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तमिलनाडु में 2 लाख से ज्यादा छात्राओं को अभी तक नहीं मिली सरकारी सहायता

आदिवासी कल्याण विभाग और आदि द्रवीदार द्वारा राज्य के आदिवासी और अनुसूचित जाति के छात्राओं को वित्तीय सहायता दी जाती है. लेकिन पिछले साल की तरह इस साल भी सरकार सभी छात्राओं को सरकारी सहायता देने में असमर्थ रही.

आज भी हमारे में देश के ग्रामीण समाज़ में कई लड़कियों को शिक्षा के लिए (tribal girl education) प्रोतसाहित नहीं किया जाता. इसी समस्या को हल करने और सब पढ़े, सब बढ़े नीति को अपनाने के लिए सरकार अलग-अलग योजनाओं के ज़रिए वित्तीय सहायता प्रदान करती आई है.

लेकिन तामिलनाडु (Tribes of tamil nadu) के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की छात्राएं इस साल अपने इस हक से वंचित हो सकती है.

राज्य में प्रत्येक आदिवासी और पिछड़े वर्ग की छात्राओं को हर साल आदिवासी कल्याण विभाग और आदि द्रवीदार द्वारा वित्तीय सहायता (Govt schemes) दी जाती है.

यह रकम कम है लेकिन इन छात्राओं के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि इस रकम से इनकी पढ़ाई से जुड़ी कई मूलभूत सुविधाएं पूरी हो पाती है.

लेकिन शैक्षिक साल खत्म होने वाला है और सरकार की वित्तिय सहायता अभी तक छात्राओँ को आवंटित नहीं की गई है.
पिछले साल भी कुछ ज़िलों को छोड़कर बाकी सभी ज़िले की छात्राओं को पैसे आवंटित नहीं किए गए थे.

स्कूल छात्राओं को सरकारी सहायता न देने का कारण अधिकारियों ने निष्क्रिय बैंक खाते और अन्य कई वज़ह बताई हैं.

योजना से जुड़े अधिकारियों ने फैसला किया की पैसे आवंटन की प्रक्रिया के आसान संचालन के लिए छात्राओं के बैंक खाते को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा.

एक साल बीत गए और अभी तक सभी छात्राओं के बैंक खाते को आधार कार्ड जोड़ने में प्रशासन सक्षम नहीं हो पाया. जिसकी वज़ह से इस साल भी सहायता लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाई है.

योजना के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक इस विशेष स्कीम के तहत कक्षा 1 से 5 तक पढ़ने वाली छात्राओं को 500 रूपये, कक्षा 6 को 1000 रूपये और कक्षा 7 से 8 को 1500 रूपये आवंटित किए जाते हैं.

इस विशेष स्कीम के अंतर्गत सरकार द्वारा हर साल 4.5 लाख लड़कियों को 43 करोड़ देने का वादा किया गया था.
यह पैसे छात्राओं को फरवरी के अंत या मार्च के पहले हफ्ते तक मिल जाने चाहिए. जिसका अभी तक कोई आता-पता नहीं है.

तमिलनाडु के अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के महासचिव, के. सैमुएलराज ने बताया की राज्य की आधा से ज्यादा लाभार्थियों को रकम आवंटित नहीं की गई है.

उन्होंने आगे बताया की इस साल सरकार ने यह फैसला किया था की बैंक खाते को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा. लेकिन सरकार ने इसके लिए स्कूलों में जागरूकता अभियान नहीं चलाए और न ही स्कूलों के अध्यापक इस प्रक्रिया से अवगत थे.

वहीं स्कूल के अध्यापकों ने बताया की इस विशेष स्कीम की तरह सरकार अन्य योजनाएं चलाती है जिसके तहत अति पिछड़े वर्ग को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

इसके लिए सरकार स्कूल के खाते में पैसे आवंटित करती है और फिर स्कूल अधिकारी उन्हें बच्चों तक पहुंचाते है.
आदि द्रविदार और कल्याण विभाग के अधिकारी ने जानकारी दी की लगभग 50 प्रतिशत लाभार्थियों को पैसे नहीं दिए गए है.

क्योंकि सभी बच्चों के बैंक खाते को आधार से नहीं जोड़ पाए हैं. शैक्षिक साल अब खत्म होने वाला है इसलिए सरकार पुरानी प्रक्रिया का पालान करते हुए पैसे आवंटित कर देंगे.

इसके साथ ही उन्होंने यह आश्वासन दिया की सभी छात्राओँ को मार्च के अंत तक पैसे मिल जाएंगे.

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