HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: आदिवासियों के लिए दो नए अस्पताल बनाने का वादा

आंध्र प्रदेश: आदिवासियों के लिए दो नए अस्पताल बनाने का वादा

आंध्र प्रदेश के प्रकाशम ज़िले के ओंगोल शहर में दो और आदिवासी अस्पताल खोलने का वादा किया गया है. यह दावा भी किया गया है कि इन अस्पतालों में अतिरिक्त वार्ड, कमरे और ऑपरेशन थिएटर होंगे ताकि आदिवासियों को अच्छी चिकित्सा सेवाएं मिल सकें.

जो आदिवासी दूर दराज के इलाकों में रहते है. उन लोगों तक अच्छी स्वास्थ्य सेवा नहीं पुहंच पाती हैं. जिसके कारण आदिवासियों कि बीमारियों का ना तो पता चल पाता है और ना ही ठीक से इलाज हो पाता है.

आंध प्रदेश में सरकार यह दावा कर रही है कि आदिवासियों को अच्छी चिकित्सा समय से मिल सके इसके इंतज़ाम किये जा रहे हैं.

इस सिलसिले में सरकार ने बताया है कि बहुत जल्दी ही आदिवासियों को बेहतर चिकित्सा देने के लिए दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को अस्पताल में बदला जाएगा. इन अस्पतालों को बनाने का आदेश राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी कर दिया है.

दरअसल आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के प्रकाशम ज़िले (Prakasam District) के ओंगोल (Ongole) शहर में राज्य सरकार ने दो सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को आदिवासी अस्पतालों में तब्दील करने का आदेश पिछले दिनों जारी किया था. जिससे कि आदिवासियों को अच्छी चिकित्सा सेवाएं मिल सकें.

ये स्वास्थ्य केंद्र कुंभम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Cumbham Government Community Health Centre) और गिद्दलुरु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( Giddaluru Community Health Centre) हैं जिन्हें अस्पतालों में अपग्रेड कर दिया जाएगा.

इन दोनों अपग्रेडेड अस्पतालों में अतिरिक्त चिकित्सा कर्मचारी, उपकरण और अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा भी किया गया है.

जिससे कि स्थानीय आदिवासियों के साथ-साथ गिद्दलुरु विधानसभा क्षेत्र (Giddaluru Community Health Centre) के आसपास के आदिवासियों को भी बेहतर चिकित्सा मिल सकें.

दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड कर आदिवासी अस्पताल बनाने की ख़बर बेशक अच्छी कही जा सकती है. लेकिन आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के नहीं पहुंचने या फिर आदिवासियों के अस्पताल तक नहीं पहुंच पाने में अस्पतालों की कमी एक कारण है.

आदिवासी इलाकों में कई अन्य कारण हैं जिसकी वजह से उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. उनमें से एक बड़ा कारण रास्तों की कमी है. राज्य के ज़्यादातर आदिवासी गांवों तक ऐंबुलेंस पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं.

इसके अलावा आदिवासी इलाकों में अभी भी आधुनिक इलाज के प्रति उदासीनता नज़र आती है. इसके भी कई कारण हैं, उनमें से एक कारण यह है कि शहरों के अस्पतालों में ये आदिवासी अपने आप को सहज नहीं पाते हैं.

शहरों के अस्पताल में वे स्टाफ़ से बात करने में झिझकते हैं और पूरे माहौल को काफी डरावना पाते हैं.

इसलिए यह ज़रूरी है कि आदिवासी इलाकों में ही अस्पतालों या डॉक्टरों की सुविधा उपलब्ध कराई जाए. आदिवासी इलाकों में कम से कम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो सुचारू रुप से काम करें, इतना तो सरकार को करना ही चाहिए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments