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महाराष्ट्र: वाधवन बंदरगाह रद्द करने समेत अन्य मांगों को लेकर आदिवासी समूहों ने मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर रास्ता रोको प्रदर्शन किया

महाराष्ट्र बंदरगाह (Vadhvan Port) रद्द करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर आदिवासी संगठनों ने रविवार को मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर रास्ता रोको प्रदर्शन किया.


वाधवन बंदरगाह (Vadhvan Port) रद्द करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर आदिवासी संगठनों ने रविवार को मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर रास्ता रोको प्रदर्शन किया.

एक घंटे तक दोनों लेन पर यातायात रुका रहा. वहीं प्रर्दशन के दौरान शिवसेना (शिदें) के सांसद राजेंद्र गावित ने प्रर्दशनकारियों से मुलाकात की.


आदिवासी एकता परिषद और भूमिसेना ने रविवार की सुबह करीब 11.30 बजे एनएच 48 पर जवाहर फाटा पर करीब एक घंटे तक रास्ता रोको का आयोजन किया.


इस आंदोलन को महा विकास अघाड़ी के राजनीतिक दलों ने सर्मथन दिया था. कड़ी धूप होने के बावजूद इस आंदोलन में बड़ी संख्या में किसान, मछुवारों और आदिवासियों ने हिस्सा लिया.


प्रर्दशनकारियों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. पालघर के रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर सुभाष भागड़े ने आंदोलनकारियों का आवेदन पत्र स्वीकार कर लिया है.


आंदोलनकारियों के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले गावित ने मांगों का ज्ञापन लेने के बहाने वहां का दौरा किया है. लेकिन इस विरोध का समर्थन करने का संकेत दिया.


वहीं भूमिसेना के संस्थापक अध्यक्ष कालूराम धोडाड़े ने कहा कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले समय में रेल रोको आंदोलन किया जाएगा.


क्या है पूरा मामला
अदरगान के क्षेत्र में 16 मछली पकड़ने वाले गांवों को सीधे रूप से प्रभावित होंगे। लगभग 20 हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे, ऐसी जानकारी अखिल महाराष्ट्र मछुआरा एक्शन कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र दामोदर तांडेल ने दी.

तांडेल ने बताया कि यह जगह मछली प्रजनन के लिए अनुकूल है. यहां लगभग 5 हज़ार एकड़ जमीन पर मछली का बीज तैयार किया जाता है और उसे समुंदर में छोड़ा जाता है.

बंदरगाह के निर्माण होने पर मछली के प्रजनन द्वारा होने वाले बीज उत्पादन प्रभावित होंगे. बंदरगाह का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि बंदरगाह से संबंधित अन्य गतिविधियों जैसे रेलवे सिस्टम का निर्माण, सड़क निर्माण और सड़क चौड़ीकरण, अदारगन बंदरगाह से जुड़ने के लिए छोटे बंदरगाहों का निर्माण, 100 किमी लंबी एलपीजी पाइपलाइन, बंदरगाह का काम करने वालों के लिए आवास जैसी संबंधित गतिविधियों के कारण भविष्य में दहाणू और पालघर तालुका के 100 से अधिक गांव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने की आशंका है.

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