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अर्जुन सिंह धुर्वे: एक अध्यापक जो दुनिया के मंच पर आदिम कला का प्रदर्शन करते है

बैगा नृत्य और गाने को बड़े स्तर पर लोकप्रिय करने वाले आदिवासी कलाकार अर्जुन सिंह धुर्वे को कला के क्षेत्र में साल 2022 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. बैगा को विशेष रुप से पिछड़ी जनजाति की सूचि में रखा गया है.

राष्ट्रपति ने हर साल कि तरह पिछले साल भी 107 लोगों को शीर्ष नागरिक सम्मान पुरस्कार में से एक पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था.

इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले लोगों की सूचि में अर्जुन सिंह धुर्वे(Arjun Singh Dhurve) का नाम भी शामिल था. उन्होंने अपनी जनजाति यानी बैगा के नाच-गान को ना सिर्फ़ संरक्षित किया है बल्कि उसको आगे बढ़ाने और पहचान दिलाने में योगदान दिया है.

ऐसा दावा किया जाता है वह अपने आदिवासी सुमदाय के पहले आदिवासी व्यक्ति हैं जिन्होंने उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी अपने समुदाय की कला को बढ़ावा देने का ही काम करने का फ़ैसला किया.

अर्जुन सिंह धुर्वे

पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित अर्जुन सिंह धुर्वे मध्य प्रदेश के डिंडौरी के बैगाचक क्षेत्र के धुरकुटा के रहने वाले है.

वह मध्य प्रदेश के बैगा आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते है.

अर्जुन सिंह धुर्वे चार भाईयों में से चौथे नंबर पर हैं. उनका जन्म 12 अगस्त 1953 को हुआ था.

उनके पिता नाम का परसा सिंह धुर्वे और माता का नाम लहरो बाई धुर्वे है.

सन् 1974 में अर्जुन की शादी लमिया बाई नाम की लड़की से हुई. जिसके बाद उनके तीन लड़के हुए है.

अर्जुन बैगा आदिवासियों में से पहले आदिवासी है जिन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट किया हुआ है. उन्होंने समाजशास्त्र से एमए के साथ बीएड की शिक्षा प्राप्त की है.

वह गुणी शिल्पकार होने के साथ ही बैगा आदिवासियों की नृत्य कला को बड़े स्तर पर संजोकर रखने का प्रयास भी कर रहे है.

वह बैगा आदिवासी के द्वारा किए जाने वाले प्रसिद्ध बैगा नृत्य और गाने का प्रदर्शन करते है.

बैगा नृत्य में बैल, मोर, हाथी, घोड़ा आदि के मुखौटे पहनकर नृत्य किया जाता है.

शिक्षक पद

अर्जुन सिंह धुर्वे

अर्जुन सिंह को 19 नवंबर 1976 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था. फिर साल 1994 में उनको उच्च श्रेणी शिक्षक और साल 2008 में प्रधान पाठक पद पर प्रमोट कर दिया गया था.

जिसके बाद वह 31 अगस्त 2015 में इस पद से रिटायर हो गए थे.

उपलब्धि

अर्जुन सिंह को पद्म श्री के अलावा भी कई और पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है. साल 1993 से 1994 में उन्हें जनजातीय संपदा के कलात्मक संवर्धन विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा तुलसी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

फिर साल 2005 में उन्होंने नई दिल्ली के इंडिया गेट परेड में बैगा नृत्य का प्रदर्शन किया था.

इसके अलावा भी अर्जुन सिंह उज्जैन सिंहस्थ के लोक उत्सव, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में भी अपनी कला की प्रस्तुति कर चुके हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में अर्जुन सिंह धुर्वे के बारे में बात करते हुए कहा था की अर्जुन सिंह बड़े स्तर के आयोजनों में भी बैगा आदिवासी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दे चुके हैं. उनके द्वारा लगातार बैगा आदिवासी नृत्य को आगे बढ़ाने के लिए पहल की गई है.

प्रधानमंत्री ने कहा है कि अब वह गांवों के बच्चों को भी बैगा आदिवासी नृत्य सीखाने की बात कहते है.

बैगा गीत और नृत्य

बैगा आदिवासी मध्यप्रदेश के डिण्डौरी ज़िले के चाड़ा के जंगलों में रहने वाले विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति समूह है.

इस आदिवासी सुमदाय के प्रमुख नृत्य करमा, परघौनी, घोड़ी पैठाई और फाग हैं.

करमा नृत्य में बैगा अपने ‘कर्म’ को नृत्य-गीत के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं. जिसक कारण इस नृत्य और गीत को करमा कहा जाता है.

वहीं घोड़ी पैठाई नृत्य दशहरे के दिन से शुरू होकर दिसंबर के अंत तक किया जाने वाला नृत्य है.

इसके अलावा बैगा आदिवासियों का अपना एक प्रसिद्ध संगीत है. जिसे बैगा आदिवासी अपने किसी भी त्यौहार, विवाह एवं अनेक पर्व में बजाकर या गाकर नाचते और गाते है.

बैगा आदिवासी बिना श्रृंगार के नृत्य नहीं करते है. वे नृत्य करने लिए विशेष वेशभूषा पहनते है.

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