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TATA में करीब 1900 आदिवासी लड़कियों को मिली नौकरी, 800 लड़कियां तमिलनाडु के लिए हुई रवाना

अधिकारियों ने कहा कि 18-19 सितंबर, 2022 को खूंटी, सरायकेला, चाईबासा और सिमडेगा में दो दिवसीय भर्ती अभियान का आयोजन किया गया था. इस पहल को शानदार प्रतिक्रिया मिली और ग्रामीण क्षेत्रों से भर्ती अभियान में 2,600 से अधिक लड़कियों और युवतियों ने भाग लिया.

झारखंड (Jharkhand) में रहने वाली आदिवासी लड़कियों को टाटा (TATA) की कंपनी में नौकरी मिली है. केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से कंपनी द्वारा हाल ही में चलाए गए रोजगार अभियान के दौरान राज्य की लगभग 1,900 आदिवासी लड़कियों को तमिलनाडु में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड संयंत्र में नौकरी की पेशकश की गई है.

उनमें से 820 लड़कियां मंगलवार को तमिलनाडु के होसुर के लिए ट्रेन में सवार हुईं. हटिया रेलवे स्टेशन से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने लड़कियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, ”नारी शक्ति, युवा जोश कुशल बनों, योग्य बनों माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में जनजातीय समुदाय के युवतियों को मिला कौशल विकास के साथ रोजगार का अवसर! जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल पर खूंटी संसदीय क्षेत्र की सैंकड़ों युवतियों को टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स में मिला रोजगार का अवसर. आज हटिया रेलवे स्टेशन से हुसूर के लिए रवाना होती युवतियां.”

होसुर गई लड़कियां झारखंड के चार आदिवासी बहुल जिलों- खूंटी, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) और सरायकेला-खरसावां से हैं. इन लड़कियों को टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड के ग्रीनफील्ड प्लांट में पोस्ट एंट्री लेवल ऑपरेटरों के लिए भर्ती किया गया है.

अधिकारियों ने कहा कि 18-19 सितंबर, 2022 को खूंटी, सरायकेला, चाईबासा और सिमडेगा में दो दिवसीय भर्ती अभियान का आयोजन किया गया था. इस पहल को शानदार प्रतिक्रिया मिली और ग्रामीण क्षेत्रों से भर्ती अभियान में 2,600 से अधिक लड़कियों और युवतियों ने भाग लिया. आदिवासी मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवलजीत कपूर ने कहा कि दो दिनों में ज़िलों में से 1,898 लड़कियों का चयन किया गया है.

होसुर गई लड़कियों को पहले दो दिन ट्रेनिंग दी जाएगी. ये लड़कियां 18-20 वर्ष की 12वीं पास हैं और इन्हें 15 हज़ार तक सैलरी दी जाएगी.

हटिया रेलवे स्टेशन पर चयनित उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए कहा कि ये युवा लड़कियां आदिवासी ज़िलों के दूरदराज के गांवों की अन्य लड़कियों के लिए मिशाल बन सकती है. उन्होंने कहा कि आप दूरदराज के इलाकों के गांवों से आई हैं, जहां जोखिम की कमी नहीं होगी. आप मत भूलिए कि आप उस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं जो संघर्षों की भूमि है. आपको नए वातावरण के अनुकूल होने के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि मैं वहां तुमसे मिलने आऊंगा. आज आप प्रशिक्षित होने जा रहे हैं. आने वाले वर्षों में, आप अन्य लड़कों और लड़कियों को प्रशिक्षण देंगे. आज आप औद्योगिक इकाई में जा रहे हैं. हम अपने राज्य में यहां ऐसी इकाई स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं.

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए मुंडा ने कहा कि यह पहल महिला सशक्तिकरण और रोजगार सृजन की दिशा में निजी-सार्वजनिक भागीदारी का एक उदाहरण है.

और जिंदगी झारखंड के उन 13 अनुसूचित जिलों में से हैं, जो देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर युवा लड़कों और लड़कियों के प्रवास का गवाह बनते हैं. खूंटी, चाईबासा, सरायकेला-खरसावां और जिंदगी झारखंड के उन 13 अनुसूचित जिलों में से हैं, जो देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर लड़कों और लड़कियों के पलायन का गवाह बनते हैं. जो अक्सर छोटी नौकरियों के लिए नियोक्ताओं के हाथों शोषण का शिकार होते हैं.

हालांकि, आदिवासी मामलों के मंत्रालय के इस प्रक्रिया में शामिल होने और भर्ती करने वाले टाटा समूह की फर्म होने के कारण रंगरूट अवसर के बारे में आश्वस्त है.

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