मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद आज यानि 29 अगस्त को पहली बार विधानसभा सत्र बुलाया गया. लेकिन मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र की बैठक शुरू होने के एक घंटे की भीतर कांग्रेस विधायकों के हंगामे के कारण अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया.
राज्य में थोड़े-बहुत हालात सामान्य होने के बीच इस एक दिन के सत्र को काफी अहम माना जा रहा था. विधानसभा का ये सत्र तीन महीने बाद और राज्य में जारी जातीय हिंसा के बीच हुआ, ऐसे में यह सत्र काफी मायने रखता था.
दरअसल, कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाकर पांच दिन किए जाने की मांग को लेकर हंगामा किया.
पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अगुवाई में विपक्षी विधायकों ने कहा कि राज्य में जातीय हिंसा की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है.
कुकी समुदाय के सभी दस विधायक सदन में नहीं आए थे.
सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरु होने पर तीन मई को राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा में मारे गए लोगों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘बड़े दुख के साथ हम हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति शोक जताते हैं. ऐसे वक्त में हिंसा में अपने प्रियजनों को खोने वाले लोगों के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं.’’
सदन ने संकल्प लिया कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए सभी मतभेदों को संवाद और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए.
सदन ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की भी प्रशंसा की और इस मिशन की अगुवाई करने वाले भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) के दल का हिस्सा रहे मणिपुर के वैज्ञानिक एन रघु सिंह को बधाई दी.
इसके तुरंत बाद कांग्रेस विधायकों ने अपनी सीट से ‘मजाक बंद करो, लोकतंत्र को बचाओ’ के नारे लगाने शुरू कर दिए और मांग की कि राज्य में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र बुलाया जाए.
विधानसभा अध्यक्ष टी. सत्यब्रत सिंह ने विपक्षी विधायकों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया. लेकिन हंगामा न थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
आधे घंटे बाद सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र बुलाने की मांग दोहराई और इसके पक्ष में नारे लगाने लगे. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हंगामे के बीच बैठक जारी रखना संभव नहीं है. इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी.
राज्य सरकार ने पिछले महीने 21 अगस्त तक विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में राज भवन से मंजूरी न मिलने के बाद तारीख में संशोधन कर इसे 28 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था. पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री कार्यालय ने घोषणा की कि विधानसभा सत्र 29 अगस्त को बुलाया जाएगा.
‘कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी’ (COTU) और ‘इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (ITLF) ने हाल में विधानसभा सत्र बुलाए जाने की निंदा करते हुए कहा था कि कुकी-जो विधायकों के इसमें भाग लेने के लिए मौजूदा स्थिति अनुकूल नहीं है.
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने शनिवार को कहा था कि आगामी 29 अगस्त को बुलाया जा रहा विधानसभा का एक दिवसीय सत्र दिखावा मात्र है और यह जनता के हित में नहीं है.
मणिपुर में आखिरी बार विधानसभा मार्च में बैठी थी. संविधान का अनुच्छेद-174 कहता है कि राज्य की विधानसभा साल में कम से कम दो बार बुलाई जाय या दो सत्र के बीच 6 महीने से ज्यादा की देरी न हो. इसलिए 2 सितंबर से पहले हर हाल में विधानसभा सत्र बुलाना जरूरी था.