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पीने के पानी से लेकर 4G नेटवर्क तक, PVTGs के लिए मोदी सरकार शुरू करेगी 15,000 करोड़ रुपये का मिशन

पीवीटीजी भारत की अनुसूचित जनजातियों में अधिक असुरक्षित समूह हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक, पीवीटीजी “छोटे और कम विकसित गांवों/आवासों में पृथक, दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में निवास करते हैं”. वर्तमान में 75 अधिसूचित पीवीटीजी हैं.

केंद्र सरकार 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अनुमानित 28 लाख कमजोर आदिवासी आबादी (Vulnerable tribal population) को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के लिए अपना 15 हज़ार करोड़ रुपये का मिशन शुरू करने के लिए तैयार है. जिसमें चुनावी राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी शामिल हैं. इस मिशन के तहत पेयजल आपूर्ति से लेकर 4जी नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करने तक की तैयारी है.

इस मामले से अवगत आदिवासी मामलों के मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से मीडिया में इस तरह की खबर छपी है.

एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जनजातीय मामलों का मंत्रालय प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह मिशन (Pradhan Mantri Particularly Vulnerable Tribal Groups Mission) के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजने की प्रक्रिया में है.

दरअसल, इस साल बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)  द्वारा घोषित इस मिशन का उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (PVTGs) को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है.

मंत्रालय ने 11 हस्तक्षेपों की पहचान की है. जैसे आवास, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, जल आपूर्ति, सड़क कनेक्टिविटी, 4G मोबाइल नेटवर्क, बिजली, शिक्षा, आंगनवाड़ी केंद्र, बहुउद्देशीय सुविधा केंद्र, आजीविका विकल्प और देश में पीवीटीजी गांवों या बस्तियों में 60 महत्वाकांक्षी PVTG ब्लॉकों (500 एस्पिरेशनल ब्लॉक कार्यक्रम में से) का विकास करना शामिल हैं.

पीवीटीजी भारत की अनुसूचित जनजातियों में अधिक असुरक्षित समूह हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक, पीवीटीजी “छोटे और कम विकसित गांवों/आवासों में पृथक, दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में निवास करते हैं”. वर्तमान में 75 अधिसूचित पीवीटीजी हैं.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमें हाल ही में व्यय वित्त समिति (जो वित्त मंत्रालय के अधीन है) से मंजूरी मिली है. हम कैबिनेट की मंजूरी के लिए नोट तैयार करने की प्रक्रिया में हैं.”

अधिकारी ने कहा कि हालांकि जनजातीय मामलों का मंत्रालय ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास’ के तहत सालाना 250 करोड़ रुपये आवंटित करता है लेकिन यह पहली बार है जब उनके लिए इतने बड़े पैमाने पर कल्याणकारी उपाय प्रस्तावित किए जा रहे हैं.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पीएम पीवीटीजी मिशन के तहत 15 हज़ार करोड़ रुपये आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए तीन साल की अवधि में खर्च किए जाएंगे.

मार्च 2023 में संसद में पेश की गई एक संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा और झारखंड सहित 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 22 हज़ार पीवीटीजी बस्तियां/गांव हैं.

2011 की जनगणना के मुताबिक, चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में 4.1 लाख और छत्तीसगढ़ में 1.1 लाख पीवीटीजी आबादी है.

इस साल पांच राज्यों- राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं.

मंत्रालय के दूसरे अधिकारी ने कहा कि विभिन्न उपायों के प्रभावी और समय पर कार्यान्वयन के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से परामर्श करने के बाद दिशानिर्देशों का एक सेट तैयार किया है जो 11 हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन में सहायक होंगे.

अधिकारी ने कहा कि अधिकांश पीवीटीजी बस्तियों में जल आपूर्ति, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, स्कूल, सड़क और आवास कुछ प्रमुख आवश्यकताएं हैं.

अधिकारी ने कहा कि सभी हस्तक्षेप विभिन्न मंत्रालयों द्वारा उनकी चल रही कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से किए जाएंगे. यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन पीवीटीजी बस्तियों को कवर किया गया है, योजनाओं में कुछ संशोधन की जरूरत है.

विश्लेषण, मानदंडों में बदलाव

केंद्र सरकार की योजना में बदलाव की आवश्यकता पर बात करते हुए अधिकारियों ने कहा कि बड़ी संख्या में पीवीटीजी बस्तियां या गांव ज्यादातर योजना के कार्यान्वयन के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं.

एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर सरकारी योजनाएं, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क विकास, चिकित्सा केंद्र, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र खोलना, जनसंख्या या दूरी के मानदंडों पर निर्भर करती हैं.

उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार की ग्राम सड़क योजना (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) के तहत कवर होने के लिए एक गांव की आबादी 500 होनी चाहिए. लेकिन 22 हज़ार पीवीटीजी गांवों में से करीब 15 हज़ार गांव ऐसे हैं जिनकी आबादी 100 से कम है. इसलिए हम मानदंडों में संशोधन करेंगे ताकि केंद्र सरकार की योजनाएं इन गांवों में लागू की जा सकें.”

आवास के लिए जनजातीय मामले और ग्रामीण विकास मंत्रालय अंतर विश्लेषण कर रहे हैं ताकि केंद्र सरकार की किफायती आवास योजना – प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत घर उपलब्ध कराए जा सकें.

विश्लेषण में किसी व्यवसाय की मौजूदा स्थिति या एक सरकारी योजना की वांछित भविष्य की स्थिति से तुलना करना शामिल है ताकि अंतराल को पहचानने और बंद करने में मदद मिल सके.

अधिकारियों ने कहा कि पीवीटीजी को शामिल करने के लिए पीएमएवाई योजना में भी बदलाव करना होगा.

मंत्रालय के दूसरे अधिकारी ने कहा, “यह मानदंड कि भूमि का स्वामित्व व्यक्ति के पास होना चाहिए, पीवीटीजी के मामले में भी बदल दिया जाएगा क्योंकि उनमें से अधिकांश वन क्षेत्रों में रहते हैं और उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि प्रदान की गई है. हालांकि उन्हें ज़मीन उपलब्ध करा दी गई है लेकिन उस पर उनका ज़मीनी अधिकार नहीं है. इसलिए पीवीटीजी को शामिल करने के लिए पीएमएवाई में एक संशोधन किया जाएगा.”

3 हज़ार पीवीटीजी गांव ऐसे हैं जहां कोई मोबाइल नेटवर्क या 4G नेटवर्क नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग इन गांवों को मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा.

उन्होंने कहा कि जनजातीय मामलों का मंत्रालय PVTG बस्तियों के सभी घरों में बिजली पहुंचाने के लिए गांवों में मिनी ग्रिड स्थापित करने के लिए बिजली मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहा है.

दूसरे अधिकारी ने कहा, “पीवीटीजी गांवों में कुछ घर ऐसे हैं जिनमें बिजली नहीं हैं. दोनों मंत्रालय ऐसे घरों की पहचान करने और मिनी ग्रिड स्थापित करने की संभावना तलाशने पर काम कर रहे हैं. अगर यह संभव नहीं है तो इन घरों को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की योजनाओं के माध्यम से सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली कनेक्शन प्रदान किया जाएगा.”

अधिकारियों ने कहा कि क्योंकि ज्यादातर बस्तियों में पीवीटीजी की आबादी 100 से कम है इसलिए मंत्रालय बच्चों के लिए मौजूदा आवासीय विद्यालयों के पास छात्रावास स्थापित करने, प्रत्येक गांव या बस्ती में 10 मोबाइल मेडिकल वैन तैनात करने, जहां आंगनवाड़ी केंद्र संभव नहीं हैं वहां बहुउद्देश्यीय केंद्र खोलें और जहां पाइप से पानी की लाइन संभव नहीं है वहां एक सामान्य पेयजल नल या एक कुआं उपलब्ध कराएं.

पीवीटीजी गांवों के लिए मोबाइल ऐप

अधिकारियों ने कहा कि जनजातीय मामलों का मंत्रालय पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PM Gati Shakti National Master Plan) प्लेटफॉर्म के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की मैपिंग कर रहा है.

केंद्र सरकार ने अपने पोर्टल India.gov.in पर कहा कि अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान (पीएमजीएस-एनएमपी) भारतीय रेलवे और राजमार्ग सहित 16 मंत्रालयों को “बुनियादी ढांचे की कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन” के लिए लाने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है.

इस साल अगस्त में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सोलह सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालयों को “पीएमजीएस-एनएमपी पर पूरी तरह से शामिल किया गया है.”

अधिकारियों ने कहा कि एक समर्पित मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, जिसका उपयोग करके 22 हज़ार पीवीटीजी गांवों को सामाजिक और अन्य बुनियादी ढांचे के लिए शामिल किया जा रहा है.

गांवों का नक्शा बनाने का काम इस साल जून में शुरू हुआ और अक्टूबर के मध्य तक पूरा होने की संभावना है.

अधिकारी ने कहा, “हमने अब तक करीब 10 हज़ार बस्तियों की मैपिंग की है. सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा हमारे मोबाइल एप्लिकेशन पर विभिन्न मंत्रालयों की जानकारी एकत्र की गई है. यह गांवों में सड़क और सामाजिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने में उपयोगी होगा.”

अधिकारियों ने कहा कि समर्पित निधि के बावजूद इन क्षेत्रों में राज्यों द्वारा किए गए असंगत विकास कार्यों के कारण पीवीटीजी के लिए एक समर्पित योजना की आवश्यकता महसूस की गई.

पहले अधिकारी ने कहा, “राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन की मांग में कोई एकरूपता नहीं थी. आवास, सड़क आदि विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं के अंतर्गत आते हैं इसलिए कई राज्य पीवीटीजी में सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता होने के बावजूद इन क्षेत्रों में धन की मांग नहीं करेंगे.”

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग पर 2023 संसदीय पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022-23 के लिए 252 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान में से 31 जनवरी, 2023 तक 6.48 करोड़ रुपये की बहुत ही मामूली राशि खर्च की जा सकेगी.

वहीं मार्च 2023 में संसद में पेश की गई समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अपेक्षित है कि मंत्रालय एक सुविचारित कार्य योजना के तहत पीवीटीजी के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करेगा.

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