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केरल में आदिवासी किसानों को बिचौलियों से बचाने की योजना पर काम शुरू हुआ

सीएमडी (CMD) यानि सेंटर फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट के अधिकारियों का दावा है कि इस मौसम में केरल के वट्टावाड़ा के तीन आदिवासी बस्तियों में सब्जी की खेती से 2.63 करोड़ रुपये का उत्पादन होगा.  

केरल की ये तीन आदिवासी बस्तियां स्वामीयारक्कुडी, कूडालार्कुय और वलसापेट्टिकुडी आते हैं. यह आदिवासी बस्तियों हरिता रश्मी परियोजना (Haritha Rashmi scheme) का हिस्सा है.
जिसके राज्य समन्वयक टी जी अनिल का कहना है की उन्होंने उत्पादन की आपूर्ति के लिए सभी थोक व्यापारियों के साथ एक बैठक बुलाई है. इसके अलावा तमिलनाडु के व्यापारियों से भी बात की गई है.

उन्होंने कहा की हम सब्जियां उन्हीं व्यापारी को बेचेंगे जो ज्यादा कीमत देगा. विभाग ने फसलों को बेचने के लिए प्रमुख स्थानों पर मोबाइल सब्जी वैन स्थापित का भी विचार किया हैं.इस परियोजना से जुड़े एक अधिकारी का यह भी कहना है की किसानों को बिचौलियों और उधार से बचाने के लिए संयुक्त देयता समूहों (JLGs) के बारे में विचार करेंगे.

वट्टावाड़ा गाँव के मुथुराज की कहानी
दरअसल केरल में स्थित इडुक्की के वट्टावाड़ा में दो साल पहले एक आदिवासी किसान मुथुराज उसी कीमतों में सब्जियाँ बेचता था जो बिचौलियों द्वारा तय किए जाते थे.
जिससे इस आदिवासी किसान की कमाई का एक बड़ा हिस्सा बिचौलियों के पास चला जाता था इसके साथ-साथ बीज और परिवहन आदि के लिए पर्याप्त धनराशी भी नहीं बच पाती थी. यह समस्या किसी एक आदिवासी किसान मुथुराज की नहीं बल्कि पुरे आदिवासी गांव की हैं.

हरिता रश्मी परियोजना
सब्जियों की कीमतों को बिचौलियों द्वारा तय करने की समस्या को दूर करने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने सेंटर फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (CMD) के साथ संगठित करके एक परियोजना की शुरुआत की थी.

इसका नाम हरिता रश्मी परियोजना हैं. इस परियोजना की शुरूआत साल 2021 में टी जी अनिल द्वारा इन्हीं समस्या को खत्म करने के लिए कि गई थी. इस परियोजना कि सहायता से अब आदिवासी किसान बिचौलियों द्वारा शोषण से बच जाते है और उनकी पर्याप्त आय भी हो जाती हैं.

इस परियोजना के तहत आदिवासी किसानों को 350 एकड़ की जमीन पर सब्जी की खेती के साथ-साथ निःशुल्क बीज एंव खाद उपलब्ध कराया जाता हैं. इसके साथ ही आदिवासी किसानों को मिट्टी परीक्षण, जलवायु परिस्थितियों और अन्य सेवाओं सहित वैज्ञानिक खेती में भी निःशुल्क जानकारी भी दिया जा रही हैं

इसके आलावा इस परियोजना से इडुक्की में 27 स्वयं सहायता समूहों(SHG) के तहत 1,000 किसानों को 2 करोड़ रुपयों का लाभ मिला और वायनाड में भी 3,000 लाभार्थियों को लाभ मिला.

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