12 दिंसबर, मंगलवार को अनुसूचित जनजाति समन्वय परिषद (Schedule Tribe Co-ordination Council) के नेता ए.डी. जॉनसन (A.D. Johnson) केरल (Kerala) के इडुक्की ज़िला प्रशासन (Idukki District Administration) के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं.
आदिवासी नेता जॉनसन (tribal leader johnson) का आरोप है कि प्रशासन द्वारा उनकी 1.32 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया गया है.
ज़िला प्रशासन ये दावा कर रहा है की जॉनसन के पास इडुक्की गाँव में अन्य मकान मौजूद है.
जॉनसन ने कहा,“ मै प्रशासन से आग्रह करता हूँ की वो उस भूमि को मुझे दिखाए, जिसका वो दावा इडुक्की गाँव में कर रहे हैं. इसी कारण से मैं दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहा हूं. ”
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार 24 नवंबर को राज्य सरकार की विशेष टास्क फोर्स ने आदिवासी नेता जॉनसन और उसके परिवार को चिन्नाकनाल (Chinnakanal) के पास पावर हाउस में उनकी भूमि से बेदखल कर दिया था.
वहीं सरकारी अधिकारी ये दावा कर रहे हैं की जॉनसन एक सरकारी अधिकारी है और उनके पास इडुक्की ज़िले के मनियारामकुडी में 1.5 एकड़ जमीन है.
दूसरी तरफ जॉनसन ने बताया की उसका संगठन 1990 से आदिवासियों को भूमि हक दिलाने के लिए लड़ता आया है.
वहीं संगठन द्वारा ये पता लगाया गया की पंताडिक्कलम और चिन्नाक्कनाल क्षेत्रों में 1490 एकड़ ज़मीन को आदिवासियों में वितरित करने की आवश्यकता है.
जॉनसन के अनुसार इस घटना के बाद से ही प्रशासन उनके पीछे पड़ा है.
जबकि सरकार द्वारा ये भी दावा किया जा रहा है की जॉनसन और उसके परिवार में सभी सरकारी अधिकारी है.
इस बारे में जॉनसन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा की मेरा बड़ा बेटा तोडुपुझा में कृषि विभाग में कर्मचारी है, मेरी बेटी एक गृहिणी है और मेरा सबसे छोटा बेटा एक अदालत सहायक है.
मेरी पत्नी लिजी जॉनसन ने इडुक्की में दो IHRD संस्थानों में सफाई कर्मचारी के रूप में दैनिक वेतन पर काम किया था.
इस पूरे मामले में तहसीलदार डिक्सी फ्रांसिस ने कहा, “उनके विरोध शुरू करने के बाद मैंने उनसे बात की है और इस मामले की रिपोर्ट मैं जिला कलेक्टर को जल्द ही सौंप दूगां. अभी मैंने उनसे मामले को सुलझाने के लिए तीन से चार दिन का समय मांगा है और उनसे विरोध वापस लेने का अनुरोध किया है.
यहां ध्यान देने वाले बात ये है जनजातीय विभाग के ग्राम अधिकारी और परियोजना अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर, उच्च न्यायालय से प्रशासन को आदेश मिला था.
लेकिन आदेश के समय हाई कोर्ट द्वारा ये साफ तौर पर कहा गया की जिस किसी के पास वैकल्पिक घर मौजूद नहीं है, उन्हें बेदखल नहीं किया जाएगा.
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