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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: आदिवासियों को लुभाने के लिए पीएम मोदी और प्रियंका गांधी के बीच जुबानी जंग

मध्य प्रदेश के 52 जिलों में से छह में मुख्य रूप से आदिवासी निवास करते हैं और 15 में आदिवासियों की अच्छी खासी आबादी है. भील समुदाय की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है, जो राज्य में एसटी आबादी का लगभग 40 फीसदी है. इसके बाद गोंड समुदाय की आबादी 34 फीसदी हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh assembly elections) में आदिवासी मतदाताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कांग्रेस (Congress) नेता प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister Narendra Modi) के बीच गुरुवार को जुबानी जंग छिड़ गई.

प्रियंका गांधी और पीएम मोदी दोनों ने मध्य प्रदेश में गोंडवाना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती के उपलक्ष्य में सार्वजनिक सभाओं को संबोधित किया और अपनी-अपनी पार्टियों के लिए आदिवासी वोटों को साधने की कोशिश की.

क्योंकि 47 आरक्षित अनुसूचित जनजाति सीटें और कम से कम 80 से अधिक सीटों पर उनका प्रभाव उन्हें चुनावों में एक महत्वपूर्ण कारक बनाता है.

बीजेपी के लिए आदिवासी मतदाताओं का गिरता समर्थन चिंता का एक बड़ा कारण रहा है. क्योंकि वह 2018 का चुनाव हार गई थी जब उसकी आदिवासी सीटों की संख्या 2013 में 47 में से 37 से घटकर 2018 में सिर्फ 16 रह गई थी.

भारत में सबसे बड़ी आदिवासी आबादी वाले राज्य मध्य प्रदेश में 46 मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति हैं. जिनमें तीन विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (पीवीटीजी) शामिल हैं.

मध्य प्रदेश के 52 जिलों में से छह में मुख्य रूप से आदिवासी निवास करते हैं और 15 में आदिवासियों की अच्छी खासी आबादी है. भील समुदाय की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है, जो राज्य में एसटी आबादी का लगभग 40 फीसदी है. इसके बाद गोंड समुदाय की आबादी 34 फीसदी हैं.

प्रियंका ने कहा- अब मोदी शिवराज का नाम लेने से डरने लगे

राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने आदिवासी बहुल धार (Dhar) जिले के मोहनखेड़ा (Mohankheda) एक जनसभा को संबोधित किया. रानी दुर्गावती के बारे में बात करने के अलावा उन्होंने भ्रष्टाचार, रोजगार और महंगाई सहित अन्य मुद्दों पर भाजपा पर हमला बोला.

आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का समर्थन नहीं करने को लेकर मध्य प्रदेश में राजनीतिक चर्चा को उठाते हुए उन्होंने कहा कि चौहान को उनकी अपनी ही पार्टी द्वारा ‘दरकिनार’ किया जा रहा है.

प्रियंका ने कहा, “आजकल (पीएम) मोदी को शिवराज का नाम लेने में भी शर्म आती है. उन्होंने कहना शुरू कर दिया है कि मुझे वोट दो. शिवराज आपके सीएम नहीं बनने वाले हैं.”

प्रियंका ने मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान हुए कथित घोटालों का भी जिक्र किया और कहा, “अगर माँ नर्मदा के साथ घोटाला हो सकता है तो महाकाल लोक में भी घोटाला हो सकता है और जब कोई देवताओं के साथ भी भ्रष्टाचार करने की हिम्मत करता है, तो क्या उसे बदलने का समय नहीं आ गया है? शिशुपाल के अत्याचारों का घड़ा भर चुका है.”

प्रियंका ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी कहते हैं कि हमने रोजगार दिलाए हैं. हम कहते हैं कि हमने दिलाएं. ऐसे में जनता को कैसे पता चलेगा कि सच कौन बोल रहा है. पिछले 18 सालों में 17 हजार नवयुवकों ने खुदकुशी की है. मेरी बातों में भी मत पड़िए. सच्चाई और अपने अनुभव में पड़िए.

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी चरम पर है. शिक्षकों के करीब 70 हजार, डॉक्टरों के 90 फीसदी पद खाली हैं. सर्जन के 90 फीसदी से ज्यादा पद खाली है, फिजीशियन के 90 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, बच्चों के डॉक्टर के 90 फीसदी पद खाली हैं.

प्रियंका गांधी ने कहा कि पीएम मोदी 50 मिनट में 50 बार कांग्रेस का नाम लिया. मैं उन्हें एक छोटी सी सलाह दे देती हूं कि जितनी बार कांग्रेस का नाम लेते हैं उसके जगह विकास का नाम लीजिए. बताइए इंदौर में कितने विकास के काम किए. कितनों के पीछे ईडी डाल दी. कितनी बिजली फ्री दी, लेकिन ये नहीं कह सकते इनमें हिम्मत नहीं है क्योंकि इन्होंने काम नहीं किया है.

इस दौरान प्रियंका ने कहा कि चुनाव आया तो घोषणाएं शुरू हो गए. मोदी जी हर दो दिन में आकर उद्घाटन कर रहे हैं. 18 साल में ये याद नहीं आया. क्या पहले समय नहीं मिला. जागो और इनको सिखाओ.

पीएम मोदी ने कहा- कांग्रेस ने की आदिवासियों की उपेक्षा

वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने आदिवासी नेताओं की मूर्तियों के निर्माण और आदिवासी कल्याण योजनाओं को शुरू करने के लिए पार्टी और राज्य सरकार की ओर से श्रेय लिया. उन्होंने कांग्रेस पर आदिवासी समुदाय की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ” उन्होंने कहा कि देश को आजादी सिर्फ एक परिवार ने नहीं दिलाई थी, देश का विकास सिर्फ एक ही परिवार ने नहीं किया. जिस पार्टी ने इतने सालों तक देश में सरकार चलाई, उसने आदिवासियों को सम्मान नहीं दिया. आदिवासियों के योगदान को मान्यता क्यों नहीं दी गई? देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति देने का सौभाग्य भी बीजेपी को मिला.”

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के किसी देश में रानी दुर्गावती जैसा कोई उनका नायक होता, नायिका होती तो वो देश पूरी दुनिया में उछल कूद करता.आजादी के बाद हमारे देश में भी यही होना चाहिए था लेकिन हमारे महापुरुषों को भुला दिया गया. हमारे तेजस्वी, तपस्वी, त्याग और तपस्या की मूर्ति वीरों और वीरांगनाओं को भुला दिया गया.

मध्य प्रदेश और आदिवासी मतदाता

मध्य प्रदेश की राजनीति आदिवासी मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमती है जो सत्तारूढ़ भाजपा से दूर हो रहे हैं. 2018 के ‘सबक’ के बाद बीजेपी ने कई घोषणाओं से आदिवासियों को लुभाने की कोशिश की है.

पीएम मोदी का कार्यक्रम राज्य के महाकौशल क्षेत्र के मध्य जिले जबलपुर में आयोजित किया गया था, जहां 2018 के चुनावों में कांग्रेस को भारी बढ़त मिली थी.

महाकौशल क्षेत्र में, जिसमें जबलपुर, कटनी, छिंदवाड़ा, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट शामिल हैं. यहां की 38 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस पार्टी ने 24 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने 13 सीटें जीतीं थी.

आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित 13 सीटों में से कांग्रेस ने 11 सीटें जीतीं, जबकि सिर्फ 2 सीटें भाजपा के खाते में गईं थी. इसके अलावा इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सभी 3 सीटें फिलहाल कांग्रेस के पास हैं.

भाजपा के लिए 2018 के विधानसभा चुनावों में आदिवासी वोटों का नुकसान घातक साबित हुआ क्योंकि उसे सत्ता गंवानी पड़ी. दूसरी ओर आदिवासियों के बीच कांग्रेस की बढ़ती पैठ ने बीजेपी के लिए हालात और खराब कर दिए हैं.

शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल पिछले एक साल से आदिवासियों को ध्यान में रखकर कई घोषणाएं कर रहा है.

सितंबर 2021 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आदिवासी समुदायों से जुड़ने के भाजपा सरकार के प्रयासों के तहत अंतिम गोंड शासकों शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह के सम्मान में छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम बदल दिया.

उसी साल सीएम चौहान ने इंदौर में पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या भील के नाम पर रखा. बड़वानी में भीमा नायक के लिए एक स्मारक की स्थापना की घोषणा की और गोंड रानी रानी कमलापति के सम्मान में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया.

इसी कड़ी में नया था भाजपा द्वारा गोंड रानी रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती मनाना.

कांग्रेस भी आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार का मुद्दा उठाकर आदिवासी मतदाताओं को लुभाने से नहीं कतरा रही है. पूर्व सीएम कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा आदिवासी बहुल है.

हालांकि बीजेपी की आंतरिक खींचतान और सीएम चौहान के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर के बीच कांग्रेस को आगामी चुनावों में बढ़त मिलती दिख रही है. लेकिन पार्टियां आदिवासी वोटों को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रही हैं.

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