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आदिवासी बच्चों के लिए उच्च शिक्षा सुनिश्चित करें – केरल महिला आयोग

केरल राज्य महिला आयोग (KSWC-Kerala women’s commission) की अध्यक्ष पी. सतीदेवी (P.Sathidevi) ने बताया बस्ती वंचियोड ऊरु में लड़कियों की उच्च स्तर शिक्षा पढ़ने की इच्छा होने के बावजूद परिवार वाले लड़कियों के18 साल की उर्म होने के बाद शादी करा देते है.

केरल राज्य महिला आयोग (KSWC-Kerala women’s commission) की अध्यक्ष पी. सतीदेवी (P. Sathidevi) ने बुधवार को यहां कहा कि आदिवासी बच्चों के लिए उच्च शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. साथ ही पुलिस और उत्पाद शुल्क सहित विभिन्न विभागों की योजनाओं और स्वैच्छिक संगठनों का उपयोग किया जाना चाहिए.

कोल्लम में अनुसूचित जनजाति क्षेत्रीय शिविर के संबंध में आयोजित एक समन्वय बैठक में बोलते हुए पी. सतीदेवी ने कहा कि आदिवासी बच्चों में स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक है.

उन्होंने कहा, “यहां तक कि अगर लड़कियां हाई स्कूल के बाद पढ़ना चाहती हैं तो भी उनके माता-पिता 18 साल की होते ही उनकी शादी करने की कोशिश करते हैं. इस बीच लड़के भी स्कूल छोड़ देते हैं.”

केरल राज्य महिला आयोग ने अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के तत्वावधान में अध्ययन यात्रा आयोजित करने और आदिवासियों को शराब की लत से बचाने के लिए पंचायत में नशा मुक्ति केंद्र शुरू करने की सिफारिश करेंगे.

इसके साथ ही आयोग ने चितहारा ग्राम पंचायत (Chithara grama panchayat) की एक आदिवासी बस्ती वंचियोड ऊरु (Vanchiyod Ooru) का दौरा करने के बाद यह पाया कि निवासियों के पास राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में जीवन स्तर बेहतर है.

कॉलोनी के प्रत्येक परिवार को 50 सेंट ज़मीन दी गई है. जबकि काली मिर्च इन आदिवासियों द्वारा उगाई जाने मुख्य फसल है. यहां के निवासियों ने कहा कि जंगली जानवरों के हमलों के कारण टैपिओका जैसी अन्य फसलों की खेती असंभव है.
इन सब बातों के अलावा आयोग ने यह भी बताया है कि अनुसूचित जनजाति विकास स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and child Development Department) कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने और जरूरी सेवाएं प्रदान करने के लिए लोगों के साथ लगातार संपर्क में हैं.

जबकि पंचायत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और मोबाइल स्वास्थ्य इकाई की सेवाएँ यहां के निवासियों के लिए उपलब्ध थीं. कॉलोनी में किंडरगार्टन में भी अच्छी सुविधाएं थीं.

वहीं आयोग ने संबंधित अधिकारियों को किंडरगार्टन में महीने में एक बार आंगनवाड़ी सेवाएं प्रदान करने का निर्देश देने के साथ ही पीने योग्य पानी सुनिश्चित करना, एक सामुदायिक महिला सुविधाकर्ता की नियुक्ति, जनमैत्री उत्पाद शुल्क योजना का कार्यान्वयन और बस्ती के बुजुर्गों के लिए पंचायत में एक डे होम स्थापित करना आदि सिफारिशें की है.

इससे पहले केरल महिला आयोग की अध्यक्ष पी. सतीदेवी चितहारा ग्राम पंचायत के वंचियोड ऊरु आदिवासी बस्ती के अलावा राज्य के अन्य आदिवासी गांवों का दौरा कर वहां की दिक्कतों को उजागर कर रही हैं और समाधान भी बता रही हैं.
रविवार को पी. सतीदेवी ने कुट्टीचल ग्राम पंचायत के आदिवासी इलाकों का दौरा किया था. अपने इस दौरे के दौरान उन्हें यहां के आदिवासी समुदायों की कई परेशानियों के बारे में पता चला.

उन्होंने कुट्टीचल ग्राम पंचायत के आदिवासी इलाकों में भी शिक्षा के साथ पेंशन में रूकावट जैसी समस्याओं के बारें में बात की थी.

हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में बताया था कि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के नामांकन में वृद्धि हुई है. उन्होंने राज्यसभा में बताया था कि 2014-15 से 2021-22 के बीच अनुसूचित जनजाति (एसटी) विद्यार्थियों के लिए नामांकन वृद्धि दर 65 प्रतिशत थी.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद आदिवासी छात्राओं के नामांकन में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री के इन दावों के बीच जमीनी स्तर के हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं.

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