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तामिलनाडु : केम्बनूर बस्ती के आदिवासी छात्र-छात्राएं दो महीने से नहीं गए स्कूल

तामिलनाडु के केम्बनूर आदिवासी के बच्चें दो महीने से स्कूल नहीं जा पा रहे हैें, जिसकी मुख्य वज़ह वाहन की अनुपस्थिति बताई जा रही है.

तामिलनाडु (Tamil Nadu) के ईरोड ज़िले (Erode District) के केम्बनूर आदिवासी (Kembanur tribal settlement) बस्ती में दो महीने से आदिवासी छात्र और छात्राएं स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. क्योंकि इन सभी के पास कोई यातायात साधान उपलब्ध नहीं है.

साल 2000 में केम्बनूर आदिवासी बस्ती से लगभग 50 परिवार रोज़गार की तालाश में विनोबा नगर (Vinoba Nagar) चले गए थे. उस समय सिर्फ तीन आदिवासियों ने बस्ती में रहने का फैसला किया. जिनमें एम. श्रीरंगन (जिनकी उम्र अब 74 वर्ष है), उनकी पत्नी (लक्ष्मी) और उनकी पत्नी की मां (मधम्मल) शामिल हैं.

लेकिन 20 साल बाद यानी 2020 में कोविड -19 महामारी के दौरान रोजगार न होने के चलते 18 परिवार अपनी बस्ती में वापास आ गए. बस्ती में आकर इन सभी ने झोपड़ियां बनाई अपनी पट्टा भूमि पर खेती-किसानी करना शुरू कर दिया.

पूरे हफ्ते ये परिवार विनोबा नगर में रहते हैं और उनके बच्चे कोंगरपालयम के सरकारी हाई स्कूल और विनोबा नगर के पंचायत यूनियन मिडिल स्कूल में पढ़ते हैं. फिर शनिवार और रविवार को ये परिवार बस्ती में लौट आते हैं.

एक निवासी, मनियाल ने बताया की ये आने जाने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर हम बस्ती में ही रहे तो बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे. लेकिन पिछले दो महीनों से ये परिवार विनोबा नगर नहीं जा रहे हैं और बस्ती में रह रहे हैं और इसलिए बच्चों की स्कूली शिक्षा छूट गई है.

इसके पीछे की वजह ये है कि स्कूल तक जंगल के अंदर 6 किलोमीटर की कच्ची सड़क से गुजरने के बाद ही पहुंचा जा सकता है, जो मोटर-योग्य नहीं है. एक अन्य निवासी ने स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित वाहन की मांग करते हुए कहा, “हाथी और अन्य जंगली जानवर सड़कों को पार करते हैं और हम अपने बच्चों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते.”

यही कारण है की ये सभी आदिवासी छात्र-छात्राएं अब स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. वहीं केम्बनूर के पास स्थित विलनकोम्बई आदिवासी बस्ती के 32 छात्रों के लिए परिवहन उपलब्ध है. लेकिन परेशानी की बात ये है की अगस्त के महीने में इस वाहन का किराया 600 से बढ़ाकर 1300 कर दिया गया. ये रकम एक आदिवासी बच्चें से ली जाती है. जो शायद ही आदिवासी किसान परिवार चुका पाएं

मामलें की गंभीरता को देखते हुए गैर सरकारी संगठन सुधार के निदेशक एस. सी. नटराज (S.C. Natraj) ने कहा की इन दोनों ही आदिवासी बस्तियों के लिए एक स्थायी समाधान की जरूरत है. उन्होंने इन दोनों बस्तियों के लिए एक स्कूल बनाने का सुझाव दिया.

साथ ही ये भी कहा की स्कूल बनने तक सभी बच्चों के लिए केम्बनूर जाने के लिए एक वाहन की व्यवस्था की जा सकती है और जब तक यह नहीं हो जाता, बच्चों को पढ़ाने के लिए स्वयंसेवकों को शामिल किया जा सकता है.

आदिवासियों की इस समस्या को देखते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी (Chief Educational Officer) जे.ए. कुलंदीराजन ( J.A. Kulandairajan) ने कहा की इन सभी आदिवासी बच्चों के लिए जल्द ही वाहन उपलब्ध करवाएं जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने ये आश्वासन दिया की सभी छात्र-छात्राओं के वाहन का किराया समग्र शिक्षा योजना (Samagra Shiksha Scheme) के तहत उपलब्ध करवाया जाएगा.

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