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राहुल गांधी 2 दिन के मणिपुर दौरे पर पहुंचे, हिंसा प्रभावित परिवारों से करेंगे मुलाकात

मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई हिंसा के बाद से यह कांग्रेस नेता का पूर्वोत्तर के इस राज्य का पहला दौरा है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इंफाल पहुंचने के बाद राहुल गांधी चुराचांदपुर जिले जाएंगे जहां वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे.

पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर 58 दिन से हिंसा की आग में जल रहा है. यहां हिंसा में 120 लोग जान गंवा चुके हैं जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. ऐसे में मणिपुर में जारी हिंसा के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज से दो दिन राज्य के दौरे पर रहेंगे.

आधिकारिक कार्यक्रम के मुताबिक, राहुल गांधी सुबह 11:45 बजे ग्रीनवुड अकादमी, तुईबोंग और चुराचांदपुर सरकारी कॉलेज का दौरा करेंगे और दोपहर 1:30 बजे एक कार्यक्रम के लिए सामुदायिक हॉल, कोन्जेंगबाम और मोइरांग कॉलेज जाएंगे.

राहुल 29 और 30 जून को मणिपुर में रहेंगे. वहां वे राहत शिविरों का दौरा करेंगे और पीड़ितों का हाल जानेंगे. इस दौरान वह कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों से भी मुलाकात कर सकते हैं. सबसे ज्यादा हिंसात्मक घटनाएं चुराचंदपुर में देखने को मिली हैं. इसके अलावा राहुल मणिपुर की राजधानी इंफाल और चुराचांदपुर में सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे.

मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई हिंसा के बाद से यह कांग्रेस नेता का पूर्वोत्तर के इस राज्य का पहला दौरा है.

कांग्रेस ने गुरुवार को एक ट्वीट में लिखा, ”राहुल प्यार का पैगाम लेकर मणिपुर जा रहे हैं.”

मणिपुर में इस साल मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से 300 से अधिक राहत शिविरों में करीब 50,000 लोग रह रहे हैं.

वहीं पिछले महीने के आखिर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यहां का दौरा किया था और दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों और समूहों से बात की थी. उनसे मुलाकात के बाद कुछ दिन माहौल शांत रहा था लेकिन अब फिर से तनाव बढ़ गया है.

एक हफ्ते पहले गृह मंत्री ने दिल्ली में मणिपुर की स्थिति को लेकर 18 पार्टियों के साथ सर्वदलीय बैठक की थी. इस बैठक में सपा और आरजेडी ने मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी. साथ ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी. कांग्रेस भी मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाने की मांग कर चुकी है, उनका तर्क है कि “उनके नेतृत्व में शांति बहाल नहीं की जा सकती.”

इस बीच इस बीच कांग्रेस के पूर्वोत्तर प्रभारी अजॉय कुमार ने कहा, “राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी हमेशा मणिपुर मुद्दे को उठाते रहे हैं. राहुल गांधी का मानना है कि देश को मणिपुर की स्थिति जानने की जरूरत है. राज्य में इस वक्त कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल है. डबल इंजन सरकार ट्रिपल प्रॉब्लम सरकार बन गई है. राहुल गांधी राज्य के लोगों से मिलेंगे और मुझे लगता है कि इससे सरकार को कुछ सीखना चाहिए.”

कब से जल रहा है मणिपुर?

3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई थी. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.

तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.

ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.

दरअसल, पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है. हाई कोर्ट के इसी आदेश के बाद राज्य में हिंसा भड़की.

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