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गौरव गोगोई ने मणिपुर को लेकर सरकार पर जमकर बोला हमला, पीएम मोदी से सदन में मांगा जवाब

गोगोई ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि जब गृहमंत्री अमित शाह, गृह राज्यमंत्री (नित्यानंद राय) और राहुल गांधी वहां जा सकते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर क्यों नहीं गए?

संसद के मानसून सत्र (Mansoon session of Parliament) का माहौल काफी गर्म हो चला है. आज विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister Narendra Modi) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जिसपर लोकसभा में तीखी बहस हुई.

असम से कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने सदन में अपनी बात बड़ी जोरदारी और तमाम तथ्यों के साथ रखते हुए पीएम मोदी और उनकी सरकार को निशाने पर लिया.

लोकसभा में विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने मणिपुर हिंसा मामले में कई सवाल दागे.

गोगोई ने पीएम मोदी सहित एनडीए सरकार पर करारे प्रहार किए. साथ ही वह बीच-बीच में अपनी कांग्रेस सरकार की खूबियों को भी बताते जा रहे थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, मनमोहन सिंह के साथ-साथ बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेई का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा राजीव गांधी ने 1985 में असम एकॉर्ड (Assam Accord) के समय हस्तक्षेप कर शांति बहाली की पहल की थी.

गुजरात दंगों के समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी शांति बहाली के प्रयास किए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इसी तरह मणिपुर में जाकर शांति बहाली के प्रयास करने चाहिए.

अपनी 40 मिनट की स्पीच में लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई ने सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने लोकसभा में पहला मुद्दा मणिपुर का उठाया. उन्होंने कहा कि हम अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाए ताकि पीएम मोदी का मौनव्रत तोड़ा जा सके.

गौरव गोगोई ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने दो मणिपुर बना दिए हैं. एक पहाड़ों में  रहने वालों के लिए दूसरा घाटियों में रहने वालों के लिए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने मौनव्रत ले रखा था कि वह मणिपुर के मुद्दे पर संसद में नहीं बोलेंगे. ऐसे में उनकी चुप्पी तोड़ने के लिए हम अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विवश हुआ.

इस दौरान गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री के सामने तीन सवाल रखे. गोगोई ने पहला सवाल किया कि प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं गए?  दूसरा सवाल पूछा कि आखिर उन्हें मणिपुर पर बोलने में लगभग 80 दिन क्यों लगे? जब बोले तो सिर्फ 30 सेकेंड के लिए बोले. इसके बाद गौरव गोगोई ने तीसरा सवाल पूछा कि आखिर अभी तक पीएम मोदी ने मणिपुर के मुख्यमंत्री क्यों नहीं हटाया?

गोगोई ने आरोप लगाया कि आज तक प्रधानमंत्री की तरफ से संवेदना का कोई शब्द नहीं है, न शांति की गुहार लगाई.

गोगोई ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि जब गृहमंत्री अमित शाह, गृह राज्यमंत्री (नित्यानंद राय) और राहुल गांधी वहां जा सकते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर क्यों नहीं गए?

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, “प्रधानमंत्री ने आज तक मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया? गुजरात में चुनाव से पहले दो बार मुख्यमंत्री बदल दिए, उत्तराखंड, त्रिपुरा में भी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदल दिए. मणिपुर के मुख्यमंत्री को ऐसा क्या आशीर्वाद दे रहे हैं?”

गोगोई ने कहा कि हमारी अपेक्षा थी कि मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री सदन में मणिपुर पर अपनी बात रखें, अपनी संवेदना प्रकट करें और उस पर सभी पार्टी समर्थन करें. जिससे मणिपुर में संदेश जाए कि दुख की घड़ी में पूरा सदन मणिपुर के साथ है लेकिन अफसोस की बात है कि ऐसा नहीं हुआ.

उन्होंने आगे कहा कि पीएम ने एक मौन व्रत लिया और तय किया कि वो लोकसभा और राज्यसभा में कुछ नहीं बोलेंगे इसीलिए अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हम प्रधानमंत्री का मौन व्रत तोड़ना चाहते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को कबूल करना होगा कि मणिपुर में ‘डबल इंजन’ की सरकार विफल हो चुकी है.

गौरव गोगोई ने कहा कि इंडिया गठबंधन मणिपुर के लिए इंसाफ मांग रहा है, पूरा मणिपुर आज इंसाफ मांग रहा है. मार्टिन लूथर किंग ने कहा है कि अगर कहीं भी नाइंसाफी हो तो वो हर जगह के इंसाफ के लिए ख़तरा बन सकता है.

उन्होंने कहा कि ये जो घटनाएं मणिपुर में हो रही हैं, इसे ये नहीं समझा जाए कि उत्तर-पूर्व के किसी कोने पर हो रहा है, अगर मणिपुर जल रहा है तो भारत जल रहा है. अगर मणिपुर विभाजित हुआ तो भारत विभाजित हुआ है.

गौरव गोगोई की टिप्पणी से पहले विपक्ष और ट्रेजरी बेंच के बीच तीखी बहस हुई. यह बहस तब हुई जब संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने प्रमुख वक्ता के रूप में राहुल गांधी का नाम आखिरी वक्त पर हटाने को लेकर हैरानी जताई.

वहीं गौरव गोगोई ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कक्ष में प्रधानमंत्री द्वारा की गई टिप्पणी का सदन में खुलासा किए जाने की मांग की. इस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सदस्य प्रधानमंत्री के बारे निराधार दावे नहीं कर सकते.

कांग्रेस सांसद गोगोई ने पीएम मोदी को मणिपुर की स्थिति पर संसद में बयान देने के लिए मजबूर करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की पहल की. जहां संख्याएं पूरी तरह से मोदी सरकार के पक्ष में हैं, वहीं विपक्ष ने इस प्रस्ताव को “धारणाओं की लड़ाई” बताया है.

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