HomeAdivasi Dailyतमिल नाडु: आदिवासी छात्र स्कूल जाने की बजाए बैंको की लाइन में...

तमिल नाडु: आदिवासी छात्र स्कूल जाने की बजाए बैंको की लाइन में क्यों खड़े रहते हैं

तमिल नाडु के चन्नई में आदिवासी सरकारी स्कूल में वित्तीय सहायता नहीं मिलने के कारण बच्चे स्कूल से छुट्टी ले कर बैंक जाते हैं. ताकि वे जान सकें कि आखिर क्यूं वित्तीय सहायता के अंतर्गत मिलने वाली धनराशी उनके बैंक खातों में नहीं आ पा रही है.

सरकार गरीब और आदिवासी छात्रों की पढ़ाई का खर्चा देती है. ताकि उन्हें पैसों के अभाव के कारण अपनी पढ़ाई अधूरी ना छोड़नी पड़े. जिसे वित्तीय सहायता (financial assistance) और छात्रवृत्ति(scholarship) के नाम से जाना जाता है.

सरकार पढ़ाई के लिए सरकारी विद्यालयों के छात्रों को खर्चा देती है, वह पैसा सीधे छात्रों के बैंक अकाउंट या खाते में भेजे जाते है. इस पैसे को निकालने छात्रों को बैंक में जाना पड़ता है.

तमिल नाडु से एक खबर सामने आई है. जिसमें आदिवासी स्कूल के छात्र स्कूल से छुट्टी लेकर बैंक में यह पता लगाने जाते है की क्यूं उनके बैंक खाते में वित्तीय सहायता के तहत दिए जाने वाले पैसे नहीं आ पा रहे है.

यह स्थिति इस राज्य के कई सरकारी स्कूल की है. जिसमें कई सरकारी आदिवासी आवासीय स्कूल के छात्र को मासिक वित्तीय सहायता नहीं मिल पा रही है. जिसके कारण उन्हें मजबूरी में कक्षाएं छोड़कर बैंकों में जाना पड़ रहा है.

इसके अलावा अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe) और अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) के छात्रों के लिए आवासीय स्कूलों का परिचालन राज्य जनजातीय कल्याण विभाग (The State Tribal Welfare Department) करता है और यही वो विभाग है जो मुफ़्त शिक्षा, भोजन और आवास देता है.

इसके साथ ही अल्प वित्तीय सहायता के अंतर्गत यह मासिक वित्तीय सहायता दी जाती है. जिसमें विभाग छात्रों को व्यक्तिगत रखरखाव जैसे बाल कटाना और अन्य स्वच्छता संबंधी गतिविधियों के लिए प्रति महिने 100 रुपये देता है जो कि सीधे छात्रों के बैंक खातों में जमा किया जाता है.

लेकिन छात्रों और स्कूल प्रशासन ने यह कहा है कि विभिन्न प्रकार की विसंगतियों (discrepancies) के कारण खातों में पैसे आने में बार-बार दिक्कतें आ रही हैं और इसका कारण गलत बैंक खाता, बैंक खाता संख्या और नाम अलग-अलग हो सकता हैं.

इसी कारण से छात्रों को कक्षाएं छोड़ने के लिए मजबूर किया गया ताकि वे स्वयं बैंक जाकर यह जान सकें कि आखिर क्यूं ऐसा हो रहा है की खातों में पैसे नहीं आ रहे है.

इस मामले पर आवासीय स्कूल के एक छात्र ने कहा है की उन्हें अभी तक यह नहीं पता चला है कि उनके खाते में अभी तक पैसे क्यों नहीं आए हैं.

इस मामल पर आवासीय स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा है की हम छात्रों को बैंकों में भेजने के लिए मजबूर हैं क्योंकि पैसा ज्यादा महत्वपूर्ण है और छात्रों को सप्ताह के अंत में यानि छुट्टी के दिन नहीं भेजा जा सकता है. क्योंकि तब तो बैंक बंद होता है.

उन्होंने कहा कि इस मामले पर अच्छे से विचार विमर्श कर स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए.

इसके अलावा मामले के शिकायत पर विभाग के अधिकारी ने कहा है कि अगर पैसे तकनीकी समस्या के कारण नहीं जा पा रहे है तो हम बैंक से बात करके के इस समस्या का हल खोजेंगे. लेकिन यह किसी और समस्या के कारण हो रहा है तो फिर हम स्कूल के प्रशासन से इस पैसे भेजने में दिक्कत क्या आ रही है, पर बात करेंगे.

आदिवासी और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अक्सर बेहद ग़रीब परिवारों से आते हैं. इन परिवारों की इतनी हैसियत नहीं होती है कि वे अपने बच्चों के लिए हॉस्टल में घर से पैसा भेज सकें.

इसलिए यह बेहद गंभीर मामला है. क्योंकि यह छोटी सी धनराशी इन आदिवासी छात्रों के लिए काफी मायने रखती है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments