झारखंड (Jharkhand) के रांची (Ranchi) के SERSA एस्टोटर्फ स्टेडियम में हॉकी कैंप का आयोजन किया गया था. जिसमें राज्य की सैकड़ों आदिवासी लड़कियां (hundred tribal girls) शामिल हुईं. इनकी उम्र 14 से 16 साल तक की बताई जा रही है. ये सभी आदिवासी लड़कियां राज्य के खूंटी, गुमला, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम ज़िले से आयी थीं.
कैंप के दौरान इन 105 आदिवासी लड़कियों (105 tribal girls )को न सिर्फ हॉकी की ट्रेनिंग दी गई बल्कि इन्हें मानव तस्करी जैसे सामाजिक मुद्दों (social issues) पर भी जागरूक (aware) करने की कोशिश की गई.
यह कैंप एक हफ्ते तक चला, जिसका समापन 2 दिसंबर, शनिवार को हुआ था. इस कैंप का आयोजन यूएस कॉनसिलेट सहित मिडिलबरी कॉलेज, वर्मोंट यूएस द्वारा किया गया था.
कैंप के दौरान मिडिलबरी कॉलेज के 12 अमेरिकी ट्रेनर द्वारा आदिवासी लड़कियों को फील्ड हॉकी में ट्रेनिंग दी गई. इसके साथ ही उन्हें बाल यौन शोषण, मानव तस्करी, बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा जैसी सामाजिक समस्याओं पर जागरूक करने के लिए विभिन्न सत्र भी आयोजित किए गए थे.
इस कैंप का उद्यश्य लड़कियों को खेल में योग्य बनाने के साथ उन्हें सामाजिक मुद्दों पर शिक्षित करना था. कैंप के दौरान पुलिस और जिला प्रशासन की मदद से लड़कियों को मानव तस्करी के बारे में भी जागरूक किया गया था.
कैंप के ट्रेनर ने कहा की ये ट्रेनिंग इन आदिवासी लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करेगा.
इस पहले भी यूएस सरकार द्वारा झारखंड के पांच आदिवासी लड़कियों को स्पोर्ट्स एंड कल्चर एक्सचेंज इमर्शन प्रोग्राम के लिए चुना गया था. ये प्रोग्राम मिडलबेरी कॉलेज में आयोजित किया गया था.
झारखंड के इन पांच आदिवासी खिलाड़ियों का नाम प्रियंका कुमारी, पूर्णिमा नेती, हेनरिता टोप्पो, पुंडी सारू, जूही कुमारी बताया गया है.
इन पांच आदिवासी महिलाओं का चयन फरवरी 2020 के ईस्ट इंडिया महिला हॉकी और लीडर्स कैंप में खेलने वाले 100 महिला खिलाड़ियों में से किया गया था.
ये पांच लड़कियां उन 105 आदिवासी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो कैंप में मौजूद थी. कैंप के ज़रिए सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलना एक अच्छा कदम कहा जा सकता है. क्योंकि आदिवासी समाज में कई लोग ऐसे है, जिनके पास इन मुद्दों के बारे में बेहद कम जानकारी है.
जिसका यही कारण है की आदिवासी समाज पर पहले मुख्यधारा का प्रभाव नहीं पड़ता था. लेकिन अब धीरे-धीरे समय के साथ साथ आदिवासी समाज में भी मुख्यधारा का असर देखने को मिल रहा है.