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मणिपुर जल गया, यूरोपीय संसद में भी चर्चा, पीएम मोदी एक शब्द नहीं बोले – राहुल गांधी

प्रधानमंत्री मोदी दो दिन के फ्रांस दौरे पर गए थे. शुक्रवार को वे फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस (बैस्टिल डे परेड) में बतौर अतिथि शामिल हुए. पीएम को फ्रांस सरकार की तरफ से आमंत्रित किया गया था.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. राहुल ने कहा कि मणिपुर के हालात पर यूरोपीय संसद में चर्चा हुई और विरोध में प्रस्ताव लाया गया लेकिन पीएम मोदी ने अब तक एक शब्द भी नहीं बोला है.

राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा है कि राफेल ने पीएम मोदी को बैस्टिल डे परेड का टिकट दिला दिया. उन्होंने यह भी कहा कि वह ऐसे समय में इस समारोह में शामिल हुए जब मणिपुर जल रहा और यूरोपीय संघ की संसद भारत के आंतरिक मामले पर चर्चा कर रही है. लेकिन पीएम मोदी दोनों मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “मणिपुर जल गया. EU संसद ने भारत के आंतरिक मामले पर चर्चा की. पीएम ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा. इस बीच राफेल ने उन्हें बैस्टिल डे परेड का टिकट दिला दिया.”

प्रधानमंत्री मोदी दो दिन के फ्रांस दौरे पर गए थे. शुक्रवार को वे फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस (बैस्टिल डे परेड) में बतौर अतिथि शामिल हुए. पीएम को फ्रांस सरकार की तरफ से आमंत्रित किया गया था.

वहीं पीएम मोदी ने परेड की तस्वीर पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, “फ्रांस की यह यात्रा यादगार रही. मुझे बैस्टिल दिवस समारोह में भाग लेने का अवसर मिलना इस और यादगार बना दिया. भारतीय दल को परेड में गौरवपूर्ण स्थान पाते देखना अद्भुत था. मैं असाधारण गर्मजोशी और आतिथ्य के लिए राष्ट्रपति मैक्रों और फ्रांसीसी लोगों का आभारी हूं. भारत-फ्रांस की दोस्ती आगे बढ़ती रहे.”

जयराम रमेश ने भी उठाया सवाल

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, जनवरी 1977 में येल विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रिचर्ड नेल्सन ने द मून एंड द गेटो नामक एक बेहद चर्चित लेख प्रकाशित किया था. ग्रेजुएट स्कूल में मेरे जैसे लोगों के लिए इसे पढ़ना जरूरी हो गया. नेल्सन ने सवाल उठाया- ऐसा क्यों लगता है कि तकनीकी रूप से गतिशील अमेरिका इंसान को चंद्रमा पर उतारने में सक्षम है लेकिन अपने घरेलू विशेषकर आंतरिक शहरों में समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह जरूरी और सोचने वाली बात है, जो हमारे लिए भी प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि हम चंद्रमा पर जा सकते हैं लेकिन हमारे लोगों को घर पर जिन बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनसे निपटने में असमर्थ या इच्छुक ही नहीं हैं. नेल्सन लेख का भारतीय एडिशन द मून एंड मणिपुर हो सकता है.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, यूरोपीय संघ की संसद ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया. इसमें मणिपुर हिंसा को लेकर भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर बात की और आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के कारण मौजूदा स्थिति बनी हुई है. प्रस्ताव में मणिपुर में इंटरनेट सेवा बंद होने का भी जिक्र किया गया.

हालांकि, भारत ने मणिपुर हिंसा पर यूरोपीय संसद में लाए गए प्रस्ताव पर विरोध जताया और इसे गैर जरूरी दखल देना बताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं होगा.

अरिंदम बागची ने कहा, “भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और औपनिवेशिक मानसिक को दर्शाता है. न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं और शांति और सद्भाव और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रहे हैं. यूरोपीय संसद को सलाह दी जाएगी कि वह अपने आंतरिक मुद्दों पर अपने समय का अधिक उत्पादक ढंग से उपयोग करें.”

मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा

मणिपुर पिछले दो महीने से भी ज्यादा वक्त से हिंसा की आग में जल रहा है. राज्य में पहली बार हिंसा 3 मई को तब भड़की जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था इस दौरान ही हिंसा भड़क उठी थी और तब से सिलसिलेवार हिंसा अब तक जारी है.

3 मई से शुरू हुई हिंसा में अब तक 142 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 54 हजार लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नगा और कुकी आबादी का हिस्सा 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

दरअसल, मणिपुर हाई कोर्ट के 27 मार्च को दिए गए आदेश में राज्य सरकार को बहुसंख्यक समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र के पास सिफारिश भेजने को कहा गया था. इसके बाद से ही राज्य तनावपूर्ण माहौल की स्थिति पैदा हो गई थी.

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