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झारखंड: पूर्वी सिंहभूम के गांवों में गैर-आदिवासियों पर प्रतिबंध की मांग, अतिक्रमण का आरोप

सिंहभूम के पूर्व सांसद और झारखंड मुक्ति मोर्चा-उलगुलान (झामुमो-यू) नेता कृष्णा मार्डी ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी. उन्होंने कहा कि वे अपने अस्तित्व और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए इतना उग्र रुख अपनाने के लिए मजबूर हैंझ.य़503

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के हलुदबानी और पुरीहासा ग्राम सभाओं के दो दर्जन से अधिक गांवों और टोलों के आदिवासी लोगों ने अपने गांवों में गैर-आदिवासियों के बसने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है.

माझी-परगना स्वशासन प्रणाली के तहत पारंपरिक ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों की एक बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आदिवासी बहुल गांव में गैर आदिवासियों का रहना-बसना पूरी तरह से वर्जित रहेगा.

साथ ही बैठक में कहा गया कि अब से गैर-आदिवासी लोगों को आदिवासी बहुल गांवों में घर, फ्लैट कॉम्प्लेक्स और बस्तियां बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

हलुदबानी ग्राम सभा ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि आदिवासी समाज की अपनी स्वशासन व्यवस्था है. अगर गांव में अन्य समाज और समुदाय के लोग बसेंगे तो इससे उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

उनका कहना है कि बाहरी आबादी के प्रवेश से गांव के पूजा स्थल, श्मशान घाट, सांस्कृतिक स्थल, गोचर जमीन आदि भी असुरक्षित हो जाएंगे.

दरअसल, पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर शहर के परसुडीह पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले तिलकागढ़ में एक आदिवासी श्मशान भूमि में पिछले तीन से चार महीनों से गैर आदिवासियों के द्वारा कथित अतिक्रमण और घरों के निर्माण के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है.

सिंहभूम के पूर्व सांसद और झारखंड मुक्ति मोर्चा-उलगुलान (झामुमो-यू) नेता कृष्णा मार्डी ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी. उन्होंने कहा कि वे अपने अस्तित्व और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए इतना उग्र रुख अपनाने के लिए मजबूर हैं.

मार्डी ने कहा, “कुछ लोगों ने हमारी श्मशान भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है और घर बनाना शुरू कर दिया है. जबकि आदिवासियों को भी श्मशान घाट, जाहेरस्थान (पूजा क्षेत्र) में इस तरह की गतिविधियां करने की इजाजत नहीं है. फिर संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत पूर्वी सिंहभूम जैसे आदिवासी स्वशासन प्रणाली वाले क्षेत्रों में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था होने के बावजूद ग्राम सभा की जानकारी के बिना क्षेत्र में कई फ्लैट कॉम्प्लेक्स बन गए हैं.”

उन्होंने कहा कि इन कॉम्प्लेक्स से निकलने वाला गंदा पानी और अपशिष्ट पदार्थ भी गांवों को प्रदूषित कर रहे हैं और उनके गांवों की स्वच्छता और उनके जीवन की पवित्रता को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

उन्होंने कहा, “उनकी जीवनशैली हमारे बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है. साथ ही समाज और सांस्कृतिक अस्तित्व को ख़तरे में डाल रही है. हम पीएम आवास योजना के तहत गरीब लोगों को दिए जाने वाले फ्लैट के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन वह ग्रामसभा की सहमति से होना चाहिए. हम निजी पार्टियों और बिल्डरों के फ्लैटों का सख्ती से विरोध करेंगे.”

हालांकि, मार्डी ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ आदिवासी लोग ही पैसे के लालच में अपनी जमीनें बाहरी लोगों को सौंप रहे हैं.

रविवार को बैठक में मुनीराम मार्डी, रामसाय सोरेन, युवराज टुडू, रामचन्द्र टुडू, सुकुराम हेम्ब्रम, घासीराम मुर्मू, गोपाल मुर्मू आदि के अलावा ग्राम प्रधान और 200 से अधिक ग्रामीण शामिल हुए थे.

माझी बाबा (पारंपरिक ग्राम प्रधान) लखन हांसदा ने कहा, “हलुदबानी ग्राम सभा का एक प्रतिनिधिमंडल आदिवासी भूमि की रक्षा के लिए क्षेत्र में ऐसे सभी अवैध निर्माण को तुरंत रोकने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को एक विस्तृत मांग पत्र सौंपेगा.”

इस बीच बीजेपी एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रमेश हांसदा ने कहा कि आदिवासी लोगों के बीच पहचान खोने और अस्तित्व को ख़तरे में डालने का डर एकदम सही है.

हांसदा ने कहा, “न सिर्फ पूर्वी सिंहभूम बल्कि पूरे झारखंड की जनसांख्यिकी में भारी बदलाव आया है. और ये सब तब हो रहा है जब यह आदिवासियों के लिए बनाया गया राज्य है और इसमें एक आदिवासी मुख्यमंत्री है और आदिवासियों की सेवा करने का दावा करने वाले राजनीतिक दलों की एक लंबी सूची है. ऐसे क्षेत्र हैं जहां दूसरे राज्यों के लोगों के बसने के कारण जनजातीय आबादी पहले के 50 फीसदी से घटकर 5 फीसदी रह गई है. लेकिन हम आदिवासियों को ही दोषी ठहराया जाता है कि अगर आदिवासी पैसे के लालच में बाहरी लोगों को अपनी जमीन बेचना बंद कर दें तो यह बंद हो जाएगा.”

इसी तरह पुरीहासा, सुंदरनगर, नीलडुंगरी, जोंद्रगोड़ा और पुरीहासा ग्राम सभा के अंतर्गत आने वाले लगभग 23 गांवों और टोलों के सैकड़ों ग्रामीणों ने भी सुंदरनगर थाना के अंतर्गत आने वाले पुरीहासा के ग्रामीण इलाकों में बढ़ते फ्लैट कॉम्प्लेक्स के विरोध में पुरीहासा माझी बाबा भोक्ता हांसदा के नेतृत्व में एक रैली निकाली.

भोक्ता हांसदा ने कहा, “बिल्डर और पैसे वाले लोग जिला प्रशासन की मिलीभगत से क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों और फ्लैट कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर रहे हैं. हमारी बार-बार शिकायत के बावजूद शायद ही कोई कार्रवाई की जाती है. यह संविधान और पांचवीं अनुसूची का खुला उल्लंघन है जिसके तहत ग्राम सभाओं की पूर्व अनुमति के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है. इस सबके चलते पानी की कमी हो रही है.”

(Image credit: Hindustan Times)

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