एक तरफ हमारा देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बात कर रहा है वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के आदिवासी इलाकों में एंबुलेंस सुविधा तक मौजूद नहीं है.
हाल ही में राज्य के खरगोन ज़िले के आदिवासी इलाके में एंबुलेंस न पहुंचने के कारण आदिवासी महिला को मजबूरन बैलगाड़ी से ले जाया गया.
13 दिसंबर को खरगोन के झिरन्या तहसील के आदिवासी गांव चोपाली की रहने वाली गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. जिसके बाद परिवार वालों ने 108 एंबुलेंस और निशुल्क जननी एक्सप्रेस के वाहन के लिए संपर्क किया लेकिन पीड़ा बढ़ती रही और एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची.
मजबूरी में दर्द से कराह रही आदिवासी गर्भवती महिला को उसके परिवार वाले करीब 5 से 6 किलोमीटर की दूरी में स्थित हेलापड़ाव स्वास्थ्य केंद्र में बैलगाड़ी में लेटाकर ले गए. बैलगाड़ी से ले जाने में परिजनो को करीब दो घंटे से भी अधिक का समय लग गया.
ये ऐसा पहला मामला नहीं है, देश के लगभग हर आदिवासी इलाकों से ऐसी खबरे सुनने को मिलती रहती है. ज्यादातर मामलों में एम्बुलेंस न पहुंचने के कारण यहां की खराब सड़कों की सुविधा बाताई जाती है.
हाल ही में महाराष्ट्र में खराब स्वास्थ्य सुविधा होने के कारण गर्भवती आदिवासी महिला की मृत्यु हो गई थी. यह घटना 24 नवंबर की है, महाराष्ट्र के कर्जत के निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान एक आदिवासी महिला की मृत्यु हो गई और उसका बच्चा भी मृत पैदा हुआ था.
ये भी पता चला कि इस गर्भवती आदिवासी महिला का इलाज आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा किया गया था.
जब इसके बारे में अस्पताल प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा स्थापित नियम बीएएमएस डॉक्टरों को सी-सेक्शन करने की अनुमति देते हैं और हमारे अस्पताल के लाइसेंस का नवीनीकरण चल रहा है.
खराब स्वास्थ्य सुविधा और खस्ताहाल सड़कों के कारण अक्सर गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग ही सबसे ज्यादा प्रभावित होते है क्योंकि उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता है. और ऐसे मामले ज्यादातर आदिवासी इलाकों में ही देखने को मिलते है.
ये दिक्कत देश के हर आदिवासी इलाकों में आपको देखने को मिल जाएगी. हाल ही में इसीं तरह के कुछ मामले तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में दर्ज किए गए है.
लेकिन चुनाव के समय इस बारे में किसी भी पार्टी के द्वारा खास दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती.