HomeAdivasi Dailyपश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम सीट पर किस पार्टी का पलड़ा सबसे भारी

पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम सीट पर किस पार्टी का पलड़ा सबसे भारी

पश्चिम बंगाल में लोकसभा की दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इनमें से एक सीट झाड़ग्राम है. आइए इस सीट पर हो रही राजनीति और आदिवासी मुद्दों को समझते हैं.

मंगलवार यानि 7 मई को लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha election 2024) के तीसरे चरण (Third phase) का मतदान होगा. तीसरे चरण में 94 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी.

इन 94 सीटों में पश्चिम बंगाल (Tribes of West Bengal) की 4 लोकसभा सीटें भी शामिल हैं. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं. इनमें दो सीटें – अलीपुरद्वार और झाड़ग्राम (Jhargram) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.

इसके अलावा राज्य में रहने वाले 53 लाख आदिवासी पश्चिम बंगाल की 12 लोकसभा सीटों पर भी असर डालते हैं.
आइए आज पश्चिम बंगाल के आदिवासियों की मांग और आदिवासी इलाकों में राजनीतिक रणनीति को समझने की कोशिश करते हैं.

पश्चिम बंगाल के आदिवासी मतदाताओं की आबादी कुल जनसंख्या का 7.4 प्रतिशत है. यह आदिवासी जंगलमहल के चार संसदीय क्षेत्र और उत्तर बंगाल के आठ क्षेत्रों में रहते हैं.

पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा आदिवासी दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दक्षिण दिनाजुपर, पश्चिम मोदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरूलिया ज़िलों में रहते हैं.

इन ज़िलों की 16 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इसके अलावा आदिवासी मतदाताओं का असर अन्य सीटों पर भी होता है.

भौगोलिक नज़रिए से देखे तो यह राज्य झारखंड से सटा हुआ है. इसलिए झारखंड की तरह पश्चिम बंगाल में भी सरना धर्म कोड की मांग ज़ोरो पर है.

पश्चिम बंगाल और झारखंड के अलावा ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई दलों की यह मांग है कि अगली जनगणना से पहले अन्य धर्मों की तरह आदिवासियों के लिए अलग कॉलम बनाया जाए.

इसके अलावा झारखंड सरकार के बाद पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने भी इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था.

आदिवासियों के अलग-अलग समूहों ने केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड की मांग की है.

2019 लोकसभा चुनाव के नतीज़े क्या बताते हैं?

2019 में लोकसभा चुनाव के नतीज़ों से यह पता चलता है की राज्य की 42 सीटों में से 18 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

बीजेपी ने जंगलमहल की चारों सीटों को हासिल किया था. उत्तरी बंगाल की 8 सीटों में से 6 सीटों पर भी बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

कुड़मी आदिवासी मैदान में उतरे

राज्य की झाड़ग्राम सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. झाड़ग्राम संसदीय सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में चार झाड़ग्राम ज़िले के अंतर्गत आते हैं. इसके अलावा दो पश्चिमी मेदिनीपुर और एक पुरूलिया ज़िले के अंतर्गत आते हैं.

राज्य की झाड़ग्राम लोकसभा सीट पर पहले बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच आमने-सामने का मुकाबला देखने को मिल रहा था.

लेकिन अब कुड़मी समाज से भी दो उम्मीदवार खड़े हुए हैं. यह दोनों बीजेपी और तृणमूल पार्टियों के वोट काटने का काम कर सकते हैं.

इन दोनों उम्मीदवारों के नाम सूर्य सिंह बेसरा और सूर्य सिंह बेसरा बताया जा रहा है.

बीजेपी ने झाड़ग्राम सीटे के लिए डॉक्टर प्रणत टुडु को उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया है. वहीं तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कालीपद सोरेन खड़े हुए हैं.

2011 की जनगणना के अनुसार झाड़ग्राम ज़िले की 42 प्रतिशत जनसंख्या कुड़मी समुदाय की है.

कुड़मी समुदाय लंबे समय से राज्य और केंद्र सरकार से एसटी दर्जें की मांग कर रहे हैं. लेकिन इनकी मांग को हर किसी ने अनसुना कर दिया है.

इसलिए कुड़मी समाज के लोगों ने यह तय किया है कि वे अब राजनीति में अपना प्रतिनिधित्व देंगे और इस मुद्दे को उठाएंगे.

इसके अलावा झारखंड के आदिवासी नेता पुरुलिया में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. पुरुलिया झारखंड और पश्चिम बंगाल के बॉडर पर स्थित ज़िला है.

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