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कश्मीर के आदिवासी समुदाय बर्फबारी और भारी बारिश के बीच पशुधन परिवहन की कर रहे मांग

कश्मीर के ऊपरी इलाकों में रहने वाले जनजातीय समुदाय सर्दियों के मद्देनजर अपने पशुओं को जम्मू संभाग में सुरक्षित स्थानांतरित करने के लिए तत्काल बेहतर परिवहन सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.

कश्मीर के ऊपरी इलाकों में रहने वाले जनजातीय समुदाय सर्दियों के मद्देनजर अपने पशुओं को जम्मू संभाग में सुरक्षित स्थानांतरित करने के लिए तत्काल बेहतर परिवहन सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.


मिली जानकारी मुताबिक हाल में ही भारी बारिश होने के कारण ऊपरी ईलाकों में भीषण ठंड पड़ रही है. जिससे आदिवासी समुदाय में चिंता पैदा हो गई है कि अगर पशुओं को जल्द से जल्द जम्मू संभाग में स्थानांतरण नहीं किया गया तो उन्हें नुकसान हो सकता है.


उन्होंने कहा की इन ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और बारिश के कारण उनके जानवरों को खाना नहीं मिल पा रहा और भूखमरी की नौबत आ गई है. ऐसे में आदिवासी समुदाय सरकार से तुरंत काईवाई की मांग कर रहे हैं.


वहीं पुलवामा में इन परिवारों में से एक के मुखिया मकबूल खटाना ने परिवहन की आवश्यकता के बारे में पूर्व सूचना के बावजूद संबंधित अधिकारियों से प्रतिक्रिया की कमी पर निराशा व्यक्त की है.


उन्होंने सवाल किया, “आदिवासी लोगों के लिए परिवहन व्यवस्था करने के सरकारी दावों के बावजूद हम अभी भी इन सेवाओं तक पहुंचने के लिए लंबे समय तक इंतजार करने के लिए मजबूर हैं.”


आदिवासी समुदायों के मुताबिक, परिवहन के लिए निर्धारित वाहनों की संख्या अपर्याप्त है, जिसके कारण हर एक को परिवहन सुविधा मिलने में काफी देरी हो रही है.


उन्होंने कहा कि पिछले साल, अतिरिक्त ट्रकों की इसी तरह की मांग पूरी नहीं हुई थी, जिसके कारण कई परिवारों के पास अपने पशुओं को पैदल ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था, जैसा कि वे पहले करते थे.


उन्होंने जनजातीय विभाग के सचिव डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी सहित प्रशासन से इस मुद्दे को तुरंत संबोधित करने और स्थिति को सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाने की भी अपील की है.


वहीं अधिकारियों का कहना है कि श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग और मुगल रोड के माध्यम से प्रवासी आदिवासी परिवारों के लिए परिवहन सेवा पिछले साल शुरू की गई थी और इस साल भी जारी है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा की पिछले साल इस सेवा से लगभग 16,000 परिवारों को लाभ हुआ था. जबकि इस बीच संबंधित अधिकारियों ने कहा कि जनजातीय मामलों के विभाग ने अपर्याप्त संख्या में वाहन उपलब्ध कराए हैं, जो बड़ी जनजातीय आबादी और उनके पशुओं की पर्याप्त सेवा करने में कम है.


हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि विभाग अतिरिक्त परिवहन विकल्पों को सुरक्षित करने के लिए जनजातीय मामलों के विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रवासी जनजातीय समुदायों को तुरंत और सुरक्षित रूप से जम्मू डिवीजन में स्थानांतरित किया जा सके.

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