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आदिवासी छात्रों के लिए प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए बढ़ाई जाए आय सीमा – संसीदय पैनल

प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप कक्षा 9 और 10 के आदिवासी छात्रों के लिए दी जाती है. इसके तहत 225 रूपये हर महीने दिए जाते हैं. जबकि हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को 525 रूपये हर महीने दिए जाते हैं. इस स्कॉलरशिप का 75 प्रतिशत पैसा केन्द्र के खाते से आता है जबकि 25 प्रतिशत राज्य सरकार को खर्च करना पड़ता है.

आदिवासी छात्रों को मिलने वाली प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप का फ़ायदा उन्हीं छात्रों को मिल सकता है जिनके माँ बाप की सालाना आय 2.50 लाख से कम है. इस सिलसिले में संसद की स्थाई समिति ने आदिवासी मंत्रालय से पूछा है कि क्या इस सीमा को बढ़ाया नहीं जाना चाहिए.

समिति ने मंत्रालय से यह भी पूछा था कि क्या इस दिशा में कोई कदम उठाया गया है. इसके जवाब में मंत्रालय ने कहा है कि इस सिलसिले में एक ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर की मीटिंग में चर्चा होगी. 

इस ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं. संसद की स्थाई समिति ने मंत्रालय से कहा है कि आदिवासी छात्रों को प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए जो आय सीमा रखी गई है वो काफ़ी कम है.

इसकी वजह से शायद बड़ी तादाद में आदिवासी छात्रों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं मिल पाता है. मंत्रालय की तरफ़ से स्थाई समिति को यह जानकारी भी दी गई है कि 2013 में इस आय सीमा को बढ़ा कर दो लाख से ढाई लाख रूपये किया गया था. 

आदिवासी मंत्रालय का कहना है कि आदिवासी छात्रों के लिए प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए बजट पिछले साल के ख़र्च को ध्यान में रख कर तैयार किया जाता है. इसके अलावा टार्गेट तय करने के लिए यह भी देखा जाता है कि इस सिलसिले में राज्य सरकारों से कितने आवेदन प्राप्त हुए हैं. 

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने मंत्रालय से यह भी पूछा था कि प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए कितने आदिवासी छात्र पात्र हैं, इस बारे में कोई अध्ययन किया गया है.

इसके जवाब में मंत्रालय ने बताया है कि इस सिलसिले में कम से कम दो अध्ययन कराए गए हैं. पहला सर्वे IIPA (Indian Institute of Public Administration) ने किया है. इसके अलावा नीति आयोग ने KPMG के ज़रिए एक अध्ययन कराया है.

IIPA की रिपोर्ट में सरकार को आदिवासी छात्रों के लिए प्री मैट्रिक स्कॉलशिप के लिए कई सुझाव दिए गए हैं. मसलन इस रिपोर्ट का पहला सुझाव ये है कि इस योजना के बारे में आदिवासी इलाक़ों में सघन प्रचार किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आदिवासी इलाक़ों में स्थानीय भाषा में इस योजना का प्रचार किया जाना चाहिए. केन्द्र और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आदिवासी छात्रों के खाते में स्कॉलरशिप का पैसा समय से मिले.

इसके लिए अलग से व्यवस्था बनाई जानी चाहिए जिसकी निगरानी और जवाबदेही तय की जा सके. इसके अलावा कंज्यूमर प्राइड इंडेक्स के हिसाब से आदिवासी छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए परिवार की आय सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए.

इस रिपोर्ट में स्कॉलरशिप राशी में कम से कम 40 प्रतिशत की वृद्धि करने की सलाह दी गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आदिवासी छात्र पढ़ाई लिखाई का बढ़ता ख़र्च झेल सकें, इसके लिए यह राशी बढ़ाई जानी ज़रूरी है. 

प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप कक्षा 9 और 10 के आदिवासी छात्रों के लिए दी जाती है. इसके तहत 225 रूपये हर महीने दिए जाते हैं. जबकि हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को 525 रूपये हर महीने दिए जाते हैं. इस स्कॉलरशिप का 75 प्रतिशत पैसा केन्द्र के खाते से आता है जबकि 25 प्रतिशत राज्य सरकार को खर्च करना पड़ता है. 

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