HomeAdivasi Dailyओडिशा: आदिवासी किसानों की इस फसल को मिला विदेशी मार्केट

ओडिशा: आदिवासी किसानों की इस फसल को मिला विदेशी मार्केट

ओडिशा के किसान आदिवासी सादियों से पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. जिसके कारण इन्हें संतोषजनक उत्पादन नहीं मिल पाता. इसी समस्या को देखते हुए प्राइवेट संस्थान पैलेडियम (Palladium) बनाई गई थी.


ओडिशा (Odisha) में 62 जनजातियां रहती है, इसमें से 13 विशेष रूप से कमज़ोर जनाजातीय समूह (PVTGs) के अंतर्गत आते हैं. मयूरभंज (Mayurbhanj) ज़िले में अधिकतर आबादी पीवीटीजी की है. ये सभी अपनी आजीविका चलाने के लिए खेती-किसानी पर निर्भर रहते हैं.

लेकिन इनकी मुख्य रूप से दिक्कत यह है की खेती से मिला पैसा इनके परिवार का पेट भरने के लिए काफी नहीं है. क्योंकि ये आदिवासी समुदाय आज भी पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे इनको उत्पादन संतोषजनक नहीं मिल पाता.

इसी समस्या को दूर करने के लिए एक प्राइवेट संस्थान पैलेडियम (Palladium) है. संस्थान के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह संस्थान राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) के द्वारा बनाई गई थी.

ये संस्थान किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organisations ) की सहायता से इन किसानों के द्वारा उगाए गए फसलों को बाज़ार उपलब्ध करवाता है.

ये प्राइवेट कंपनी अभी ओडिशा की 10 एफपीओ (FPO) की मदद से वहां के किसानों की फसलों को बाज़ार उपलब्ध करवाती है. इसके साथ ही वे उन्हें खेती में आई नई तकनीकों से भी अवगत करवाती है.

इससे यहां के आदिवासी किसानों को फसल बेचने में काफी मदद मिलती है. साथ ही उन्हें फसल बेचने के लिए बाज़ार को ढूंढ़ने की दिक्कत भी नहीं झेलनी पड़ती.

इन एफपीओ में से एक आदिवासी सोसोनम एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (Sosonum Agro Farmer Producer Company) है. जिसमें 59 महिला किसानों सहित 517 आदिवासी किसान हैं.

मयूरभंज में स्थित इस समूह को सुगंधित फसलों में विविधता लाने के लिए किसी तरह के समर्थन की जरूरत थी. ये कंपनी विशिष्ट फसल, लेमनग्रास के लिए बाजार कनेक्शन स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहा था.

इसके बाद पैलेडियम ने सोसोनम एग्रो के किसानों को जरूरी तकनीकी मदद दी. इस मदद से लेमनग्रास की खेती, तेल निष्कर्षण और लेमनग्रास तेल की बोतलबंद और पैकेजिंग को सफलतापूर्वक अपनाया गया.

इसके अलावा पैलेडियम ने सोसोनम एग्रो को अमेरिका और फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप लेमनग्रास उत्पादों का निर्यात हुआ. इससे न सिर्फ एफपीओ सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि आदिवासी किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ.

साथ ही सोसोनम एग्रो ने अपने गठन के दो सालों में एक करोड़ का टनओवर कमाया है. जिससे किसानों की कमाई में 40 प्रतिशत की वृद्धी हुई है. पारंपरिक अनाज की खेती से व्यावसायिक खेती की ओर जाने में चुनौतियों तो बहुत थी लेकिन सोसोनम एग्रो की पहल बहुत ज्यादा सफल साबित हुई. जिसने आदिवासी किसानों को आय का एक स्थायी स्रोत दिया और मयूरभंज जिले में सुलियापाड़ा ब्लॉक समुदाय का उत्थान किया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments