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तमिलनाडु के इस आदिवासी गांव में 27 साल पहले बने घर ढहने की कगार पर

तमिलनाडु के पुलियानकांडी गांव के 27 वर्ष पूराने 41 आदिवासी घर ढह गए है. यह दावा किया जा रहा है कि यह आदिवासी घर सरकार के द्वारा बनाए गए एक योजना के अंतर्गत बनाए गए थे.

तमिलनाडु के पोलाची (Pollachi) के पास कुछ आदिवासियों के घर ढह गए है. जिसके कारण आदिवासी उसकी मरम्मत कराने की मांग कर रहे हैं.

दरअसल पोलाची के पास कोट्टूर नगर (Kottur Town) पंचायत के पुलियानकांडी गांव (Puliyankandi village) में 27 साल पहले बने 47 घरों की अवस्था जरजर हो गई है. जिसके चलते कई घरों में सीमेंट का प्लास्टर उखड़ गया है.

ऐसा कहा जा रहा है कि सन् 1996 में सामाजिक वन योजना के अंतर्गत 40 से अधिक घर बनाए गए थे और आदिवासियों को आवंटित किया गया था. लेकिन अब आदिवासी परिवारों ने घरों के ढहने की आशंका जताते हुए ज़िला प्रशासन से जल्द से जल्द इन घरों को ठीक करने की अपील की है.

इस मामले पर एम मुनियप्पन ने कहा कि पुलियानकांडी गांव में 120 परिवारों के साथ 41 आदिवासी परिवार रहते हैं. जिनमें से 47 परिवारों को तत्काल सुरक्षित घरों की जरूरत है.

तमिलनाडु आदिवासी लोगों के संघ के अध्यक्ष वीएस परमासिवम (VS Paramasivam) ने इस मामले में कहा कि परिवार लगातार घरों के ढहने के डर में जी रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा है कि बारिश से स्थिति और खराब हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि घरों का निर्माण दो दशक पहले वन विभाग द्वारा किया गया था और वे पिछले दस वर्षों में कमजोर होने लगे थे.

इसके साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया है कि बार-बार अपील के बावजूद भी वन और राजस्व विभागों (Forest and revenue departments) ने अभी तक मरम्मत काम पूरा नहीं किया है.

इस मामले में राजस्व विभाग (Revenue department) के अधिकारियों ने यह कहा है कि वे पहले चरण में घर बनाने के लिए 25 लाभार्थियों में से प्रत्येक के लिए 5.25 लाख रुपये की व्यवस्था करेंगे और दूसरे चरण में बाकी के बचे लोगों को कवर करेंगे.

इसके अलावा राजस्व अधिकारियों ने हाल ही में लाभार्थियों को ई-पट्टा दस्तावेज जारी किया है.

लेकिन यह दावा किया जा रहा है कि लोगों ने अधिकारियों से कहा है कि अगर उन्होंने घरों की मरम्मत या पुनर्निर्माण में देरी की तो वे अपने रहने की जगह को जंगल की सीमा में स्थानांतरित कर देंगे.

इन सबके साथ ही इस मामले पर विशेष तहसीलदार (आदि द्रविड़ और आदिवासी कल्याण – Adi Dravidar and Tribal Welfare) के वेंकटचलम (Venkatachalam) ने कहा कि नगर पंचायत सीमा में घरों की मरम्मत के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं इसलिए उन्होंने आदिवासियों को आवंटित घरों का पुनर्निर्माण करने की योजना बनाई है.

वेंकटचलम ने यह भी कहा कि हमें वेट्टईकरनपुदुर नगर पंचायत में 150 घर बनाने की मंजूरी मिल गई है और हम कोट्टूर पंचायत (Kottur panchayat) के इन 25 घरों को उस योजना में शामिल करने के लिए काम कर रहे हैं.

आदिवासियों के पास बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है और जो है वो भी किसी कारण नष्ट हो जाए तो आदिवासियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. क्योंकि आदिवासी बस्तियों या इलाकों में बुनियादी सुविधा के नाम पर सिर्फ कच्चे घर, नदी का पानी और कोई साफ शौचालय भी नहीं है.

इसके अलावा जो अस्पताल है वो भी आदिवासी बस्तियों या इलाकों से काफी दूर है. ऐसे में अगर कई बार आदिवासी बीमार हो तो उसे अस्पताल ले जाते-जाते उसकी मौत भी हो जाती है.

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