HomeAdivasi Dailyभोपाल के आदिवासियों के सरकारी आयोजन में अमित शाह मौजूद होंगे

भोपाल के आदिवासियों के सरकारी आयोजन में अमित शाह मौजूद होंगे

मध्य प्रदेश में कम से कम 1.5 करोड़ आदिवासी आबादी है. यह माना जाता है कि यह आबादी कम से कम 82 विधान सभा क्षेत्रों में कम ज़्यादा भूमिका ज़रूर निभाती है. 2018 के चुनाव में आदिवासी इलाक़ों में बीजेपी को आशा के अनुसार सफलता नहीं मिली थी.

मध्य प्रदेश सरकार 22 अप्रैल को भोपाल के जंबूरी मैदान में आदिवासियों के लिए एक बड़ा आयोजन कर रही है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. यह भी ख़बर है कि इस कार्यक्रम में आदिवासी आबादी के लिए कई घोषणाएँ की जाएँगी.

इसके अलावा राज्य की आदिवासी आबादी के लिए पिछले कुछ महीनों में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कई घोषणाएँ की थीं. इस कार्यक्रम में इन घोषणाओं का लेखा जोखा पेश किया जाएगा. इस कार्यक्रम में इन घोषणाओं के तहत कुछ योजनाओं की शुरुआत भी हो सकती है.

मध्य प्रदेश में आदिवासी आबादी पर सरकार लगातार फ़ोकस कर रही है. इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी एक बड़ी आदिवासी रैली को संबोधित किया था. राज्य की राजनीति को समझने वाले मानते हैं कि राज्य में चुनाव के मद्देनज़र यह सारी घोषणाएँ और रैलियाँ की जा रही हैं. 

2018 में बीजेपी को आदिवासी इलाक़ों में कम सफलता मिली थी. इसलिए पार्टी सरकार बनाने से चूक गई थी. हालाँकि कुछ ही महीने में बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी की सरकार को तोड़ कर राज्य में सरकार बना ली. अब बीजेपी लगातार आदिवासी आबादी को लुभाने में लगी है. 

मध्य प्रदेश में आदिवासी बड़ा वोट बैंक है. राज्य में कुल 47 विधान सभा सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा भी कई विधान सभा सीटों पर आदिवासी आबादी का झुकाव फ़ैसले में अहम भूमिका निभाता है.

मध्य प्रदेश में कम से कम 1.5 करोड़ आदिवासी आबादी है. यह माना जाता है कि यह आबादी कम से कम 82 विधान सभा क्षेत्रों में कम ज़्यादा भूमिका ज़रूर निभाती है. 2018 के चुनाव में आदिवासी इलाक़ों में बीजेपी को आशा के अनुसार सफलता नहीं मिली थी.

इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 में से 31 सीटें हासिल हुई थीं. 

आदिवासियों के लिए ये फ़ैसले हो सकते हैं

राज्य सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत तेंदूपत्ता बेचने का काम ग्राम वन समिति, ग्राम सभा को देने का फैसला किया है. इसी तरह वन उपज बांस बल्ली और जलाऊ लकड़ी पर वन समितियों का अधिकार होगा. समिति को अधिकार है कि वह बांस बल्ली और जलाऊ लकड़ी बेच कर आय कमा सकती है.

 कटाई से जो इमारती लकड़ी हासिल हो रही है उसका भी एक अंश समिति को दिया जाएगा. राज्य सरकार ने देवारण्य योजना में वन उत्पाद और वन औषधि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया है. राज्य सरकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में प्रदेश के लाखों आदिवासियों को तेंदूपत्ता संग्रहण का बोनस भी देने की तैयारी में है यह करोड़ों का होगा.

मध्य प्रदेश में हाल ही में मुख्य मंत्री ने आदिवासी इलाक़ों में पेसा क़ानून लागू करने की घोषणा भी की थी. हालाँकि अभी तक राज्य सरकार इसे लागू नहीं कर पाई है. 

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