि कॉलेज तक पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है. कर्मा मुदली इस समुदाय के अन्य छात्रों के लिए प्ररेणा बन सकती हैं बशर्ते वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.
यह बेहद खुशी की बात है कि कर्मा मुदली की कहानी मीडिया में छपने के बाद उनकी मदद के लिए कई हाथ आगे बढ़े हैं. लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार की कई स्कॉलरशिप योजनाओं के बावजूद आदिवासी छात्रों को ऐसे हालातों से गुज़रना पड़ता है, यह अफ़सोस की बात है.